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आई.बी. निदेशक ने सुनाई सीबीआई निदेशक को खरी-खरी
मामला गुजरात में आतंकवादियों के साथ मारी गयी इशरत जहां को मासूम बताने और उस मुठभेड़ को फर्जी सिद्ध करने का है। उल्लेखनीय है कि इंटेलीजेंस ब्यूरो (आई.बी.) की पक्की सूचना मिलने के बाद ही अमदाबाद पुलिस ने घेरा डाला और मुम्बई से आए लश्कर-ए-तोयबा के एक गुट के चार सदस्यों को 15 जून, 2004 को मार गिराया। अत्याधुनिक हथियारों से मुकाबला करने के दौरान मुम्बई की कालेज छात्रा इशरत जहां, उसका साथी जावेद शेख और दो पाकिस्तानी नागरिक-अमजद अली राणा और जीशान जौहर मारे गए। आई.बी. के तत्कालीन संयुक्त निदेशक राजेन्द्र कुमार को खबर मिली थी कि ये चारों लश्कर के निर्देश पर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की हत्या करने के उद्देश्य से निकले हैं। इसीलिए उन्होंने 'अलर्ट' जारी किया था। इनके मुठभेड़ में मारे जाने के बाद लश्कर प्रमुख ने इशरत को 'बहादुर लड़की' बताते हुए उसे अपना सदस्य भी बताया था। मुम्बई हमलों के मुख्य षड्यंत्रकारी अमरीकी नागरिक डेविड कोलमैन हेडली ने भी पूछताछ के दौरान भारतीय अधिकारियों को बताया था कि इशरत और उसके साथी लश्कर के ही सदस्य थे।
पर सी.बी.आई. की जांच इस पर केन्द्रित है कि मुठभेड फर्जी थी। इसीलिए वह गुजरात के कुछ वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ ही अब आई.बी.के संयुक्त निदेशक राजेन्द्र कुमार को भी लपेटे में लेना चाहती है। पर आई.बी. के वर्तमान महानिदेशक आसिफ इब्राहिम ने खुद सी.बी.आई. के दिल्ली स्थित मुख्यालय जाकर उसके निदेशक रंजीत सिन्हा को खरी-खरी सुना दी। बता दिया कि खुफिया जानकारी मिलने के बाद उसे संबंधित राज्य सरकार को भेजना हमारा काम है, और वही राजेन्द्र कुमार ने किया। इसलिए सी.बी.आई. अब उनके विशेष निदेशक को आरोपी के रूप में बुलाकर पूछने की गुस्ताखी न करे। पर आरोपी के रूप में ही उन्हें बुलाकर पूछताछ करने की जिद के चलते एक प्रमुख गुप्तचर एजेंसी और एक प्रमुख जांच एजेंसी टकराव की राह पर हैं। उधर गुजरात पुलिस के अनेक वरिष्ठ अधिकारी भी इस मामले में जेल में हैं और सर्वोच्च न्यायालय से राहत न मिलने के बाद अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक पी.पी. पांडे फरार हैं। सी.बी.आई. उन्हें भगोड़ा घोषित कर उनके घर की कुकर्ी करने का प्रयास कर रही है।
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