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'हमने सालों से कोई त्योहार नहीं मनाया। हम हिन्दू हैं, मगर पहचान छिपाकर रहने को मजबूर हैं। मुसलमानों के लिए मजदूरी करते हैं, बदले में हर वक्त आशंका रहती है कि जाने क्या बुरा हो जाए। हमें जिंदा रखते हैं तो सिर्फ मजदूरी कराने के लिए। मैं हाथ जोड़कर विनती करती हूं- हमारी सुध लो। वहां मत भेजो चाहे भारत में ही मार दो। मैं आपके सामने यह सब बोल रही हूं यह जानते हुए भी कि ऐसा बोलने से पाकिस्तान में मेरे परिवार की जान को खतरा हो सकता है।' –जमुना देवी
'बिरादरी की महिलाओं की सरेआम बेइज्जती, पूजा के ठौर-ठिकानों का अपमान। आप सोच नहीं सकते, वह सब कुछ वहां होता है। पाकिस्तान हिन्दुओं के लिए नर्क बन चुका है। अगर आप लोग अब भी हमारे लिए कुछ नहीं करेंगे तो हम मजबूरों की बद्दुआ लगेगी। भारत के क्रिकेट मैच जीतने पर हमें कई दिन तक घरों में छुपे रहना पड़ता है, हमारी शामत आ जाती है।' –हनुमान
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