राजस्थान सरकार की करतूत
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राष्ट्रभक्तों कोरखा देशद्रोहियों की कतार में
जिस संगठन को राष्ट्रभक्ति की वजह से राजधानी दिल्ली में गणतंत्र दिवस की परेड में शामिल होने का निमंत्रण दिया गया हो और जिसने प्राकृतिक और अप्राकृतिक आपदाओं के समय आगे आकर सहायता की हो ऐसे रा.स्व.संघ को देशद्रोहियों की कतार में खड़ा किया जा रहा है। रा.स्व.संघ को देशविरोधी गतिविधियों में लिप्त रहे जमात–ए–इस्लामी के बराबर रखा जा रहा है। यह कारनामा किया है राजस्थान सरकार ने। सरकार की इस करतूत के उजागर होते ही रा.स्व.संघ एवं उससे जुड़े संगठनों ने पूरे राज्य में विरोध प्रदर्शन कर सरकार के इस निर्णय को निरस्त करने की जोरदार मांग की है।
हम राजस्थान सरकार और कांग्रेस के इस रवैये की कठोर निंदा करते हैं। रा.स्व.संघ से संबंध न रखने का शपथ पत्र भरवाना पूरी तरह असंवैधानिक और राजनीति से प्रेरित है। कांग्रेस को खेलों के बीच राजनीति नहीं लानी चाहिए। –मनमोहन वैद्य, अ.भा. प्रचार प्रमुख, रा.स्व.संघ
बार–बार मुंह की खाने के बाद भी कांग्रेस राष्ट्रवादी संगठन रा.स्व.संघ का दुष्प्रचार करना बंद नहीं कर रही। इस बार कारनामा कांग्रेस के किसी नेता या मंत्री ने नहीं किया, बल्कि कांग्रेस शासित राज्य सरकार के अधीन राजस्थान राज्य क्रीड़ा परिषद ने किया है। परिषद ने पुरस्कृत किए गए खिलाड़ियों से रा.स्व.संघ से संबंध एवं उसकी गतिविधियों में भाग न लेने का शपथ पत्र भरवाया है। इस कारनामे का पता चलते ही रा.स्व.संघ एवं अन्य सामाजिक संगठनों का सरकार और क्रीड़ा परिषद के विरुद्ध प्रदर्शन जारी है। राज्य के कुछ खिलाड़ियों ने शपथ पत्र भरने से इंकार करते हुए पुरस्कार का बहिष्कार कर दिया है। परिषद ने खिलाड़ियों से रा.स्व.संघ के साथ-साथ जमात-ए-इस्लामी से भी संबंध न रखने का शपथ पत्र भरवाया है।
जयपुर (राजस्थान) के सवाई मानसिंह स्टेडियम में गत 12 अप्रैल को राज्य क्रीड़ा परिषद की ओर से खेलों में स्थान प्राप्त करने वाले खिलाड़ियों को पुरस्कृत करने के लिए भव्य समारोह का आयोजन किया गया था। इसमें राज्य सरकार द्वारा अनुदान के रूप में दी गई 2 करोड़ 26 लाख की राशि करीब 350 खिलाड़ियों को दी जानी थी। लेकिन खिलाड़ियों से रा.स्व.संघ से संबंध न रखने का शपथ पत्र भरवाए जाने की बात सामने आते ही समारोह फीका पड़ गया। परिषद के अनुमान के विपरीत संख्या में खिलाड़ी समारोह में पहुंचे। पुरस्कार की योग्यता रखने वाले बॉलीवाल के 47 खिलाड़ियों ने तो शपथ पत्र भरने से इंकार करते हुए समारोह का बहिष्कार ही कर दिया। खिलाड़ियों का कहना है कि पुरस्कार देने के लिए शपथ पत्र भरवाया जाना बेवजह है। रा.स्व.संघ कोई प्रतिबंधित संगठन नहीं है। हम कोई शपथ पत्र नहीं देंगे। समारोह के दौरान ही रा.स्व.संघ, क्रीड़ा भारती, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद एवं अन्य सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया, जिसके चलते आयोजकों को जल्द ही समारोह समाप्त करना पड़ा। 12 अप्रैल के बाद से ही पूरे राजस्थान में जगह-जगह विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि रा.स्व.संघ कोई प्रतिबंधित संगठन नहीं है, जिससे सम्बंध न रखने का शपथ पत्र भरवाया जा रहा है। यह निर्णय तुरन्त वापस लिया जाए।
क्रीड़ा भारती राजस्थान ने विज्ञप्ति जारी कर परिषद द्वारा खिलाड़ियों से शपथ पत्र भरवाए जाने को अनुचित और गैर कानूनी करार दिया। क्रीड़ा भारती, राजस्थान के सचिव श्री रामानंद चौधरी की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि रा.स्व.संघ एक राष्ट्रवादी संगठन है। राष्ट्रविरोधी कार्यों में लिप्त रहे जमात-ए-इस्लामी से संघ की तुलना करना अनुचित है। क्रीड़ा भारती परिषद के इस कृत्य की निंदा करती है। राजस्थान बॉलीवाल एसोसिएशन के महासचिव श्री राम अवतार जाखड़ ने कहा कि पहली बार ऐसा हुआ है कि खिलाड़ियों से किसी राष्ट्रवादी संगठन से संबंध न रखने का शपथ पत्र भरवाया जा रहा है। संघ की गतिविधियों से युवाओं में देशप्रेम की भावना जाग्रत होती है। संघ से संबंध न रखने का शपथ पत्र भरवाना बहुत ही निंदनीय है। इस संबंध में राज्य क्रीड़ा परिषद के अध्यक्ष शिवचरण माली का कहना है कि परिषद तो सरकार के नियमों का पालन कर रही है। विरोध के बारे में संबंधित अधिकारियों को अवगत करा दिया गया है। वहीं राज्य के खेल मंत्री मांगीलाल गरसिया ने कहा कि नियमों का पालन होना जरूरी है। यह नियम 1986 से जारी है। जो भी फैसला होगा मंत्रिमंडल में होगा, लेकिन अभी यह नियम जारी* पाञ्चजन्य ब्यूरो
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की देशभक्ति
सन् 1962 में हुए भारत-चीन युद्ध के समय रा.स्व.संघ की देशभक्ति के चलते तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने संघ को 1963 में राजपथ पर गणतंत्र दिवस की परेड में शामिल होने का निमंत्रण दिया था। संघ ने भी निमंत्रण स्वीकार करते हुए परेड में भाग लिया। इस परेड में संघ के साढ़े तीन हजार गणवेशधारी स्वयंसेवकों ने भाग लिया था। इसके अलावा संघ के स्वयंसेवकों ने गुजरात में आए भूकंप, दक्षिण भारत में आए तूफान 'सुनामी', चरखी-दादरी में हुए विमान हादसे आदि के समय बिना किसी भेदभाव के पीड़ितों की सहायता की थी। जब-जब देश में कोई आपदा आती है संघ का स्वयंसेवक मदद के लिए तैयार रहता है।
जमात–ए–इस्लामी के कारनामे
बंगलादेश में बर्बर अत्याचार के लिए मौत की सजा पाने वाले जमात-ए-इस्लामी के उन्मादियों को रिहा करने की मांग करने वाले जमात-ए-इस्लामी की रा.स्व.संघ से तुलना की जा रही है। हाल ही में जमात-ए-इस्लामी हिन्द के राष्ट्रीय अध्यक्ष जलालुद्दीन उमरी ने अजमेर में कहा था कि जमात-ए-इस्लामी के प्रसिद्ध नेता अबुल कलाम आजाद और दिलावर हुसैन की मौत की सजा को बंगलादेश सरकार वापस लेकर उन्हें रिहा करे। जमात-ए-इस्लामी की राष्ट्रविरोधी गतिविधियों की जांच कराने के लिए वर्ष 2010 में केरल उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को आदेश दिए थे।
कांग्रेस का चरित्र
हाल ही में केन्द्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने अपने उस बयान पर माफी मांगी थी जिसमें उन्होंने कहा था कि संघ के शिविरों में आतंकवाद का प्रशिक्षण दिया जाता है। जयपुर में हुए कांग्रेस के चिंतन शिविर में शिंदे ने यह बयान दिया था। हालांकि शुरू में कांग्रेस के सभी नेताओं ने शिंदे के बयान का समर्थन किया था लेकिन जैसे-जैसे बयान का विरोध होना शुरू हुआ सब नेता शिंदे के बयान से अलग होते चले गए। अंत में शिंदे ने अपने बयान पर माफी मांगी। यानी कांग्रेस का चरित्र कहने के बाद अपनी बात से मुकरने का रहा है।
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