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इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर चुके हर्ष गुप्ता ने कम लागत की आधुनिकतम तकनीक अपनाकर खेती को लाभ का सौदा साबित किया है।
खूबसूरत और व्यवस्थित खेती का उदाहरण है नरसिंहगढ़ के हर्ष गुप्ता का फार्म। वह खेती के लिए अत्याधुनिक, लेकिन कम लागत की तकनीक का उपयोग करते हैं। जैविक खाद इस्तेमाल करते हैं। इसे तैयार करने की व्यवस्था उन्होंने अपने फार्म पर ही कर रखी है। किस पौधे को किस मौसम में लगाना है। पौधों के बीच कितना अंतर होना चाहिए। किस पेड़ से कम समय में अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है। किस पौधे को कितना और किस पद्धति से पानी देना है। इस तरह की हर छोटी-बड़ी, लेकिन महत्वपूर्ण जानकारी उनके दिमाग में है। जब वे पौधों के पास खड़े होकर सारी जानकारी देते हैं तो लगता है कि उन्होंने जरूर कृषि की पढ़ाई की होगी, लेकिन नहीं। हर्ष गुप्ता ने इंदौर के एक प्राइवेट कालेज से टैक्सटाइल इंजीनियर की उपाधि प्राप्त की है। उन्होंने इंजीनियरिंग जरूर की थी, लेकिन उस ओर रुझान बिल्कुल भी न था।
सन् 2004 में वे पढ़ाई खत्म करके घर वापस आए। इसके बाद उन्होंने खेती करने का निर्णय लिया और अपने खेतों में काम करने लगे। यह देख स्थानीय लोग उनका उपहास उड़ाने लगे। लो भैया अब इंजीनियर भी खेती करेंगे। नौकरी नहीं मिल रही इसलिए बैल हांकेंगे। इन उपहासों से बेफिक्र हर्ष ने अपने खेतों को व्यवस्थित करना शुरू कर दिया। इसमें उनके पिता का भरपूर सहयोग मिला। पिता के सहयोग ने हर्ष के उत्साह को सातवें आसमान पर पहुंचा दिया। बेटे की लगन देख पिता का जोश भी जागा। खेतीबाड़ी से संबंधित जरूरी ज्ञान इंटरनेट, पुराने किसानों और कृषि वैज्ञानिकों के सहयोग से जुटाया। नतीजा कुछ मुश्किलों के बाद सफलता के रूप में सामने आया। उनके फार्म पर आंवला, आम, करौंदा, शहतूत, गुलाब सहित शीशम, सागौन, बांस और भी विभिन्न किस्म के पेड़-पौधे 21 बीघा जमीन पर लगे हैं। हर्ष की कड़ी मेहनत ने उन सबके सुर बदल दिए जो कभी उनका उपहास उड़ाते थे। उनके फार्म को जिले में जैव विविधता संवर्धन के लिए पुरस्कार भी मिल चुका है। इतना ही नहीं विभिन्न संस्थानों में कृषि पर शोध और अध्ययन कर रहे विद्यार्थियों को हर्ष के फार्म में विशेष जानकारी प्राप्त करने लिए भेजा जाता हैं।
हर्ष का कहना है कि मेहनत तो सभी किसान करते हैं, लेकिन कई छोटी-छोटी बातों का ध्यान न रखने से उनकी मेहनत बेकार चली जाती है। मेहनत व्यवस्थित और सही दिशा में हो तो सफलता सौ फीसदी तय है। मैं इंजीनियर की अपेक्षा किसान कहलाने में अधिक गर्व महसूस करता हूं। हर्ष कहते हैं कि खेती की जिस तकनीक को मैं समाज के सामने रखना चाहता हूं उस तक पहुंचने में कुछ वक्त लगेगा।
इंजीनियर हर्ष ने खेती करने के तरीके में बड़ा बदलाव लाया है। इस वजह से उनके लिए खेती लाभ का सौदा साबित हो रही है। उन्हें देखकर आस-पास के बहुत सारे युवक खेती में तरह–तरह के प्रयोग कर रहे हैं। उन्हें सफलता भी मिली है। आज लोग हर्ष को खेती में बदलाव के लिए जान रहे हैं।
o प्रस्तुति : लोकेन्द्र सिंह
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