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आवरण कथा 'आंसू और आक्रोश' समाचार की दृष्टि से अच्छी लगी, किन्तु देश की दृष्टि से चिन्ता पैदा करने वाली रही। सरबजीत के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला था, फिर भी पाकिस्तान की अदालत ने उसे फांसी की सजा सुनाई थी। वर्षों तक वह जेल में नारकीय जिन्दगी बिताता रहा, पर भारत सरकार ने उसे छुड़ाने का कोई प्रयास नहीं किया। जबकि पाकिस्तानी नेता जब भारत आते हैं तो यहां बन्द किसी पाकिस्तानी नागरिक को छुड़ा ले जाते हैं।
–दयाशंकर मिश्र
लोनी, गाजियाबाद (उ.प्र.)
n´ÉiÉǨÉÉxÉ केन्द्र सरकार के असंवेदनशील और निराशाजनक रवैये ने इतने बड़े देश की छवि धूमिल कर दी है। सरबजीत की वापसी के लिए उसकी बहन दलबीर कौर ने सोनिया, मनमोहन, राहुल और राष्ट्रपति से गुहार लगाई, किन्तु किसी ने उनकी नहीं सुनी। जब सरबजीत का शव भारत आया तो राहुल दौड़े-दौड़े उसके गांव गए। यदि राहुल ने सरबजीत के लिए एक बयान भी दिया होता तो शायद सरबजीत आज जिन्दा रहता।
–हरिओम जोशी
चतुर्वेदी नगर, भिण्ड (म.प्र.)
n सरबजीत की बड़ी बर्बरता से हत्या कर दी गई। किन्तु भारत सरकार ने पाकिस्तान से यह भी नहीं कहा कि वह दोषियों को सजा दे। सरबजीत की हत्या को सरकार ने मौन धारण कर स्वीकार लिया। चीनी घुसपैठ को भी इस सरकार ने इतने हल्के में लिया कि मानो यह कोई बड़ा मुद्दा है ही नहीं। इस सरकार के हाथ में देश का भविष्य सुरक्षित नहीं है।
–सुहासिनी प्रमोद वालसंगकर
द्वारकापुरम, दिलसुखनगर
हैदराबाद-60 (आ.प्र.)
n आंसू टपकाने और आक्रोश प्रकट करने से कुछ नहीं होगा। हिन्दू समाज को हर तरह से मजबूत बनना होगा। हर गांव में अखाड़े खोले जाएं और नौजवान वहां सबसे पहले व्यायाम आदि करें। इसके बाद अन्य कार्यों में लगें। देश और समय दोनों की मांग है कि हिन्दू बलशाली बनें, सारी समस्याएं खत्म हो जाएंगी।
–प्रो. बी.आर. ठाकुर
सी-115, संगम नगर, इन्दौर (म.प्र.)
n सरबजीत गलती से पाकिस्तान की सीमा के अन्दर चला गया था। उसे जबर्दस्ती लाहौर बम विस्फोट का आरोपी बनाया गया और न्यायालय से मौत की सजा दिलाई गई। भारत सरकार भी जानती थी कि सरबजीत को मंजीत सिंह की जगह सजा दी गई है। फिर भी उसने सरबजीत को छुड़वाने का प्रयास नहीं किया। सरबजीत का शव बिना दिल और बिना किडनी का भारत लाया गया। सरकार ने पाकिस्तान से कुछ नहीं कहा। कितनी शर्म की बात है।
–राजेन्द्र प्रसाद आर्य
आर्य समाज मन्दिर, घिरनी पोखर मुजफ्फरपुर-842001 (बिहार)
कभी इस्लामी देशों को देखो
मंथन 'कुंभ चन्द्रमा, आजम खां राहू' बहुत अच्छा लगा। आजम खां अमरीका में हुई सुरक्षा जांच से बिफर रहे हैं। अमरीका को मुस्लिम-विरोधी बताकर कोस रहे हैं। क्या आजम खां ने कभी सऊदी अरब या अन्य मुस्लिम देशों को धिक्कारा, जहां गैर-मुस्लिम महिलाओं को बुकर्ा पहनना पड़ता है, गैर-मुस्लिमों के पास कोई धार्मिक चिह्न नहीं रहने दिया जाता है। यदि गलती से किसी के पास रह जाता है तो उसे अमानवीय दण्ड दिया जाता है, सरेआम कोड़े बरसाए जाते हैं।
–बी.एल. सचदेवा
263, आई.एन.ए. मार्केट
नई दिल्ली-110023
…तो असलियत यह है
हर्ष मन्दर के लिए बहुत ही सटीक लिखा गया है कि वे विदेशों से मदद लेकर आतंकवादियों से हमदर्दी रखते हैं। यह जानकर बड़ा आश्चर्य हुआ कि हर्ष मन्दर ईसाई संगठनों से खूब पैसा ले रहे हैं। उन संगठनों को खुश करने के लिए ही वे हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के खिलाफ अभियान चलाते हैं। ऐसे लोगों की जांच करने के बजाए भारत सरकार उन्हें पद और पैसा देकर सम्मानित कर रही है।
–आर.के. गुप्ता
बी-1238, शास्त्री नगर, दिल्ली-52
'रामसेतु' को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करो
अठारहवीं सदी के प्रारंभ में मेजर जेम्स रेनल नामक एक ब्रिटिश भूगोलशास्त्री ने रामसेतु तोड़कर रास्ता निकालने का सुझाव दिया था। इस सुझाव की व्यावहारिकता पर विचार-विमर्श हेतु सन् 1861 से लेकर 2008 तक चौदह समितियां गठित की जा चुकी हैं। इनमें से नौ आजादी के पूर्व तथा पांच आजादी के पश्चात् गठित हुई हैं। इनमे से किसी भी समिति ने रामसेतु तोड़कर जलमार्ग निकालने का सुझाव नहीं दिया। इनमें से अधिकतर ने रामेश्वर द्वीप के पार की भूमि से रास्ता निकालना उचित बताया। सन् 2005 में भी डा. ए. रामस्वामी मुदालियर की अध्यक्षता में गठित समिति ने भी उक्त राय ही प्रकट की। अत: भारत सरकार इसे तोड़ने की जिद छोड़कर राष्ट्रीय स्मारक घोषित करे।
–गोकुल चंद गोयल
85, इन्दिरा कॉलोनी
सवाई माधोपुर (राजस्थान)
चीन को पहचानो
चीनी सेना की घुसपैठ पर एक बहुत ही सुन्दर लेख पढ़ा। चीन का मनोबल हमारी कमजोर नीति के कारण बढ़ा है। चीन भारत सरकार की कमजोरी को अच्छी तरह जानता है। इसलिए हमारी सीमा के अन्दर घुसता भी है और हमें ही धमकाता है। हमारी सेना के हाथ बंधे हुए हैं। सेना हर कार्रवाई के लिए 'ऊपर के आदेश' की प्रतीक्षा करती रहती है, तब तक चीनी सेना वह सब कर लेती है, जो वह चाहती है। हमें अपनी नीति बदलनी होगी।
–देशबंधु
आर जेड-127, सन्तोष पार्क
उत्तम नगर, दिल्ली
विरोध से ऊर्जा मिलती है
गत दिनों हरिद्वार में आचार्य कुलम के उद्घाटन समारोह को सम्बोधित करते हुए गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कई ऐसी बातें कहीं जिनकी बड़ी प्रशंसा हुई। उन्होंने कहा कि यदि आपके अच्छे कार्यों का भी विरोध कोई करे तो उससे घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि इस तरह के विरोध से आपको नई ऊर्जा ही मिलेगी। मोदी की ऐसी बातों का जन सामान्य पर बड़ा अच्छा प्रभाव पड़ रहा है।
–कृष्ण मोहन गोयल
113, बाजार कोट
अमरोहा-244221 (उ.प्र.)
न लाज, न शर्म
22 मई को प्रधानमंत्री ने अपनी सरकार के चार साल पूरे होने पर 'रिपोर्ट कार्ड' जारी किया। प्रधानमंत्री ने भ्रष्टाचार पर भी चिन्ता व्यक्त की। पर भ्रष्टाचार के प्रति उनका क्या रवैया है, यह आप खुद पढ़ें। 31 अक्तूबर 2011 को स्विस बैंक कार्पोरेशन ने भारत सरकार को गोपनीय पत्र लिखकर भारत के दस सबसे बड़े उन जमाकर्ताओं की सूची भेजी थी जिनके नाम उस बैंक में 5 हजार करोड़ से ज्यादा रुपए जमा थे। ये हैं- राजीव गांधी (198356 करोड़), ए. राजा (7856 करोड़), हर्षद मेहता (135121 करोड़), शरद गोविन्दराव पवार (28956 करोड़), पी. चिदंबरम (33451 करोड़), सुरेश कलमाड़ी (5560 करोड़), एम करुनानिधि (35009 करोड़), केतन पारिख (8256 करोड़), सी. जे. मोहिनी (96455 करोड़), कलानिधि मारन (15090 करोड़)।
बैंक ने यह भी लिखा कि भारत सरकार ने अगर स्पष्ट विवरण 31 मार्च 2012 तक नहीं दिया तो खाते प्रतिबन्धित कर दिए जायेंगे। भारत सरकार ने आज तक कोई उत्तर नहीं दिया। नतीजा यह निकला कि स्विस बैंक ने उस पैसे पर कब्जा कर लिया।
2-जी स्पेक्ट्रम घोटाले में कमीशन के रूप में प्राप्त करोड़ों रुपयों को सही ढंग से ठिकाने लगाया गया। कांग्रेस के शासन में नैतिकता, मर्यादा और ईमानदारी शब्दकोष के बाहर के शब्द हो चुके हैं। जिन मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे उन्हें हटाने के बजाय पदोन्नति दी गई।
रेल मंत्री पवन बंसल का भांजा मंत्री के नाम पर स्थानान्तरण और पदस्थापन के लिए 90 लाख रुपए रिश्वत लेते हुए सीबीआई द्वारा रंगे हाथ पकड़ा जाता है। प्रधानमंत्री उसे 'क्लिनचिट' दे देते हैं। कानून मंत्री सीबीआई द्वारा बनाई गई रपट बदल देते हैं। सर्वोच्च न्यायालय फटकार लगाता है। सरकार के कान पर जूं नहीं रेंगती। पी चिदम्बरम 2-जी स्पेक्ट्रम घोटाले के मुख्य अभियुक्त हैं, उन्हें जेपीसी निर्दोष करार देती है। सलमान खुर्शीद विकलांगों का पैसा हजम कर जाते हैं, उन्हें पदोन्नत कर विदेश मंत्री बना दिया जाता है। शीला दीक्षित प्रधानमंत्री द्वारा नियुक्त शुंगलू समिति द्वारा राष्ट्रमंडल खेलों में हुए घोटालों के लिए दोषी ठहरा दी जाती हैं। लोकायुक्त ने शीला पर 1100 करोड़ रु. अवैध रूप से खर्च करने का आरोप लगाया। लोकायुक्त ने राष्ट्रपति से निवेदन किया है कि वे शीला दीक्षित को निर्देश दें कि 1100 करोड़ रु. सरकारी कोष में जमा कराएं। लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कोई आंच नहीं आती है। उनके मंत्रिमंडल में शामिल राजकुमार चौहान को लोकायुक्त भ्रष्टाचार के लिए दोषी ठहराते हैं, वे सीना ताने मंत्री बने हुए हैं। फिर भी प्रधानमंत्री भ्रष्टाचार को लेकर चिन्तित हैं। उनकी बातों पर विश्वास कौन करेगा?
–विपिन किशोर सिन्हा
लेन-8सी, प्लॉट नं.-78 महामनापुरी एक्स, पो.-बी.एच.यू. वाराणसी-221005 (उ.प्र.)
सच का दर्पण पाञ्चजन्य
पाञ्चजन्य जहां राष्ट्रप्रेम का संवाहक है, वहीं भारतीय संस्कृति का ध्वजवाहक भी। राष्ट्रवादी पत्रकारिता का श्रेष्ठ नमूना है पाञ्चजन्य। आज राष्ट्रवादी संगठनों, नेताओं और कार्यकर्ताओं को बदनाम किया जा रहा है, उनकी आवाज को रोकने का प्रयास हो रहा है। इस वातावरण में राष्ट्रवादी आवाज को गुंजाने में पाञ्चजन्य की बड़ी भूमिका है। पाञ्चजन्य सत्य से साक्षात्कार कराता है। इसकी गूंज देश-विदेश तक जाए, यही कामना है।
–ई. गोविन्द प्रसाद शुक्ल
ग्राम व पो.-बघाड़ी
जिला-बस्ती-272178 (उ.प्र.)
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