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सरबजीत की मृत्यु पर शोक संवेदना व्यक्त करते हुए रा.स्व.संघ के अ.भा. प्रचार प्रमुख श्री मनमोहन वैद्य ने 2 मई को जो वक्तव्य जारी किया, उसका संपादित स्वरूप इस प्रकार है–
पाकिस्तान की जेल में हुए जानलेवा हमले में भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह की दु:खद मृत्यु से सारा देश गहरी चोट एवं आक्रोश अनुभव कर रहा है। भारत पर आतंकी हमले के दोषी पाये गए अफजल को सवोर्च्च न्यायालय के आदेश पर फांसी दिए जाने की प्रतिक्रिया के रूप में सरबजीत सिंह पर जेल में हमला हुआ था। यह हमला सरबजीत सिंह नामक व्यक्ति पर नहीं, अपितु भारत के संविधान और न्यायिक प्रक्रिया पर किया गया परोक्ष प्रहार था। सरबजीत सिंह ने पाकिस्तानी अधिकारियों के समक्ष स्वयं पर हमला होने की आशंका जताई थी। परंतु इसके बावजूद वहां की सरकार ने उनकी उचित सुरक्षा अथवा उन्हें सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित करने के लिए कोई उचित कदम नहीं उठाया। यह अपने आप में अति गंभीर त्रुटि है।
सरबजीत का क्या अपराध था? पाकिस्तानी न्यायालय द्वारा उन्हें जो सजा सुनाई गई वह कितनी उचित थी? अभी इस पर भी मतैक्य नहीं है। ऐसे में सजा काट रहे व्यक्ति को जेल में ही निशाना बनाया जाना पाकिस्तान की पूरी व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है। भारत सरकार को इस विषय का गंभीरता से संज्ञान लेते हुए पाकिस्तान की कड़ी भर्त्सना करनी चाहिए।
आज सरबजीत सिंह के परिजन गहरे दु:ख के भंवर में हैं। उनके आंसू और छटपटाहट पूरे राष्ट्र के मानस को मथ रही है। परिजनों की पीड़ा और राष्ट्र का गुस्सा सर्वथा उचित ही है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ दु:ख की इस घड़ी में दिवंगत सरबजीत सिंह के परिवार के साथ खड़ा है। सरबजीत सिंह की आत्मा को परम शांति प्राप्त हो तथा परिजनों को यह असीम दु:ख सहन करने की शक्ति मिले यही परमेश्वर से प्रार्थना है।
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