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अगर किसी मंजिल को पाने के लिए व्यक्ति दृढ़ संकल्पित हो जाए तो उसे कोई रोक नहीं सकता है। न साधन की कमी बाधा बनती है और न ही गरीबी। हां, संकल्प के साथ कड़ी मेहनत की जरूरत है। ऐसा संकल्पी, ऐसा मेहनती अपने जीवन या समाज में बदलाव ले ही आता है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है मुम्बई में रहने वाली प्रेमा जयकुमार ने। प्रेमा ने अपनी मेहनत के बल पर चार्टर्ड अकाउंटेन्सी (सीए) की मुख्य परीक्षा में पूरे भारत में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। इसी वर्ष जनवरी माह में उन्होंने यह सफलता प्राप्त की है। कुल 800 अंकों में उन्होंने 607 अंक प्राप्त किए हैं। 24 वर्षीया प्रेमा ने यह सफलता पहले अवसर में ही प्राप्त की है। उनके छोटे भाई धनराज ने भी यह परीक्षा पास की है। इन दोनों ने नवम्बर 2012 में सीए की परीक्षा दी थी।
प्रेमा के पिता जयकुमार पेरुमल मुम्बई में ऑटो चलाते हैं। जब प्रेमा करीब 4 साल की थी उसी समय रोजी-रोटी की तलाश में उसके माता-पिता उसको साथ लेकर तमिलनाडु से मुम्बई आए और मलाड की एक चाल में रहने लगे। उसके पिता एक मिल में काम करने लगे और माता को एक फैक्टरी में छोटा-सा काम मिल गया। प्रेमा अपने छोटे भाई के साथ मुहल्ले की गलियों में घूमती रहती थी। कुछ वर्ष बाद उसके पिता किराए पर ऑटो चलाने लगे। अब उनके पास खुद का ऑटो है। स्वास्थ्य कारणों से उसकी मां अब कहीं काम नहीं कर पाती हैं। बहुत कठिनाई से प्रेमा और उसके भाई को स्कूली शिक्षा मिली। बड़ी होने के बाद प्रेमा बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने लगी। ट्यूशन से ही वह अपनी पढ़ाई का खर्चा निकालती रही। जिस दिन सी.ए. का परीक्षाफल निकला उस दिन भी वह बी.कॉम (तृतीय वर्ष) के छात्रों को ट्यूशन पढ़ा रही थी। ट्यूशन पढ़ाने के दौरान ही इन्स्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स आफ इंडिया के पूर्व निदेशक जी. रामास्वामी ने टेलिफोन करके प्रेमा को कहा, तुमने इतिहास रच दिया है, बहुत-बहुत बधाई!
प्रस्तुति :अरुण कुमार सिंह
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