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छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के प्रमुख व्यापारिक केन्द्र गुढ़ियारी क्षेत्र से लगी मजदूर बस्ती छोटे-छोटे मोहल्लों के बीच बसी हुई है। इस सघन बस्ती के बीच से गुजरती तंग गलियों के किनारे एक झोपड़ीनुमा घर में रहने वाले सारंग परिवार के दो होनहार सुपुत्रों रुस्तम और अजय सारंग तथा उनके पिता बुधराम सारंग ने भारोत्तोलन (वेट लिफ्टिंग) के खेल में शानदार प्रदर्शन कर विश्व पटल पर छत्तीसगढ़ का नाम रोशन किया है।
भारोत्तोलन के खेल में सारंग परिवार के इन तीन खिलाड़ियों का अपने खेल के शुरुआती दिनों के संघर्ष और सपनों को साकार करने के जज्बे ने उनके संकल्प को दृढ़ता प्रदान की और विजय का विश्वास लगातार मजबूत होता गया।
स्व. समारूराम सारंग कुश्ती के सिद्धहस्त खिलाड़ी थे। उनके पदचिह्नों पर चलकर सुपुत्र बुधराम सारंग भी कुश्ती के दांवपेचों के मंझे हुए खिलाड़ी बन गये।
श्री बुधराम ने बताया कि परिवार के जो थोड़े-बहुत खेत थे उन्हें पिताजी ने बेच दिया और जो पुश्तैनी घर था उसका परिवार में बंटवारा हो गया। बुधराम के हिस्से में खपरैल की छत वाला मिट्टी का एक कमरे का झोपड़ीनुमा घर ही आया। घर इतना छोटा था कि एक खटिया अगर बिछा दी जाती तो चलना-फिरना भी मुश्किल था। ऐसे में परिवार के सभी लोग जमीन पर ही सोते थे। पिता श्री बुधराम के खेल के प्रति समर्पण और लगातार अभ्यास को देखते रुस्तम और अजय में भी वेटलिफ्टिंग के प्रति रुचि जाग्रत हुई। दोनों ने भारी अभावों के बीच कठिन परिश्रम और अभ्यास शुरू किया। उस समय दोनों की आयु क्रमश: 14 और 12 वर्ष थी। वेटलिफ्टिंग जैसे श्रम साध्य खेल के लिए पौष्टिक आहार की अत्यंत आवश्यकता होती है। पिता श्री बुधराम ने हाड़तोड़ मेहनत कर और अपने खर्चों में कटौती कर दोनों बेटों के लिए आहार की जो व्यवस्था की उसका खर्च हर दिन प्रत्येक पर 200 रुपये बैठता था। लेकिन जरूरत इससे दुगुने से भी ज्यादा की थी। इसके साथ ही विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए अलग-अलग जगहों पर आने-जाने का खर्च जुटाना भी बड़ी समस्या थी। बेहद कठिन परिस्थितियों में पिता ने अपने साथ दोनों बेटों के खेल को तराशने की शुरुआत की। 2003 में श्री बुधराम के भाई के निधन से स्थिति और भी गंभीर हो गयी। लेकिन बच्चों का प्रशिक्षण जारी रखा। 2005 में रुस्तम की मेहनत रंग लाई। कालीकट में हुई जूनियर नेशनल वेटलिफ्टिंग चैम्पियनशिप में रुस्तम ने रजत पदक जीता। केरल में कैम्प में रहकर अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए प्रशिक्षण के दौरान परीक्षण खेलों में रुस्तम ने प्रथम स्थान प्राप्त किया। 2005 में ही ताशकंद में हुए यूथ एशिया कप प्रतियोगिता में रुस्तम ने दो स्वर्ण पदक और एक रजत पदक जीता। भारत में नेशनल चैम्पियनशिप में खिताब जीतने के बाद से रुस्तम के लिए भारत सरकार की ओर से भारतीय खेल प्राधिकरण द्वारा प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई। पिछले 9 वर्षों से रुस्तम लगातार बेंगलूरू, पूना, हिमाचल प्रदेश, पटियाला के प्रशिक्षण केन्द्रों में उच्चस्तरीय प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। रुस्तम और अजय दोनों वर्तमान में पटियाला में भी प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं। जून में थाईलैंड में होने वाली एशिया चैम्पियनशिप में दोनों भाई खेलेंगे।
खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए वर्ष 2006 में रुस्तम को छत्तीसगढ़ शासन ने छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल में नौकरी देकर कुछ हद तक उनकी आर्थिक जरूरतों की पूर्ति के साथ ही उनके खेल को भी सम्मानित किया। छत्तीसगढ़ सरकार ने वर्ष 2009 में रुस्तम को शहीद कौशल यादव सम्मान, वर्ष 2010 में शहीद राजीव पांडे सम्मान एवं गुंडाधुर सम्मान प्रदान किया। रुस्तम के साथ ही अजय ने भी राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में अपने हुनर का परचम लहराया। विगत जनवरी में हुई आल इंडिया चैम्पियनशिप में प्रथम स्थान प्राप्त कर रुस्तम ने स्वर्ण पदक जीता तो तृतीय स्थान प्राप्त कर अजय ने कांस्य पदक जीता। अजय ने वर्ष 2004-05 में राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय खेलों में भाग लेना शुरू किया और अनेक पदक-पुरस्कार जीते। 2006 में रुस्तम को शासकीय नौकरी मिली। रुस्तम और उनके पिता ने मिलकर अजय के खेल को संवारा। छत्तीसगढ़ सरकार ने खेल के क्षेत्र में समर्पण और लगातार विजय हासिल करने वाले अजय सारंग को भी वर्ष 2011 में शहीद कौशल यादव पुरस्कार, फिर 2012 में शहीद राजीव पांडे सम्मान तथा गुंडाधुर सम्मान देकर सम्मानित किया। अजय वर्तमान में भारत संचार निगम लिमिटेड, रायपुर में खेल अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। अजय ने मलेशिया, श्रीलंका, पाकिस्तान और थाईलैंड में खेलते हुए विभिन्न प्रतियोगिताओं में रजत, कांस्य पदक प्राप्त किए। सीनियर इंडिया वेटलिफ्टिंग चैम्पियनशिप, पुणे में रजत पदक प्राप्त किया। हरियाणा और उ.प्र. के मोदी नगर में हुई सीनियर नेशनल प्रतियोगिता और नोएडा में हुई जूनियर नेशनल प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक प्राप्त किया। सारंग परिवार में पिता बुधराम, पुत्र अजय और रुस्तम तीनों पदक विजेता हैं और तीनों को खेल में उल्लेखनीय योगदान के कारण नौकरियां प्राप्त हुईं। श्री बुधराम ने अविभाजित मध्य प्रदेश में छत्तीसगढ़ की ओर से खेलते हुए सीनियर वेटलिफ्टिंग चैम्पियनशिप में रजत और कांस्य पदक जीते थे।
2010 में राष्ट्रमंडल खेलों में छत्तीसगढ़ के एकमात्र खिलाड़ी के रूप में शामिल रुस्तम ने चौथा स्थान प्राप्त किया। 2014 में होने वाले राष्ट्रमण्डल खेलों में पदक जीतना रूस्तम का लक्ष्य है। साथ ही इस वर्ष 2013 में कजाकिस्तान, पोलैंड और मलेशिया में होने वाली अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेकर भारत के लिए पदक जीतना उनकी प्राथमिकताओं में है। हेमन्त उपासने
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