|
दिल्ली की एक प्रतिष्ठित पत्रिका में बतौर डिजाइनर काम कर रहे अनिल शर्मा को ऋषिकेश से लेकर गंगोत्री तक एक भी जगह न पुलिस वाला दिखा न कोई जांच करने वाला। 13 जून को दनदनाते गंगोत्री पहुंचने पर उन्हें आश्चर्य हो रहा था कि अगर राष्ट्रीय देश सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण इस सीमान्त राष्ट्रीय राजमार्ग को कोई असामाजिक तत्व क्षति पहुंचा दे तो? मनेरी के पास एक जगह रुके तो एक साधु ने कहा- 'लगता है भागीरथी मां अपना रंग दिखाएगी इस बार।' गंगोत्री पहुंचे तो मुख्यमंत्री की 'पूरे प्रबंध' की घोषणाओं के बीच मौसम विभाग की भारी बारिश की चेतावनी भी आ रही थी। आशंका जान 15 जून को वापसी कर ली, लेकिन उत्तरकाशी से 8 कि.मी. पहले नताला में ही रुकना पड़ा, क्योंकि भारी भूस्खलन से मार्ग बंद। 5 दिन वहीं पड़े रहे और एक ही बात अनुभव में आयी- 'वहां सरकार नाम की कोई चीज नहीं और प्रशासन तो है ही नहीं।'
टिप्पणियाँ