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देशभर में हुए बलात्कार के मामलों में किशोरों (विशेषकर 16 से 18 वर्ष आयु वर्ग) की संलिप्तता बेहद चौंकाने वाली है। सन् 2008 में ऐसे किशोरों द्वारा बलात्कार की संख्या 776 थी, 2009 में बढ़कर 798 हुई, 2010 में 858 थी तो 2011 में देशभर में 1210 बलात्कार के ऐसे मामले दर्ज हुए जिनमें बलात्कारी किशोर थे। सन् 2011 में मध्य प्रदेश में सर्वाधिक 271, उ.प्र. में 146, महाराष्ट्र में 125 और दिल्ली में 47 किशोरों के खिलाफ बलात्कार के मामले दर्ज हुए। राष्ट्रीय अपराध अनुसंधान केन्द्र द्वारा जारी आंकड़ों में किशोरों द्वारा किए गए अपराधों का वर्गीकरण करने पर पाया गया कि इनमें से 64 प्रतिशत मामले ऐसे हैं जिनमें किशोरों की आयु 16 से 18 वर्ष के बीच है। सन् 2011 में देशभर में कुल 25,178 मामलों में 33887 किशोरों को बलात्कार, हत्या, अपहरण, फिरौती के लिए अपहरण आदि संगीन अपराधों के अन्तर्गत गिरफ्तार किया गया। इनमें से 7 से 12 वर्ष आयु वर्ग के 1,211, 12 से 16 आयु वर्ग के 11,019 तथा 16 से 18 आयु वर्ग के 21,657 किशोर पाए गए। अनुसंधान विभाग की रपट बताती है कि यह सोच सही नहीं है कि परिवारविहीन या टूटते परिवारों की वजह से किशोरों पर गलत प्रभाव पड़ा है। क्योंकि पकड़े गए कुल किशोरों में से मात्र 5.7 प्रतिशत ऐसे पाए गए। जबकि 57 प्रतिशत मामलों में गरीबी और अशिक्षा मुख्य कारण पाया गया।
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