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'साइबर' हुई दुनिया, हर घर में सेंध

by
Jun 29, 2013, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 29 Jun 2013 13:23:55

आज के तकनीकी युग में सबकुछ इंसान के बहुत निकट आ गया है। ऐसी जानकारी जिसे जुटाने में न जाने कितना समय लगे वह क्षणभर में आंखों के सामने होती है। किताबें, शोधपत्र, फोटो, वीडियो या फिर कोई अन्य दस्तावेज सबकुछ इसकी पहुंच में है। पलक झपकते ही संदेश दुनिया के किसी भी कोने में पहुंच जाता है। लेकिन प्रौद्योगिकी से जहां लाभ हो रहा है, वहीं इसके दुरुपयोग भी सामने आ रहे हैं। इसके जरिए व्यक्ति, संस्था, राष्ट्र आदि को जमकर नुकसान पहुंचाया जा रहा है। इंटरनेट के जरिए दूसरे देशों की गोपनीय जानकारियां चुराने या उन्हें नष्ट करने में चीन का नाम जगजाहिर है। हाल में सामने आई अमरीका की साइबर जासूसी की खबर ने साइबर सुरक्षा पर सवालिया निशान लगा दिया है? जब इंटरनेट सेवा देने वाली कम्पनियां ही जासूसी करने वाले का पूरा सहयोग करेंगी तो सुरक्षा के सभी उपाय अपनाने के बावजूद आपके खातों में सेंध लगना निश्चित है। यहां यह कहना गलत नहीं होगा कि 'छोटी दुनिया' में कोई भी सुरक्षित नहीं है।

अमरीका राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनएसए) के जरिए दुनियाभर के इंटरनेट उपभोक्ताओं की जासूसी कर रहा है। यह समाचार सामने आते ही पूरी दुनिया में हड़कंप मचा गया। अमरीका के इस कृत्य की दुनिया के कई देशों द्वारा निजता के अधिकार के हनन को लेकर कड़ी निंदा की जा रही है। वहीं अमरीका ने एनएसए द्वारा इंटरनेट उपभोक्ताओं की जासूसी के समाचार को उजागर करने वाले एडवर्ड स्नोडन पर शिकंजा कसने में पूरी ताकत लगा दी है। लेकिन स्नोडन अभी भी अमरीका की पहुंच से बाहर है।

पूरी दुनिया में पिछले दिनों उस समय भूचाल सा आ गया जब 29 साल के एडवर्ड स्नोडन ने खुलासा किया कि अमरीका राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनएसए) के गुप्त निगरानी कार्यक्रम 'प्रिज्म' के जरिए दुनियाभर के ईमेल और फोन कॉल्स की जासूसी कर रहा है। वह गूगल, एओएल, एप्पल, याहू, माइक्रोसॉफ्ट, स्काइप, फेसबुक, यू ट्यूब व पालटॉक आदि इंटरनेट सेवाओं के जरिए इमेल, चैट, वीडियो, डाटा, फाइल आदि सामग्री लेकर इंटरनेट उपभोक्ताओं के खाते खंगालती है। स्नोडन ने इस जानकारी का खुलासा हांगकांग में 'गार्जियन' अखबार के जरिए किया। गुप्तचर संस्था सीआईए का तकनीकी सहायक रहा एडवर्ड स्नोडन वर्तमान में ठेके पर रक्षा से जुड़े काम करने वाली कम्पनी बूज एल्लेन हैमिल्टन के लिए पिछले चार साल से एनएसए में काम कर रहा था। अमरीका जिन देशों की साइबर जासूसी कर रहा है, उनमें भारत भी शामिल है, जोकि उसकी जासूसी सूची में पांचवें स्थान पर है। जबकि पाकिस्तान दूसरे पर।

अमरीका एडवर्ड स्नोडन के खुलासे को आपराधिक मामला मानते हुए उस पर शिकंजा कसना चाह रहा है। लेकिन अभी वह अमरीका की पहुंच से दूर है। बहुत समय तक हांगकांग में रहने के बाद अब वह मास्को पहुंच गया है। इस बात की पुष्टि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 25 जून को घोषणा कर की। साथ ही रूस ने अमरीका की धमकी को दरकिनार करते हुए उसे स्नोडन को सौंपने से भी इंकार कर दिया है। वहीं चीन ने अमरीका की इस टिप्पणी 'चीन ने स्नोडन को हांगकांग से भगा दिया' पर कड़ा एतराज जताया है। चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र पीपुल्स डेली ने लिखा है कि अमरीका इंटरनेट उपक्रमों की हैकिंग के लिए माफी मांगने की जगह हांगकांग और चीन पर आरोप लगा रहा है।

सामने आ रहे समाचारों के अनुसार एनएसए ने दुनियाभर के कम्प्यूटर नेटवकर्ों से मार्च 2013 में 97 अरब गुप्त सूचनाएं इकट्टी कीं, जिनमें से सबसे ज्यादा जासूसी 14 अरब खुफिया सूचनाओं के साथ ईरान की की गई, इसके बाद पाकिस्तान  (13.5 अरब), जॉर्डन (12.7 अरब), मिस्र (7.6 अरब) और पांचवें स्थान पर भारत (6.3 अरब) की जासूसी की गई।

भारतीय सुरक्षा एजेंसी के शीर्ष अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर एक समाचार पत्र को बताया कि 'जब जासूसी की कार्रवाई (प्रिज्म) से हम परिचित नहीं थे तब से, यानी 2005-6 से एनएसए भारत में कंप्यूटर सामग्री की निगरानी कर रहा है।'

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50 से अधिक आतंकी हमलों को नाकाम किया: अमरीका

अमरीका के अनुसार साइबर जासूसी की वजह से भारत सहित 20 से अधिक देशों में 50 से अधिक बड़े आतंकी हमलों को नाकाम किया गया है। गत 19 जून को बर्लिन (जर्मनी) में अमरीका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनएसए) की जासूसी की वजह से हजारों जिंदगियां बचाई गई हैं। उन्होंने कहा कि एजेंसी सामान्य ई-मेल की तलाशी नहीं ले रही। वहीं वाशिंगटन में हाउस इंटेलीजेंस कमेटी के सामने एनएसए प्रमुख जनरल कैथ एलेक्जेंडर ने कहा कि न्यूयार्क स्टॉक एक्सचेंज को उड़ाने की गोपनीय योजना थी। इस तरह के 50 से अधिक मामले हैं। सूत्रों के अनुसार उन बीस देशों में भारत भी शामिल था और इनमें से एक की समय रहते भारत को जानकारी भी दी गई थी। साल, 2010 में दिल्ली में राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान आतंकी हमले की साजिश के बारे में बताया था। पाञ्चजन्य ब्यूरो

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