राम की अयोध्या में सरकार ने रोकी रामलीला
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नहीं भेजा रामकथा और रामलीला के लिए सरकारी अनुदान
राम की जन्म-स्थली अयोध्या में पिछले कितने ही सालों से लगातार होती आई रामलीला पर उस मुलायम पुत्र अखिलेश की सरकार ने रोक लगवा दी है जिसने आजम खां को कुंभ मेला का प्रभारी मंत्री बनाया था। दुनिया में सबसे ज्यादा दिनों तक लगातार मंचित होती आई रामलीला का अब पर्दा गिरवा दिया गया है।
हुआ यूं है कि अयोध्या में उत्तर प्रदेश सरकार के संस्कृति विभाग की एक स्वायत्त संस्था अयोध्या रिसर्च इंस्टीट्यूट अनुसंधान, पुस्तक प्रकाशन और कई दूसरी गतिविधियों के साथ ही लगातार नौ साल से रामलीला का मंचन करता आ रहा था। अयोध्या वासियों के साथ ही इस तीरथ नगरी में आने वाले भक्तों में यह रामलीला बेहद लोकप्रिय थी और लोग इसे खूब देखते थे। हर साल इस इंस्टीट्यूट को अपनी तमाम गतिविधियों के संचालन के लिए 2.73 करोड़ रु. राज्य सरकार की तरफ से मिलते रहे थे, पर इस नए वित्त वर्ष में अखिलेश सरकार ने लखनऊ से पैसा ही रोक दिया। पिछले साल के अनुदान की दूसरी किश्त भी नहीं दी गई थी। लेकिन यह सोचकर कि देर-सवेर पैसा आने ही वाला है, रामलीला और बाकी सारे काम उधार पर चलते रहे। पर अब तो अगला वित्त वर्ष आ गया। पैसा नहीं आया। न पिछला, न अगला।
इंस्टीट्यूट के निदेशक वाई. पी. सिंह आहत हैं। वे बताते हैं, 'पिछले साल के बजट के 90 लाख रु. नहीं भेजे गए। लोग उधार पर काम करते रहे, लेकिन फंड की कमी होने पर हमारे पास इंस्टीट्यूट के कार्यक्रमों को रोक देने के अलावा कोई चारा ही नहीं बचा, क्यों कि हम पर 80-90 लाख रु. का उधार जो चढ़ गया था।' बड़े दुखी मन से वाई. पी. सिंह ने रामलीला मंचन के सभागार तुलसी स्मारक भवन के बाहर नोटिस चिपकवा दिया कि भई, रामलीला नहीं होगी और न ही उससे पहले शाम के 4 से 5 बजे के बीच होने वाली राम कथा ही हो पाएगी।
कैसी विडम्बना है कि रामलीला और रामकथा का आयोजन पिछले नौ साल से साल के 365 दिन होता आ रहा था और यह 20 मई 2004 को तब शुुरू हुआ था जब मुलायम सिंह राज्य के मुख्यमंत्री थे। अब इस पर तब गाज गिराई जा रही है जब उनके बेटे का राज है। यानी उ.प्र. का संस्कृति विभाग ही अयोध्या में भारत की संस्कृति पर चोट कर रहा है। भाजपा ने इस सब के लिए अखिलेश के अल्पसंख्यक तुष्टीकरण को जिम्मेदार बताया है कि वह मुसलमानों को खुश करना का कोई मौका नहीं छोड़ते और हिन्दुओं की आस्था को सदा नजरअंदाज करते हैं।
विद्या भारती संस्थान, उदयपुर (राजस्थान) द्वारा संचालित विद्या निकेतन विद्यालयों की प्रबन्ध समिति के पदाधिकारियों का एक दिवसीय सम्मेलन गत दिनों सनवाड़ स्थित विद्या निकेतन उच्च प्राथमिक विद्यालय में सम्पन्न हुआ।
सम्मेलन का उद्घाटन संस्थान के मंत्री श्री सुरेन्द्र सिंह राव, उपाध्यक्ष डा. मधुसुदन शर्मा, सह मंत्री डा. चन्द्रशेखर चौबीसा ने संयुक्त रूप से किया। संस्थान के व्यवस्थापक श्री रमेशचन्द्र शुक्ल ने उपस्थित पदाधिकारियों का परिचय कराया।
समापन सत्र में विद्या भारती, राजस्थान के अध्यक्ष श्री मनोहर लाल कालरा के कहा कि हमें छात्रों को मात्र किताबी शिक्षा नहीं देनी, अपितु सम्पूर्ण व्यक्तित्व निर्माण की शिक्षा देनी है।
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