फिर 'दोस्ती' की पींगें!चीनी राष्ट्रपति झाई के मीठे बोलों के पीछे क्या?
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फिर 'दोस्ती' की पींगें!चीनी राष्ट्रपति झाई के मीठे बोलों के पीछे क्या?

by
Mar 23, 2013, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 23 Mar 2013 12:33:39

झाई जिनपिंग को अभी दिन ही कितने बीते हैं चीन का राष्ट्रपति पद, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की कमान और चीनी सेना की लगाम थामे, लेकिन भारत की तरफ उन्होंने जो 'दोस्ती' की पींगें बढ़ानी शुरू कर दी हैं उसे लेकर 'ड्रैगन' विशेषज्ञ सावधान हो गए हैं। 19 मार्च को झाई ने बीजिंग में फरमाया कि चीन और भारत को एक दूसरे की चिंताओं को समझना चाहिए, विवादों को सही तरह से सुलझाना चाहिए और सीमा पर शांति बनाये रखनी चाहिए। गोया भारत सीमा पर अशांति फैला रहा हो, जबकि कौन नहीं जानता कि चीनी सैनिक ही हैं जो कभी सेना के हेलीकाप्टर भारत की सीमा में ले आते हैं तो कभी फौजी गाड़ियां।

59 साल के झाई ने एक पंचसूत्रीय प्रस्ताव पेश किया है, जिसे भारत मान ले तो फिर दोस्ती ही दोस्ती, ऐसा बीजिंग मानता है। लेकिन यहां शायद वह भूल जाता है कि पंचशील के सिद्धांतों पर चलकर नेहरू के वक्त में भारत '62 झेल चुका है। 'भाई-भाई' बोलते बोलते चीनी लड़ाई लड़ाई बोलने लगे थे। खैर, झाई के प्रस्ताव को देखें तो, पहला बिन्दु है-चीन और भारत को रणनीतिक बातचीत करते रहनी चाहिए और चौतरफा रिश्तों को 'सही रास्ते' पर बढ़ाए रखना चाहिए। दूसरा है-दोनों देशों को एक दूसरे की काबिलियत का फायदा उठाना चाहिए और ढांचागत क्षेत्र में दोनों के भले के लिए सहयोग करना चाहिए। तीन-भारत और चीन को सांस्कृतिक संबंध मजबूत करने चाहिए और दोनों देशों के बीच आपस में बढ़ती दोस्ती लगातार बढ़ाते रखनी चाहिए। चार-दोनों देश समन्वय और सहयोग का विस्तार करें। झाई ने पांचवा सूत्र दिया है कि दोनों देशों को एक दूसरे की चिंताओं को समझना चाहिए और दोनों के बीच मौजूदा विरोधों और समस्याओं को सही तरीके से सुलझाना चाहिए। झाई ने कहा कि सीमा विवाद जटिल मुद्दा है जिसे सुलझाना आसान नहीं होगा।

भारत को ढांचागत क्षेत्र में सहयोग का झाई का प्रस्ताव बड़े गौर से परखना होगा, क्योंकि पाकिस्तानी जमीन पर अड्डे जमाने के लिए चीन ने वहां 'ढांचागत' गलियारे से ही दाखिला लिया था। पीओके में उसके पैर जम चुके दिखते हैं और कायदे से भारत के हिस्से गिलगित और बाल्टिस्तान पर उसने 90 साल का पट्टा कब्जा लिया है। 'ढांचा' खड़ा करने के बहाने चीन पीओके का 'ढांचा' बदलने में रात दिन जुटा है। ऐसे में झाई के पंचसूत्रीय प्रस्ताव या कहें नए बाने में पंचशील पेश करने पर खासा चौकन्ना रहना
जरूरी है।

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