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इसको जानो
बच्चो,
आये दिन आप लोग ये शब्द सुनते होंगे कि परमाणु ऊर्जा,परमाणु बम आदि। जरूर आपके मन में सवाल उठता होगा कि यह परमाणु क्या है? तो आज आपको परमाणु क्या है, इसके बारे में बताते हैं। हमारे यहां लगभग 800 ई. पू. में एक महर्षि हुए थे, जिनका नाम था महर्षि कणाद। इन्होंने अपने वैशेषिक दर्शन में लिखा है
जालान्तरगते भानौ यत सूक्ष्मं दृश्यते रज:।
तस्य षष्ठतमो भाग: परमाणु स उच्यते।।
अर्थात् किसी संकरे स्थान से सूर्य की किरणें जब घर में प्रवेश करती हैं तो उनमें नाचते हुए जो छोटे-छोटे रज कण दिखाई देते हैं उसके एक कण का छठवां भाग परमाणु कहा जाता है। आपको यह भी जानकर बड़ा आश्चर्य होगा कि अठाहरवीं शताब्दी के अन्त तक कोई भी वैज्ञानिक पदार्थ के सूक्ष्म कणों परमाणु के बारे स्पष्ट विचार नहीं दे पाया था। परमाणु की विस्तृत जानकारी देते हुए महर्षि कणाद ने लिखा है कि कोई भी पदार्थ बहुत ही सूक्ष्म कणों से बना है। ये कण इतने छोटे होते हैं कि इनके और टुकड़े नहीं किए जा सकते हैं। इस प्रकार के एक सूक्ष्म कण के छठे भाग को परमाणु की संज्ञा दी जाती है। पश्चिम के वैज्ञानिकों ने परमाणु को तीन भागों में बांटा है- इलेक्ट्रान, प्रोट्रोन और न्यूट्रोन। किन्तु महर्षि कणाद के अनुसार परमाणु चार प्रकार के होते हैं-पार्थिव, जलीय, तेजस और वायवीय।
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