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अव्यवस्था से घटती तीर्थयात्रियों की संख्या
गत वर्षों की तुलना में इस बार श्रीअमरनाथ के तीर्थयात्रियों की संख्या कम रहने की संभावना दिखाई देने लगी है। इसके कई कारण हैं, जैसे- पंजीकरण की जटिल प्रणाली, कुप्रबंधन और पिछले वर्ष तीर्थयात्रियों की बड़ी संख्या में मृत्यु। उत्तराखण्ड की भीषण त्रासदी भी यात्रा को प्रभावित करती दिखाई दे रही है। हर वर्ष यात्रा के प्रारंभिक दिनों में भारी भीड़ रहती थी, किन्तु इस बार वैसा माहौल दिखाई नहीं दे रहा है। इस बार पहले 7 दिनों में लगभग 70,000 श्रद्धालुओं ने पवित्र हिमलिंग के दर्शन किए हैं जबकि प्रतिदिन 15000 की सीमा निर्धारित की गई है। इसके अनुसार अभी तक एक लाख यात्री दर्शन के लिए पहुंचने चाहिए थे। गत वर्ष के पहले सात दिनों में यह संख्या लगभग 1 लाख 50 हजार पहुंच गई थी।
इस बार श्री अमरनाथ यात्रा 28 जून से लेकर 21 अगस्त अर्थात रक्षाबंधन (श्रावण पूर्णिमा) तक लगभग 55 दिन की होगी। अभी तक जो स्थिति सामने आ रही है उसे देखकर यही लगता है कि बड़ी कठिनाई से तीर्थयात्रियों की संख्या 4 लाख का आंकड़ा छू पाएगी, जबकि पिछले साल यह संख्या 6 लाख को पार कर गयी थी।
यात्रा के लिए आने वाले श्रद्धालुओं के पंजीकरण की एक जटिल प्रणाली अपनाई गई है। यात्रा के पहले ही दिन बहुत से श्रद्धालुओं को पहलगाम और कुछ अन्य स्थानों पर पुलिस की लाठीचार्ज का इसलिए सामना करना पड़ा क्योंकि उनका पंजीकरण नियमानुसार नहीं था। कई यात्री निर्धारित तिथि से पूर्व ही पहलगाम तथा बालटाल पहुंच गए थे। किन्तु प्रश्न यह है कि जब यह यात्री आधार शिविर (भगवती नगर, जम्मू) से पहलगाम तथा बालटाल के लिए भेजे गए तब इसकी पूरी जांच क्यों नहीं की गयी? कई दलाल कुछ तीर्थयात्रियों को जम्मू रेलवे स्टेशन तथा अन्य स्थानों से यह कहकर सीधे यात्रा पर ले जा रहे हैं कि वह पहलगाम तथा बालटाल में ही कुछ ले-देकर पंजीकरण करवाएंगे, किन्तु वहां पंजीकरण की व्यवस्था न होने के कारण उन यात्रियों को श्रीनगर भेजा जाता है। इसी कारण विश्व हिन्दू परिषद तथा कुछ साधु संगठनों ने तीर्थयात्रियों को प्रताड़ित करने तथा लूट-खसोट के गंभीर आरोप लगाए हैं।
विश्व हिन्दू परिषद (जम्मू-कश्मीर) इकाई के अध्यक्ष डा. रमाकान्त दुबे का कहना है कि कुप्रबंधन के अतिरिक्त यात्रियों से बिना किसी आदेश के प्रति व्यक्ति 70 रुपए बसूले जा रहे हैं, जिसकी कोई रसीद नहीं दी जा रही है। किसके आदेश से यह हो रहा है, यह भी स्पष्ट नहीं है। इससे पूर्व डा. फारुख अब्दुल्ला के शासनकाल में भी एक बार 650 रुपए प्रति यात्री से वसूलने का प्रयास हुआ था, जिसे औरंगजेबी 'जजिया' की संज्ञा दी गई थी। बाद में 200 रुपए प्रति यात्री वसूले जाने की कोशिश हुई, किन्तु देशव्यापी प्रदर्शन के बाद उसे भी वापस लिया गया। अब 70 रु. पंजीकरण के साथ क्यों वसूले जा रहे हैं, सरकार इसका जवाब नहीं दे रही है। विशेष प्रतिनिधि
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