सप्ताह का साक्षात्कार : थुप्स्तान छेवांग
July 11, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

सप्ताह का साक्षात्कार : थुप्स्तान छेवांग

by
May 18, 2013, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

चीन इंच दर इंच भारत की ओर बढ़ रहा है

दिंनाक: 18 May 2013 13:41:35

 

चीनी सेना चुपके से भारतीय सीमा के अन्दर आ जाती है और तम्बू लगाकर जम जाती है। पिछले दिनों लद्दाख के दौलत बेग ओल्दी में यही हुआ था। चीनी घुसपैठ पर भारत सरकार की ढुलमुल नीति से देशवासियों में गुस्सा है। भारत–चीन सीमा के नजदीक रहने वाले लद्दाख के लोग अपने भविष्य को लेकर बेहद चिन्तित हैं। उन्हीं में से एक हैं लेह के पूर्व सांसद थुप्स्तान छेवांग। इनका कहना है कि 1962 में भारत और चीन के बीच हुए करार को चीन मानता ही नहीं है। लद्दाख क्षेत्र में चीनी सेना किस प्रकार घुसपैठ कर रही है, इस घुसपैठ के कारण लद्दाख के लोगों को किस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, इन्हीं मुद्दों पर अरुण कुमार सिंह ने उनसे बातचीत की, जिसके मुख्य अंश यहां प्रस्तुत हैं।

लद्दाख क्षेत्र में चीनी सेना बार–बार घुसपैठ करती है। वहां के एक प्रमुख नेता होने के नाते आप इसकी वजह क्या मानते हैं?

भारतीय क्षेत्र में चीनी सेना की घुसपैठ कोई नई बात नहीं है। 1962 में चीन ने हमारे एक बहुत बड़े भूभाग को अपने कब्जे में ले लिया था। उसी को अक्साई चिन कहा जाता है। इसके बाद भारत और चीन के बीच एक करार हुआ था। उस करार के अनुसार 1962 में सीमा पर जो स्थिति थी उसका सम्मान दोनों देशों को करना था। यानी जो जहां है वहीं रहेगा। किन्तु चीन ने कभी भी इस करार को नहीं माना। वह इंच दर इंच भारत की ओर बढ़ रहा है। भारत की सुरक्षा की दृष्टि से जो भी रणनीतिक महत्व के स्थान हैं उन सब पर चीन धीरे-धीरे कब्जा जमाने की कोशिश कर रहा है। 1962 में जो नियंत्रण रेखा तय की गई थी उससे बहुत आगे तक चीन भारत में घुस चुका है। चुमार से लेकर कराकोरम और पास के ग्लेशियर तक बहुत बड़े भूभाग पर चीनी सेना हमेशा मौजूद रहती है।

क्या उन क्षेत्रों में भारतीय फौज तैनात नहीं है?

नियंत्रण रेखा से अन्दर कुछ दूरी पर हमारी सेना और अर्द्धसैनिक बल तैनात हैं। जब भी चीनी सेना किसी नई जगह पर घुसपैठ करती है तो सेना के लोग भारत सरकार को खबर करते हैं। किन्तु दिल्ली में बैठी भारत सरकार की चीन नीति ऐसी है कि वह कभी आक्रामक होकर चीनी घुसपैठ का विरोध नहीं करती  है। उल्टे वहां के स्थानीय लोगों (जो भेड़-बकरी चराने के लिए सीमान्त क्षेत्रों में जाते हैं) को उन क्षेत्रों में जाने से हमारे ही लोग रोकते हैं। भारत की इस नीति से उत्साहित होकर चीनी सेना हमारे क्षेत्रों में घुस रही है। 2010 के बाद से अब तक करीब 500 बार चीनी सेना भारत की सीमा पार कर चुकी है। हमारी सुरक्षा की दृष्टि से यह बहुत ही गंभीर मामला है। लद्दाख के लोग चीनी घुसपैठ से बहुत चिन्तित हैं। उन्हें रोजाना ही कई तरह की समस्याओं से जूझना पड़ रहा है।

पिछले दिनों एक बार फिर चीनी सेना भारत के काफी अन्दर तक आ गई थी। कहा जा रहा है अब वह वापस हो गई है। इसमें कहां तक सच्चाई है?

वापस होने का तो मतलब ही नहीं है। वे लोग तो वर्षों से हमारी जमीन पर ही रह रहे हैं। हां, कभी 10-20 किलोमीटर आगे हो जाते हैं तो कभी पीछे। जैसा कि मैंने पहले ही कहा कि वे लोग हमारी धरती पर ही हैं। पिछले दिनों चीनी सेना हमारी जमीन पर वहां तक आ गई, जो रणनीतिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है। यह तीन घाटियों का संगम है। यह जगह नियंत्रण रेखा से तकरीबन 12 किलोमीटर अन्दर है। वहां सेना का 'ट्रांजिट कैंप' है। कुछ साल पहले वहां भारत ने सेना के लिए भवन भी बनाया था। किन्तु 2010 में चीन ने उस भवन को गिरा दिया था। आई.टी.बी.पी. के लोग वहां स्थायी रूप से नहीं रहते हैं। वहां से करीब 12 किलोमीटर अन्दर आई.टी.बी.पी. का स्थायी शिविर है। महीने में कम से कम चार बार आई. टी.बी.पी. और सेना  के लोग वहां जाते हैं। किन्तु इस बार शायद ज्यादा बर्फ पड़ने के कारण हमारे लोग वहां कम जा पाए। जब बर्फ कम हुई और हमारे सैनिक वहां गए तो उन्होंने देखा कि चीन की 'पेट्रोलिंग पार्टी' ने वहां अपना तम्बू लगा लिया है। इसकी खबर सेना ने सरकार को दी और फिर पूरे देश को पता चला कि चीनी सेना ने हमारे यहां घुसपैठ की है। खैर, कई वार्ताओं और बैठकों के बाद चीनी सेना ने वह जगह छोड़ दी है। पर यह भारत सरकार की जीत नहीं है।

सरकार तो दावा करती है कि उसने कूटनीतिक विजय प्राप्त की है।

सरकार चाहे जो दावा करे, पर मेरे विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि चीनी सेना जिस मकसद से वहां आई थी वह पूरा होने के बाद ही पीछे हटी है। चीन की यह मांग थी कि सीमा के पास भारत किसी भी चौकी पर स्थायी निर्माण न करे। भारत ने  शायद यह मांग मान ली है। इसके बाद ही चीन के कदम पीछे हटे हैं। यानी चीन ने अपना मकसद हासिल कर लिया है और हम कुछ भी हासिल नहीं कर पाए। हमने खोया ही खोया है। चीन एक ऐसा देश है जो किसी अंतरराष्ट्रीय संधि को नहीं मानता है। चीन अपनी मर्जी से सीमा निर्धारण करना चाहता है।

क्या अब नियंत्रण रेखा का कोई मतलब ही नहीं रह गया है?

जब आप दुश्मन को नियंत्रण रेखा पर नहीं रोकेंगे तो आप खुद तय करें कि आपके लिए नियंत्रण रेखा का कोई मतलब रह गया है कि नहीं। वे लोग हमारी जमीन में काफी अन्दर  तक आते रहे और हम लोग पीछे हटते रहे। वहां के निवासियों को जब लगा कि हमारी भूमि कब्जाई जा रही है, हमारी चरागाहों पर कब्जा हो रहा है तो उन्होंने विरोध किया। किन्तु सरकार ने उन लोगों को ही विरोध करने से रोक दिया। इस कारण वहां के लोग खासकर ठीक सीमा पर पर रहने वाले लोग बड़े चिन्तित हैं। भारत की गलत विदेश नीति के कारण 1959 में चीन ने तिब्बत पर कब्जा किया था। अगर उस समय भारत की विदेश नीति ठीक होती तो चीन की सीमा भारत से लगती ही नहीं और आज इस तरह की समस्याएं होती ही नहीं। हम चाहते हैं कि भारत सरकार चीन को रोके, यही नहीं, 1962 में चीन ने हमारे जिन क्षेत्रों पर कब्जा किया था, उन्हें छुड़ाया भी जाय।

 

 

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

अर्थ जगत: कर्ज न बने मर्ज, लोन के दलदल में न फंस जाये आप; पढ़िये ये जरूरी लेख

जर्मनी में स्विमिंग पूल्स में महिलाओं और बच्चियों के साथ आप्रवासियों का दुर्व्यवहार : अब बाहरी लोगों पर लगी रोक

सेना में जासूसी और साइबर खतरे : कितना सुरक्षित है भारत..?

उत्तराखंड में ऑपरेशन कालनेमि शुरू : सीएम धामी ने कहा- ‘फर्जी छद्मी साधु भेष धारियों को करें बेनकाब’

जगदीप धनखड़, उपराष्ट्रपति

इस्लामिक आक्रमण और ब्रिटिश उपनिवेशवाद ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था को नुकसान पहुंचाया : उपराष्ट्रपति धनखड़

Uttarakhand Illegal Madarsa

बिना पंजीकरण के नहीं चलेंगे मदरसे : उत्तराखंड हाईकोर्ट ने दिए निर्देश

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

अर्थ जगत: कर्ज न बने मर्ज, लोन के दलदल में न फंस जाये आप; पढ़िये ये जरूरी लेख

जर्मनी में स्विमिंग पूल्स में महिलाओं और बच्चियों के साथ आप्रवासियों का दुर्व्यवहार : अब बाहरी लोगों पर लगी रोक

सेना में जासूसी और साइबर खतरे : कितना सुरक्षित है भारत..?

उत्तराखंड में ऑपरेशन कालनेमि शुरू : सीएम धामी ने कहा- ‘फर्जी छद्मी साधु भेष धारियों को करें बेनकाब’

जगदीप धनखड़, उपराष्ट्रपति

इस्लामिक आक्रमण और ब्रिटिश उपनिवेशवाद ने भारतीय शिक्षा व्यवस्था को नुकसान पहुंचाया : उपराष्ट्रपति धनखड़

Uttarakhand Illegal Madarsa

बिना पंजीकरण के नहीं चलेंगे मदरसे : उत्तराखंड हाईकोर्ट ने दिए निर्देश

देहरादून : भारतीय सेना की अग्निवीर ऑनलाइन भर्ती परीक्षा सम्पन्न

इस्लाम ने हिन्दू छात्रा को बेरहमी से पीटा : गला दबाया और जमीन पर कई बार पटका, फिर वीडियो बनवाकर किया वायरल

“45 साल के मुस्लिम युवक ने 6 वर्ष की बच्ची से किया तीसरा निकाह” : अफगानिस्तान में तालिबानी हुकूमत के खिलाफ आक्रोश

Hindu Attacked in Bangladesh: बीएनपी के हथियारबंद गुंडों ने तोड़ा मंदिर, हिंदुओं को दी देश छोड़ने की धमकी

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies