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गत 1 मई को अमदाबाद में न्यायिक दंडाधिकारी बी जी गणत्र के समक्ष एसआईटी ने कहा कि निलंबित आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट ने तथ्यों को गलत ढंग से पेश किया है, वह कभी भी मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ शिकायत के गवाह नहीं थे। एसआईटी के अधिवक्ता आर.एस. जमुआर ने न्यायालय में कहा कि भट्ट मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की बैठक के गवाह नहीं थे, बल्कि वह सबकुछ गढ़ रहे हैं। उन्होंने न्याय मित्र राजू रामचंद्रन और उच्चतम न्यायालय को प्रभावित करने हेतु मीडिया का सहारा लिया। न्यायिक दंडाधिकारी बी जी गणत्र, जाकिया जाफरी की ओर से एसआईटी द्वारा मामले बंद करने के लिए दी गयी रपट के खिलाफ दायर की गई याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, एसआईटी ने मोदी को दंगों के संबंध में क्लीन चिट दी थी। एसआईटी के वकील ने मामले बंद करने के पक्ष में अपने साक्ष्य भी पेश किए और कहा कि भट्ट कभी भी विश्वसनीय गवाह नहीं रहे। संजीव भट्ट की आलोचना करते हुए जमुआर ने राज्य सरकार के द्वारा भट्ट के खिलाफ आपराधिक शिकायत की जांच के दौरान जुटाई गई कुछ ईमेल सामग्री का हवाला दिया। इसमें भट्ट द्वारा कथित तौर पर तीस्ता सीतलवाड़, नासिर चिप्पा गुजरात में प्रतिपक्ष के नेता शक्ति सिंह गोहित आईपीएस अधिकारी राहुल शर्मा को भेजे गये ईमेल शामिल हैं। प्रतिनिधि
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