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हिन्दी की जय-जयकार के बीच स्वप्न हुआ साकार

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Jun 22, 2013, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 22 Jun 2013 14:32:35

 

0 राष्ट्रपति ने किया भोपाल में अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय का शिलान्यास

राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी ने गत 6 जून को भोपाल में हिन्दी विश्वविद्यालय की स्थापना के लिये मध्य प्रदेश सरकार को बधाई देते हुए कहा कि इसका नाम वरिष्ठ राजनेता और प्रखर विद्वान श्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम से रखा गया है, जिन्होंने हिन्दी भाषा को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है, इसके लिए अभिनंदन। राष्ट्रपति ने अपेक्षा की कि यह विश्वविद्यालय श्री वाजपेयी के महान आदर्शो पर चलेगा तथा हिन्दी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देगा। इस समारोह की अध्यक्षता प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नरेश यादव ने की। इस अवसर पर लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष श्रीमती सुषमा स्वराज, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, सांसद एवं पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी, केन्द्रीय मंत्री नारायण सामी, उच्च शिक्षा मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा, पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुरेश पचौरी और मुख्य सचिव आर परशुराम विशेष रूप से उपस्थित थे। विश्वविद्यालय के कुलपति श्री मोहनलाल छीपा ने संसद में श्री अटल बिहारी वाजपेयी के हिन्दी और भारतीय भाषाओं की विशेषता बखान करने वाले भाषण का उल्लेख करते हुए केन्द्र सरकार से विश्वविद्यालय के लिये सहयोग की अपेक्षा की।

श्री मुखर्जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि हिन्दी दुनिया के अन्य देशों में भी लोकप्रिय हो रही है। हिन्दी के माध्यम से तकनीकी विषयों की शिक्षा प्रदान करने की जरूरत है। महिलाओं और बच्चों के प्रति बढते अपराधों पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय नैतिक मूल्यों की स्थापना का अभियान चलाए।

मध्य प्रदेश के राज्यपाल रामनरेश यादव ने अपने संबोधन में कहा कि यह हिन्दी विश्वविद्यालय दुनिया में अपने ढंग का अनूठा होगा। यह विश्वविद्यालय दुनिया के श्रेष्ठतम विश्वविद्यालयों से आदान-प्रदान का संपर्क सूत्र जोड़ेगा। इसमें दुनिया की सभी महत्वपूर्ण भाषाओं के पठन-पाठन की व्यवस्था होगी। भाषा का एक बड़ा संस्थान विश्वविद्यालय में होगा। हिन्दी के माध्यम से ज्ञान को जन-जन तक पहुंचाने का काम यह विश्वविद्यालय करेगा। इस विश्वविद्यालय में देश के सीमांत प्रदेशों के विचार, दर्शन और संस्कृति शोध की भी व्यवस्था होगी।

समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि आज एक संकल्प पूरा हुआ है, एक सपना साकार हुआ है। उन्होंने कहा कि हिन्दी भाषी प्रदेशों में केवल दो प्रतिशत लोग अंग्रेजी बोलते हैं। हम अंग्रेजी की अज्ञानता के कारण प्रतिभाओं को पिछड़ने नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि केवल अंग्रेजी न जानने की वजह से हिन्दीभाषी प्रदेश के बच्चे पीछे रह जाते हैं। बच्चों के स्वाभाविक विकास के लिये हिन्दी भाषा को बढावा देना जरूरी है। उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय इस उद्देश्य को पूरा करने में प्रमुख भूमिका निभायेगा।

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष श्रीमती सुषमा स्वराज ने कहा कि विश्वविद्यालय को तीन कामों की प्रमुखता से जिम्मेदारी लेनी होगी। हिन्दी भाषा के क्षरण को रोकना पहला काम है। हिन्दी की गरिमा बढ़ाने के लिए सभी भारतीय भाषाओं के साहित्य हिन्दी भाषा में और हिन्दी साहित्य को विभिन्न भारतीय भाषाओं में उपलब्ध कराना दूसरा महत्वपूर्ण का काम है। विश्वविद्यालय को इसके लिये विशेष प्रयास करना होगा। और तीसरा महत्वपूर्ण काम है अंग्रेजी के साथ अन्य विदेशी भाषाओं के हिन्दी भाषान्तरकार तैयार करना। इन तीन कामों से हिन्दी विश्वविद्यालय की विशेष पहचान बनेगी और देश की तीन बड़ी समस्याओं का समाधान भी हो सकेगा। हिन्दी के समाचार पत्रों द्वारा हिन्दी को ही नुकसान पहुंचाने का उल्लेख करते हुए श्रीमती स्वराज ने कहा कि हिन्दी की पत्र-पत्रिकाएं भी अंग्रेजी की बैसाखी के सहारे चल रही हैं। वे हिन्दी भाषा को अशुद्ध करने की बुराई के भागीदार बन गए हैं।

उच्च शिक्षा मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा ने कहा कि विश्वविद्यालय की अकादमिक गतिविधियां शुरू हो गयी हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय का नाम श्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखने का कारण बताते हुए कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री श्री वाजपेयी ने हिन्दी का मान-सम्मान बढ़ाया और विश्व मंच पर स्थापित करने का काम किया। भोपाल से अनिल सौमित्र

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