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विवेकानंद योग अनुसंधान संस्थान, बंगलूरू के कुलपति डा. एच.आर. नागेन्द्र को गत 3 अप्रैल को नई दिल्ली में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के तीसरे शिक्षाविद् सम्मान से सम्मानित किया गया। उनको यह सम्मान रा.स्व.संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने दिया। मंच पर रामकृष्ण मठ, दिल्ली के सचिव स्वामी शांतात्मानंद, न्यास के अध्यक्ष श्री दीनानाथ बत्रा एवं सचिव श्री अतुल कोठारी भी आसीन थे। इससे पहले न्यास द्वारा जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व प्रति कुलपति डा. कपिल कपूर एवं एच.बी.टी.आई. कानपुर में प्राध्यापक प्रो. गणेश बागड़िया को भी इस सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है।
कार्यक्रम का शुभारम्भ मंचस्थ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया। इसके बाद सरस्वती विद्या मंदिर के छात्रों ने संगीत के साथ सुंदर सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। तत्पश्चात डा. नागेन्द्र को श्री भागवत एवं स्वामी शांतात्मानंद ने शाल, श्रीफल, स्मृति चिह्न और 51 हजार रुपए का चैक भेंट कर सम्मानित किया।
श्री अतुल कोठारी ने न्यास के बारे मेंे बताते हुए कहा कि छात्रों को मूल्य आधारित शिक्षा मिले इसके लिए न्यास प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए न्यास द्वारा सम्मान का यह कार्यक्रम पिछले दो साल से चल रहा है। डा. नागेन्द्र मूल्य आधारित शिक्षा देने के कार्य में लगे हुए हैं इसलिए इस वर्ष का सम्मान उनको दिया गया है। कार्यक्रम में शिक्षा क्षेत्र से जुड़े देशभर के गणमान्य नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
शिक्षा मनुष्य का कर्तव्य है। शिक्षा ऐसी हो जो स्वगौरव जगाए, स्वावलंबी बनाए। शिक्षा से स्वभाषा, स्वभूषा, स्वगौरव का निर्माण होना चाहिए। हमें ऐसी शिक्षा चाहिए जो सम्पूर्ण विश्व के कल्याण का धर्म सिखाए।
–मोहनराव भागवत
सरसंघचालक, रा.स्व.संघ
स्वामी विवेकानंद ने कहा था– ‘ʶÉIÉÉ सम्पूर्ण व्यक्तित्व का निर्माण करने वाली ½þÉä’* हम इसी उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए कार्य कर रहे हैं। भारत के प्राचीन ग्रंथों के ज्ञान को शोध के माध्यम से दुनिया के सामने लाने का कार्य भी हम कर रहे हैं।
–डा. एच.आर. नागेन्द्र
कुलपति, विवेकानंद योग अनुसंधान संस्थान, बंगलूरू
अंग्रेजों ने भारत पर लंबे समय तक शासन करके हमारी संस्कृति पर बहुत आघात किए। दुख की बात यह है कि जिन्होंने देश का संविधान बनाया उन्होंने भी इस बात पर ध्यान नहीं दिया।
–स्वामी शान्तात्मानंद
सचिव, रामकृष्ण मठ, दिल्ली
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