गंगा की दुर्दशा से आहत हैं स्वामी निश्चलानंद जी
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गंगा की दुर्दशा से आहत हैं
स्वामी निश्चलानंद जी
नई दिल्ली में राजनीतिक दलों से कहा–गंगा बचाओ | विरोधी हैं महायंत्रों से बने महानगर
गंगा की दुर्दशा के लिए राजनीतिक दल जिम्मेदार हैं। सिर्फ गंगा ही नहीं अन्य नदियां भी दुर्दशा की शिकार हैं। किसी भी नदी से अगर जल निकाल लिया जाए तो उसका मरना तय है। क्योंकि जल नदियों के लिए रक्त की तरह है'। उक्त बातें गोवर्धनमठ पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने गत 27 मई को दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान कहीं। कार्यक्रम में शंकराचार्य ने आध्यात्मिक, सामाजिक, राजनीतिक आदि कई विषयों को छुआ।
मतांतरण पर बोलते हुए स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि देश में दो तरह से मतांतरण हो रहा है। पहला घोषित और दूसरा अघोषित। घोषित मतांतरण वह है जो ईसाई मिशनरियों द्वारा लालच देकर कराया जाता है। अघोषित मतांतरण मैकाले की शिक्षा से हो रहा है। स्वामीजी ने कहा कि कहने को तो हम भारतीय रहेंगे लेकिन व्यावहारिक रूप से हमारी आने वाली पीढ़ी मतांतरित हो चुकी होगी।
स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि विश्व को हमने अर्थशास्त्र, दर्शनशास्त्र और विज्ञान शास्त्र दिया फिर भी हमें अपने अनुसार संविधान और शासनतंत्र सुलभ नहीं है। महानगरों के विकास को विनाश की संज्ञा देते हुए उन्होंने कहा कि महानगरों की संरचना महायंत्रों से होती है। महानगरों को बसाने के लिए खनिज पदार्थ पृथ्वी को खोखला करके हासिल किए जाते हैं। पर्वतों को तोड़ा जाता है। वन उजाड़े जाते है। इन सबके बिना महानगरों की कल्पना नहीं की जा सकती। इन सबके लिए महायंत्रों की जरूरत पड़ती है। इसलिए मानव अपनी बुद्धि से महायंत्रो के निर्माण को रोके, नहीं तो फिर इसे प्रकृति रोकेगी। प्रकृति जब रोकेगी तो बहुत महंगा पड़ेगा। उन्होंने कहा कि हम अपनी मेधा शक्ति, रक्षा शक्ति, वाणिज्य शक्ति और श्रम शक्ति से पूरे विश्व को चमत्कृत कर रहे हैं।
स्वामी जी ने कहा कि हमें विश्व के अन्य राष्ट्रों को सुसंस्कृत, सुशिक्षित, सुरक्षित, संपन्न और सेवा परायण राष्ट्र बनाना होगा। जब हम यह काम कर लेंगे तो हिन्दू राष्ट्र का निर्माण अपने आप हो जाएगा। कार्यक्रम में सर्वश्री उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक प्रकाश सिंह, भारतीय जनता पार्टी के पूर्व महासचिव संजय जोशी, वरिष्ठ पत्रकार रामबहादुर राय सहित दिल्ली के अनेक प्रख्यात गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने किया
महाराजा अग्रसेन विश्वविद्यालय (हि.प्र.) का उद्घाटन
महाराजा अग्रसेन विश्वविद्यालय, हिमाचल प्रदेश का औपचारिक उद्घाटन भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी द्वारा 25 मई 2013 (विक्रमी सम्वत् 2070, वैशाख पूर्णिमा) को जिला सोलन स्थित इसके परिसर में किया गया। इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश की राज्यपाल श्रीमति उर्मिला सिंह, मुख्यमंत्री श्री वीरभद्र सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री श्री प्रेम कुमार धूमल, प्रदेश के तकनीकी शिक्षा मंत्री, श्री जी. एस. बाली, पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री, श्री मदन मोहन मित्तल तथा हिमाचल प्रदेश और पंजाब के अनेक मंत्री और सांसद उपस्थित थे।
राष्ट्रपति ने विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए महाराजा अग्रसेन टेक्निकल एजुकेशन सोसाइटी की दूरदर्शिता, प्रतिबद्धता और प्रयास की भरपूर प्रशंसा की। उन्होंने इस विश्वविद्यालय की भविष्य में स्वास्थ्य विज्ञान, भारत विद्या, जनसंचार और पत्राचार के क्षेत्र में विकास करने की योजना की भी प्रशंसा की।
समारोह के आरम्भ में महाराजा अग्रसेन विश्वविद्यालय की कुलाधिपति और महाराजा अग्रसेन टेक्निकल एजूकेशन सोसाइटी के अध्यक्ष डा. नंद किशोेर गर्ग ने राष्ट्रपति और विश्वविद्यालय की स्थापना में योगदान देने वाले सभी सम्माननीय जन को आश्वासन दिया कि यह विश्वविद्यालय शिक्षा के क्षेत्र में, विशेषतया व्यावसायिक शिक्षा क्षेत्र में, उच्चतम केन्द्र बनेगा। महाराजा अग्रसेन के नाम पर स्थापित यह विश्वविद्यालय उनकी कर्तव्यनिष्ठा की परम्परा का पालन करते हुए छात्रों तथा जनसमुदाय का सम्मान करेगा।
डा. गर्ग ने यह भी कहा कि महाराजा अग्रसेन विश्वविद्यालय की आकांक्षा है कि यह भावी विद्यार्थियों, अध्यापकों और शोध-कर्ताओं के लिये प्रथम चुनाव बने और उच्चकोटि की शिक्षा प्रदान करने वाले विश्वविद्यालय के रूप में विश्वस्तर पर प्रसिद्ध हो।
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