पाकिस्तान की चुनावी चर्चा में
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अदालत से फरार हुए मुशर्रफ को गिरफ्तार कर भेजा 'ट्रांजिट रिमांड' पर
चुनाव आयोग ने उम्मीदवारों से पूछे सवाल-
आर्मस्ट्रांग के बाद चांद पर दूसरा कदम किसने रखा?
संसद में चुनी गईं तो घर में बच्चे कौन संभालेगा?
'ग्रेजुएट' की 'स्पेलिंग' क्या है?
11 मई को पाकिस्तान में आम चुनाव सम्पन्न होंगे। नामांकन पत्रों की जांच जारी है। जांच करने वाले अधिकारी उम्मीदवारों से कुछ अटपटे और अप्रासंगिक सवाल पूछकर यह जताना चाहते हैं कि पाकिस्तान की नौकरशाही में अब भी तानाशाही शेष है। नामांकन भरने वालों से इस्लाम और कुरान सम्बंधी जानकारियों के बारे में प्रश्न पूछे जाते हैं। नामांकन भरने वाले एक नेता से सवाल पूछा गया कि चांद पर पहला कदम किस व्यक्ति ने रखा? पूर्व विधायिका शमशाद गौहर से पूछा गया कि तुम यदि संसद में गईं तो तुम्हारे बच्चों की देखभाल कौन करेगा? कराची में एक सुन्नी नेता से पूछा गया कि वे 'ग्रेजुएट' और 'ला डिग्री' की 'स्पेलिंग' बताएं? असलम खटक से पूछा गया कि यदि चांद पर पहला कदम आर्मस्ट्रांग ने रखा था तो दूसरा किसने रखा? जो लोग सही उत्तर नहीं दे सके उनके नामांकन रद्द कर दिए गए। वरिष्ठ पत्रकार आमिर अयाज का नामांकन इसलिए रद्द कर दिया गया क्योंकि उन्होंने अपने एक लेख में पाकिस्तान की स्थापना को 'गैर-जरूरी' बताया था।
सवाल यह है कि इस प्रकार के अटपटे सवाल पूछे जाने का क्या औचित्य है? पाकिस्तान का चुनाव आयोग और सर्वोच्च न्यायालय दोनों ही चुनाव के मामले में कड़ा रुख अपनाए हुए हैं। पंजाब उच्च न्यायालय ने कसूर चुनाव क्षेत्र से पूर्व राष्ट्रपति मुशर्रफ का आवेदन रद्द कर दिया है। इतना ही नहीं, 18 अप्रैल की सुबह इस्लामाबाद उच्च न्यायालय में अपनी अंतरिम जमानत की मियाद बढ़वाने पहुंचे मुशर्रफ तब अपने अंगरक्षकों के घेरे में अदालत से गुपचुप फरार हो गए जब उन्हें गिरफ्तार करने का आदेश सुनाया गया। उन पर 2007 में आपातकाल के दौरान 60 जजों को बर्खास्त करने का आरोप है। न्यायमूर्ति शौकत अली ने उनकी जमानत की मियाद बढ़ाने की अर्जी खारिज करते हुए पुलिस को उन्हें फौरन गिरफ्तार करने का हुक्म दिया। लेकिन पुलिस उन तक पहुंचती उससे पहले ही उनके अंगरक्षक उन्हें गाड़ी में बैठाकर अदालत से निकल गए। 19 अप्रैल की सुबह पुलिस ने मुशर्रफ को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया। जहां उन्हें 2 दिन की 'ट्रांजिट रिमांड' पर भेज दिया गया।
मुशर्रफ को इस बात का अच्छे से अनुमान है कि पाकिस्तान की न्यायपालिका उनकी विरोधी है। सर्वोच्च न्यायालय उन्हें देशद्रोही एवं बेनजीर तथा अकबर बुग्ती की हत्या के लिए उत्तरदायी स्वीकार कर ले तो आश्चर्य की बात नहीं है।
यह पाकिस्तान में 14वां आम-चुनाव है। पर पहली बार किसी सरकार ने अपने पांच वर्ष की अवधि पूर्ण की है। सबसे अधिक चौंकाने वाली बात तो यह है कि इस चुनाव में महिलाएं अधिक सक्रिय हैं। पिछले चुनाव में बेनजीर की हत्या के कारण पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी को भारी बहुमत मिल गया था, लेकिन इस बार फिलहाल वैसा नहीं लगता है।
ब्रिटिश काउंसिल का सर्वेक्षण बताता है कि पाकिस्तान के युवाओं का झुकाव अब भी शरीयत द्वारा प्रेरित व्यवस्था की ओर अधिक है। आधे से अधिक मतदाता बताते हैं कि लोकतंत्र पाकिस्तान के लिए ठीक नहीं है। 18 से 29 वर्ष के पांच हजार युवाओं से पूछे गए प्रश्नों में से 94 प्रतिशत युवाओं का कहना था कि उनका देश सही दिशा में नहीं जा रहा है। पिछले पांच वर्षों में युवा पीढ़ी ने जो कुछ देखा वह उससे संतुष्ट नहीं है। ऐसा ही एक सर्वेक्षण 2007 के चुनाव के समय भी किया गया था। उस सर्वेक्षण में सर्वाधिक मत शरीयत वाली व्यवस्था के पक्ष में डाले गए थे। दूसरे नम्बर पर सैनिक सरकार, जबकि लोकतंत्र के पक्षधर तीसरे नम्बर पर थे। वर्तमान में हुए सर्वेक्षण में 25 प्रतिशत युवाओं का कहना है कि वे देश में जारी हिंसा से प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हुए हैं। वे किसी न किसी हिंसक घटना के साक्षी हैं। पाकिस्तान में कबाइली क्षेत्र में हिंसा से प्रभावित होने वाले लोगों का प्रतिशत 70 है। पाकिस्तान के वर्तमान चुनाव में 30 वर्ष से कम उम्र के मतदाताओं की भूमिका मानी जा रही है।
नामांकन पत्र भरने के साथ ही पाकिस्तान के अखबार भी इस चुनाव को बड़ी आशा भरी निगाहों से देख रहे हैं। 'दी नेशन' ने जनता से आग्रह किया गया है कि वह भ्रष्टाचार को हमेशा के लिए दफना दे।
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