फटी धरती में पड़ी दरारों से उठता भभका और आसमान को तकती सूनी आंखें। पशु मर रहे हैं, मीलों-मील तक फसलें जल चुकी हैं। लोग प्यास से छटपटा रहे हैं।
दूसरी तरफ जम्पिंग जपांग पर ठुमकते आई पी एल के मैदान हरे रखने और शक्कर लाबी की फसल बचाने के लिए करोड़ों लीटर पानी और अथाह पैसा बह रहा है। शासकीय उपेक्षा और अक्षमता को सामने रखते यूपीए शासन के यह दो चेहरे आज लोगों को चुभ रहे हैं।
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