ध्यान नहीं दिया तो लद्दाख को निगल जाएगा चीनभारत में चीनी सेना की घुसपैठ
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के बाद देशभर में इस घटना के विरुद्ध लोग सड़कों पर उतर आए। लोगों के आक्रोश और भारत सरकार की चीन सरकार से बातचीत के बाद चीनी सैनिकों के भारतीय सीमा से हटने के समाचार आए। लेकिन जिस क्षेत्र में चीनी सैनिकों ने घुसपैठ की वहां के जनप्रतिनिधियों का कहना है कि चीनी सेना अभी भी भारतीय क्षेत्र में ही मौजूद है। इन लोगों का यह भी कहना है कि यदि वर्तमान स्थिति पर ध्यान नहीं दिया गया तो चीन लद्दाख को निगल जाएगा।
भारतीय क्षेत्र में चीन की घुसपैठ और चीनी सैनिकों की थानेदारी का सामना कर रहे लद्दाख के लोगों की दयनीय स्थिति का आंखों देखा हाल गत 17 मई को नई दिल्ली में लद्दाख से आए जनप्रतिनिधियों ने स्वयं बताया। अवसर था इंडिया फाउण्डेशन द्वारा आयोजित 'बॉर्डर स्पीक' कार्यक्रम का। समारोह को लद्दाख के पूर्व सांसद श्री थुप्स्तान छेवांग, कुयाल (देमचोक) गांव के सरपंच श्री नवांग तांगे और न्योमा के पूर्व पार्षद श्री रिग्जिन नोरबू ने संबोधित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता ले.ज. (से.नि.) अरविंद शर्मा ने की।
श्री थुप्स्तान छेवांग ने भारतीय सीमा में चीनी घुसपैठ को चित्रों के जरिए प्रदर्शित करते हुए बताया कि देमचोक में पहले चीन की आबादी नहीं थी लेकिन अब चीन वहां पक्के मकानों का निर्माण करके चीनी नागरिकों को बसा रहा है। चीन ने वहां पुलिस थाने बना दिए हैं, पक्की सड़कें बनवाई जा रही हैं। भारतीय नागरिकों पर भी उसकी नजर है। चीन ने तो वहां सुविधाएं दे दीं लेकिन भारत सरकार ने लद्दाख में कोई विकास नहीं किया। जैसी पहले थी वैसी ही स्थिति आज है।
भारतीय क्षेत्र में चीनी घुसपैठ के बारे में विस्तार से बताते हुए श्री छेवांग ने कहा कि भारतीय क्षेत्र में चीनी घुसपैठ कोई नई बात नहीं है। 1962 में चीन ने हमारे बहुत बड़े भू-भाग को अपने कब्जे में ले लिया था। उसके बाद वह भारत की ओर लगातार बढ़ रहा है। 2010 के बाद से अब तक करीब 500 बार चीनी सेना भारत की सीमा पार कर चुकी है। भारत सरकार को इस स्थिति के बारे में विचार करना चाहिए। यदि ध्यान नहीं दिया गया तो हम देश का महत्वपूर्ण हिस्सा हमेशा के लिए खो देंगे। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर सरकार लद्दाख के साथ भेदभाव करती है। वह लद्दाख के बारे में नहीं सोचती।
श्री नवांग तांगे ने कहा कि सीमा पर भारत की काफी जमीन चीन ने ले ली है। चीन वहां घुसपैठ करता है जहां उसे जगह दिखती है। 1947 में 50 लोग घोड़ों पर सवार होकर भारतीय सीमा में घुस आए थे। उन्होंने यह भी कहा कि चीन के सैनिक हमें घर नहीं बनाने देते हैं। वे कहते हैं यह जमीन तो चीन की है और जब हम इसकी शिकायत आईटीबीपी को करते हैं तो वह हमें अपनी जमीन पर ही निर्माण करने से मना करते हैं। आने वाली पीढ़ी के लिए वहां बहुत मुश्किल होने वाली है। स्थानीय लोग कहते हैं कि चीन की सरकार पक्के घर बना रही है, सड़क बना रही है। मैं पूछता हूं, हमारी सरकार क्या कर रही है?
श्री नवांग नोरबू लद्दाख के लोगों की दयनीय स्थिति बताते-बताते भावुक हो गए, बोले कि सरकार तो दिल्ली में बैठी है, उसे क्या पता कि हम किस हालत में हैं। हम अपने भेड़-बकरियों को सीमांत क्षेत्रों में नहीं चरा सकते। हमारे ही लोग हमें वहां जाने से रोकते हैं। चीन के सैनिक हमें कभी भी-कहीं भी रोक लेते हैं और बेवजह हमारे सामान की तलाशी लेते हैं। तलाशी लेना तो बहाना है, दरअसल उनका मुख्य उद्देश्य हमें परेशान करना है। हमारा वहां कोई भविष्य नहीं है।
अध्यक्षता कर रहे ले.ज. (से.नि.) अरविंद शर्मा ने कहा कि बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि चीन भारतीय सीमा में लगातार घुसपैठ कर रहा है और हमारी सरकार नरम रुख अपनाए हुए है।
कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह सम्पर्क प्रमुख श्री राममाधव सहित बड़ी संख्या में दिल्ली के प्रबुद्ध नागरिक उपस्थित थे।
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