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केन्द्र में हो रहे नित नए घोटाले के खुलासों के बीच डिब्रूगढ़ (असम) के हवाई अड्डे के आधुनिकीकरण के नाम पर करोड़ों रुपये का घोटाला सामने आया, साथ ही विमान पत्तन केन्द्र में पांच वर्ष में हुए आधुनिकीकरण के निर्माण कार्यों की सीबीआई से जांच की मांग उठी है। डिब्रूगढ़ प्रेस क्लब में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में आर.टी.आई. कार्यकर्ता सुभाष दत्त ने कहा कि केन्द्रीय नागर विमानन मंत्रालय के भारतीय विमान पर्यटन प्राधिकरण ने डिब्रूगढ़ जिले में मोहनबाड़ी अंचल में स्थित डिब्रूगढ़ विमान पत्तन केन्द्र के आधुनिकीकरण के निर्माण कार्य के विगत पांच वर्ष में 98 करोड़ 53 लाख रुपए आवंटित किए। मंत्रालय ने सन् 2007-08 वित्त वर्ष में 23.63 करोड़, 2008-09 वित्त वर्ष में 18.78 करोड़, 2009-10 वित्त वर्ष में 13.74 करोड़, 2010-11 वित्त वर्ष में 16.51 करोड़ तथा 2011-12 वित्त वर्ष में 2.90 करोड़ रुपए बंगलूर स्थित मेसर्स विशाल- बीकेआईपीएल कंसोर्टियम कंपनी को आवंटित किए। इस कंपनी ने विमान पत्तन का निर्माण कार्य पूर्ण नहीं किया है और जो कार्य किये हैं उनमें काफी निम्न स्तर की सामग्री का प्रयोग किया गया है। वहीं स्थानीय प्रफुल्ल भुइयां, रंजित कुंवर, रंजित कुमार दत्त, मेसर्स सुनील गोगोई, मेसर्स एस एन साहा, अपूर्व कुमार बरुवा, प्रतिम शर्मा, रवि बरुवा व अरुणाचल प्रदेश के ईटानगर निवासी पुणा हिन्डा ने भी कई निर्माण कार्य किये हैं, पर किसी का भी काम संतोषजनक नहीं है। करोड़ों रुपये की लागत के बाद 'एयर ब्रिज' का निर्माण किया गया, पर उसका आज तक इस्तेमाल नहीं किये जाने के कारण उसमें जंग लग रही है। यही नहीं, रात्रिकालीन सेवा की आज तक व्यवस्था नहीं हो पायी है, जिसके कारण बड़े विमान इस हवाई अड्डे पर उतर नहीं पाते। मात्र दो ही विमान यात्रियों को सेवा प्रदान कर पा रहे हैं। जबकि केंद्र सरकार के सर्वे के अनुसार सन् 2017 तक सभी हवाई अड्डों का आधुनिकीकरण किये जाने की बात कही गई है।
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