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Jun 1, 2013, 12:00 am IST
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भारत-जापान नजदीकी से चिढ़ा चीन

दिंनाक: 01 Jun 2013 12:02:10

मनमोहन सिंह अभी चार दिन के लिए जापान गए थे। वहां तोक्यो में जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे के साथ मिले-बैठे और कुछ करारों पर दस्तखत भी हुए। समन्दर में सुरक्षा सहयोग की बुनियाद डालने की गरज से जापान ने बात आगे बढ़ाई ही थी कि चीन चिढ़ गया। चीन के एक अखबार ने इसे जापान की पड़ोसियों के साथ रणनीतिक गठजोड़ करके चीन को घेरने की कोशिश बताया। चीनी सरकार के इस 'ग्लोबल टाइम्स' अखबार में यह 'समझदार टिप्पणी' आबे के पिछले दिनों म्यांमार दौरे को भी इसी नजरिए से देखने के बाद की गई थी। अखबार के संपादकीय में लिखा है कि 'जापान की चीन संबंधी रणनीति उसकी गतिविधियों को चीन के आसपड़ोस में ही ले आती है। लेकिन उसकी चीन को घेरने की ये खामख्याली महज एक छलावा है। जापान के पास एशिया में चीन के दबदबे पर हावी होने की ताकत नहीं है।'

यह उसी चीन की टिप्पणी है जिसकी भारत संबंधी रणनीति भारत के पास-पड़ोस में ही घूमती है। पाकिस्तान, बंगलादेश, श्रीलंका, कोको टापू, म्यांमार, इण्डोनेशिया, थाइलैंड और नेपाल में चीन अपनी जड़ें गहराता जा रहा है। यह उसके 'स्टिंग ऑफ पर्ल्स' अभियान की रणनीति के तहत ही चल रहा है जो सीधे सीधे भारत को घेरने की ही कवायद है।

पाकिस्तानी तालिबानी नेता ड्रोन से ढेर

बदले पर उतारू तालिबान

पाकिस्तान में चुनावों के बाद के सबसे बड़े अमरीकी ड्रोन हमले में 29 मई को पाकिस्तानी तालिबानियों का दूसरे नम्बर का जिहादी वली उर्रहमान महसूद ढेर हो गया। पाकिस्तान के कबीलाई इलाके उत्तरी वजीरिस्तान में मीरनशाह शहर के पास जिहादियों के ठिकाने पर ड्रोन हमले में वली के साथ छह और जिहादी ढेर हुए थे। लेकिन वली के मारे जाने से तालिबानियों में जबरदस्त उबाल देखने में आया है। कसमें खाई जा रही हैं कि, छोड़ेंगे नहीं। जिहादी गुट ने पाकिस्तान के माथे उसका ठीकरा फोड़ते हुए, 'देख लेने की धमकी' दी है। यानी कुर्सी पर बैठने से पहले ही नवाज शरीफ को नाकों चने चबाने के लिए कमर कस लेनी पड़ेगी। तालिबानियों के 'प्रवक्ता' अहसानुल्ला अहसान ने धमकाया है कि अब कोई शांति वार्ता नहीं, कोई सुलह-सफाई नहीं, वली की मौत का बदला लिया जाएगा।

वैसे अमरीका अर्से से वली की खोज में था। एक अमरीकी रक्षा  प्रकाशन ने छापा था कि वली सबसे बड़ा फौजी रणनीतिकार था और अफगानिस्तान में अमरीकियों और 'नाटो' वालों पर हमलों में शामिल था। हकीमुल्ला महसूद के बाद वह पाकिस्तानी तालिबानियों का दूसरा सबसे बड़ा नेता था।   

भारत के लाल करें कमाल

अजय भट्ट को टेक्नोलोजी ऑस्कर तो श्रीनिवासन बने अमरीकी जज, अरविन्द भाषा–ज्ञान  में अव्वल

कम्प्यूटर को जानने-पहचानने और उस पर काम करने वाले उस छोटी सी डिब्बी को बखूबी जानते होंगे जो अपनी सूक्ष्म काया में ढेरों जानकारियां समेट सकती है और वक्त जरूरत पर आपके सामने पिटारा खोल सकती है। सही पहचाना आपने-पेन ड्राइव। इसका कम्प्यूटरी नाम है यू.एस.बी. यानी 'यूनिवर्सल सीरियल बस'। अभी हाल में इस 'पिटारे' की खोज करने वाले भारत में जन्मे  अमरीकी शोधकर्ता अजय भट्ट को गैर यूरोपीय देशों की श्रेेणी में यूरोपीय पेटेण्ट ऑफिस की तरफ से यूरोपियन इन्वेन्टर अवार्ड-2013 से सम्मानित किया  गया। इस सम्मान को पाने के लिए 11 देशों के 15 दावेदार थे। सम्मान देने वाली संस्था के अध्यक्ष बेनोइत बतिस्तैली ने अजय की कामयाबी की तारीफ में कहा कि इस खोज ने असल प्रगति का आगाज किया है और डिजिटल तकनीक का ज्यादा से ज्यादा फायदा उठाने में हमारी मदद की है। अजय को अभी 28 मई को एम्स्टर्डम में राजकुमारी बीत्रिक्स और 500 अंतरराष्ट्रीय मेहमानों की मौजूदगी में यह सम्मान दिया गया। यह जादुई डिब्बी कैसे ईजाद हुई, इसकी एक मजेदार कहानी है। एक बार अजय अपनी पत्नी के कम्प्यूटर के साथ प्रिन्टर जोड़ रहे थे। इसके लिए उन्हें बार-बार कम्प्यूटर को 'रीबूट' और 'रीकन्फिगर' करना पड़ रहा था। वह झुंझला गए। उन्होंने ऐसा 'कनेन्शन इंटरफेस' ईजाद करने की ठानी जो किसी कम्प्यूटर से जोड़ने पर खुदबखुद नई 'डिवाइस' को पहचान और चला सके। ऐसे जन्म हुआ डिब्बी यानी यूएसबी यानी पेन ड्राइव का।

विदेशी धरती पर भारत की मेधा का परचम फहराने वाले एक और हैं, नाम है श्रीकांत श्रीनिवासन। अमरीका के सबसे बड़े फेडरल जज बनकर उन्होंने इतिहास रच दिया है। राष्ट्रपति ओबामा तो इतने बाग-बाग हुए कि उन्हें अपने सबसे 'पसंदीदा' इंसानों में से एक बता दिया। व्हाइट हाउस में एक कार्यक्रम में उन्होंने श्रीकांत के फेडरल अपील्स कोर्ट का जज बनने पर कहा कि उन्हें 'गर्व' है कि इस पद के लिए श्री का नाम आगे किया गया। चर्चा यह भी है कि वहां के सर्वोच्च न्यायालय के जज की कुर्सी खाली होने पर ओबामा श्रीनिवासन के नाम पर विचार कर सकते हैं।

कमाल करने वाला तीसरा 13 साल का भारत में जन्मा अमरीकी बालक अरविंद माहनकली है। 30 मई को अंग्रेजी शब्दों की 'स्पेलिंग प्रतियोगिता में उसने 11 दूसरे फाइनल प्रतिद्वंद्वियों को पछाड़कर 'स्क्रिप्स नेशनल स्पेलिंग बी' पुरस्कार जीता। 2011 और 2012 में वह इसी प्रतियोगिता में तीसरे स्थान पर रहा था। उसे तमाम पुरस्कारों के अलावा 30 हजार डालर नकद मिले हैं। उसका परिवार मूलत: दक्षिण भारत के हैदाराबद शहर से है। आलोक गोस्वामी

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