अंग्रेजी की छलनी से निकलेंगे अफसर
|
अंग्रेजी की छलनी से निकलेंगे अफसर
हाशिए पर धकेले जाएंगे हिन्दी और भारतीय भाषाओं के छात्र
देशभर में हो रहा है परीक्षा में बदलाव का विरोध
संघलोकसेवाआयोगकी अधिसूचनाइसबातकोपुष्टकरतीहैकिआयोगभारतीयभाषाओंकेप्रतिपूर्वाग्रहसेग्रसितएवंअंग्रेजीकापक्षधरहै।पहलेप्रारम्भिकपरीक्षामेंअंग्रेजीकोअनिवार्यबनाकरकमअंग्रेजीजाननेवालेछात्रोंकोप्रथमचरणमेंहीइसपरीक्षासेबाहरकरदेनेकारास्तातैयारकरदियागयाथा।अबमुख्यपरीक्षामेंअच्छीअंग्रेजीनहींजाननेवालेछात्रचयनप्रक्रियासेबाहरहोजाएंगे।
आश्चर्य ही नहीं, शर्मिंदगी की स्थिति है कि भारतीय भाषाओं को इस प्रकार के निर्णयों से तिरस्कृत किया जा रहा है। इस निर्णय से हिन्दी एवं अन्य भारतीय भाषाओं में शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्रों में हीन भावना पैदा होगी। अंग्रेजी विकास की कुंजी नहीं हो सकती। जो आत्मविश्वास मातृभाषा में पढ़कर और भारतीय संस्कृति से जुड़कर युवाओं में पैदा होता है उसे हर दृष्टि से प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
तरुण सिसोदिया
अगर आप प्रशासनिक अधिकारी यानी 'आईएएस' बनना चाहते हैं तो आपकी अंग्रेजी अच्छी होनी जरूरी है। यदि ऐसा नहीं है तो भूल जाइए कि आपका यह सपना कभी पूरा होगा। संघ लोक सेवा आयोग द्वारा हाल ही में भारतीय प्रशासनिक सेवा परीक्षा के लिए जारी की गई अधिसूचना कुछ इसी ओर इशारा कर रही है। 'आईएएस' बनने के लिए अंग्रेजी की जानकारी पहले भी जरूरी थी, लेकिन अब सिर्फ वही इस पद पर पहुंचेंगे जो अंग्रेजी के अच्छे जानकार होंगे। स्वाभाविक है कि इससे हिन्दी एवं अन्य भारतीय भाषाओं के छात्रों के प्रदर्शन पर प्रभाव पड़ेगा और वे 'आईएएस' बनने का सपना कभी पूरा नहीं कर सकेंगे। इसलिए इस निर्णय के विरुद्ध देशभर में आवाजें भी उठने लगी हैं।
अंग्रेजी भाषा को ज्यादा महत्व देने और हिन्दी एवं अन्य भारतीय भाषाओं को हाशिए पर रखे जाने का संकेत देने वाली यह अधिसूचना संघ लोक सेवा आयोग द्वारा बीते 5 मार्च को जारी की गई। अधिसूचना के अनुसार अब भारतीय प्रशासनिक सेवा परीक्षा की मुख्य परीक्षा में अंग्रेजी का 100 अंकों का प्रश्नपत्र अनिवार्य कर दिया गया है, जिसके अंक वरीयता सूची में जुड़ेंगे। यह परीक्षा निबंध लेखन परीक्षा के साथ ही होगी, जोकि 200 अंक की होगी। इस तरह यह प्रश्नपत्र कुल 300 अंक का होगा। यहां यह बात उल्लेखनीय है कि पहले भी अंग्रेजी की परीक्षा होती थी, जिसे पास करने वाले छात्र की ही बाकी उत्तर पुस्तिकाएं जांची जाती थीं, लेकिन अब अंग्रेजी को अनिवार्य कर दिया गया है, जिसके अंक वरीयता सूची में जुड़ेंगे। यानी अब अंग्रेजी अच्छी जानने वाले छात्रों का चयन ही 'आईएएस' के लिए होगा।
परीक्षा के प्रारूप में बदलाव हिन्दी और अन्य भारतीय भाषाओं के छात्रों के साथ खिलवाड़ है, यह कहकर विभिन्न राजनीतिक दल एवं छात्र संगठन इस निर्णय का विरोध कर रहे हैं। निर्णय के विरोध में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् ने 11 मार्च को संघ लोक सेवा आयोग के दिल्ली स्थित कार्यालय पर विरोध प्रदर्शन किया। साथ ही परीक्षा के प्रारूप को यथावत रखने संबंधी ज्ञापन भी संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष को सौंपा। इसके अलावा अभाविप ने 13 मार्च को देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में विरोध प्रदर्शन किया। शिक्षा बचाओ आंदोलन समिति के संयोजक श्री दीनानाथ बत्रा ने वक्तव्य जारी कर कहा है कि यह अधिसूचना देश के लिए घातक है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने भी इस निर्णय का विरोध किया है। इसके अलावा शिव सेना ने इस निर्णय के विरुद्ध आंदोलन करने की बात कही है।
मुख्य परीक्षा के प्रारूप में बदलाव कर अंग्रेजी भाषा को महत्व देने से पहले आयोग ने प्रारम्भिक परीक्षा के प्रारूप में बदलाव कर अंग्रेजी को प्रमुखता दी थी। प्रारम्भिक परीक्षा में 22.5 अंक अंग्रेजी ज्ञान से संबंधित थे। आंकड़े बताते हैं कि प्रारम्भिक परीक्षा में बदलाव से हिन्दी एवं अन्य भारतीय भाषाओं के छात्रों के प्रदर्शन पर प्रभाव पड़ा है। वर्ष 2006 में जहां मुख्य परीक्षा में हिन्दी एवं अन्य भारतीय भाषाओं के 3,556 एवं अंग्रेजी के 3,937 छात्र बैठे थे, वहीं वर्ष 2011 में हिन्दी एवं अन्य भारतीय भाषाओं के 1,984 एवं अंग्रेजी के 9,324 छात्रों ने मुख्य परीक्षा दी। प्रारम्भिक परीक्षा में अंग्रेजी को प्रमुखता की वजह से हिन्दी एवं अन्य भारतीय भाषाओं के बहुत कम छात्र मुख्य परीक्षा तक पहुंच सके थे। अब मुख्य परीक्षा में अंग्रेजी को महत्व दिया जाना इस बात का संकेत है कि आने वाले समय में हिन्दी एवं अन्य भारतीय भाषाओं के छात्र 'आईएएस' नहीं बन सकेंगे। यानी गांव-देहात के जो छात्र अपनी योग्यता के बल पर 'आईएएस' बनते थे, वे अब नहीं बन सकेंगे क्योंकि शायद ही यह छात्र अंग्रेजी में पढ़े-लिखे छात्रों का मुकाबला कर पाएं।
यह भी हुआ है बदलाव
मुख्य परीक्षा में जहां पहले विषय आधारित दो परीक्षा 600-600 अंकों की होती थी, अब एक परीक्षा 500 अंकों की होगी। सामान्य अध्ययन की परीक्षा के अंकों को बढ़ाकर 1000 कर दिया गया। पहले यह 600 अंकों की होती थी। साक्षात्कार पहले 300 अंकों का होता था, अब इसके अंक घटाकर 275 कर दिए गए हैं। 300 अंकों की निबंध लेखन परीक्षा होगी, जिसमें 100 अंक अंग्रेजी परीक्षा के होंगे। निबंध लेखन परीक्षा पहले 200 अंकों की होती थी। इस तरह नए प्रारूप के अनुसार मुख्य परीक्षा एवं साक्षात्कार कुल 2,075 अंकों का होगा। पहले मुख्य परीक्षा एवं साक्षात्कार 2,300 अंकों के होते थे।
…और मुस्लिम युवाओं का संस्कृत प्रेम
एक ओर जहां संघ लोक सेवा आयोग ने भारतीय प्रशासनिक सेवा की मुख्य परीक्षा में अंग्रेजी को अनिवार्य बनाकर हिन्दी एवं अन्य भारतीय भाषाओं का अपमान किया है, वहीं दूसरी ओर सबसे प्राचीन भाषा संस्कृत को पढ़ने की ललक अभी भी युवाओं में दिखाई दे रही है। संस्कृत को पढ़ने की इच्छा सिर्फ हिन्दुओं में ही नहीं है, अपितु मुसलमानों में भी है।
हाल ही में गुजरात के दो मुस्लिम छात्रों ने संस्कृत में श्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए तीन पदक हासिल किए हैं। स्नातक (प्राचीन भारतीय भाषा) की परीक्षा में गुजरात विश्वविद्यालय द्वारा वाई.एस. आर्ट्स एंड कॉमर्स कालेज के छात्र तैयब शेख को दो पदक दिए गए, वहीं तीसरा पदक आदिवासी आर्ट्स एंड कॉमर्स कालेज की छात्रा यास्मीन बानो कोठारी को मिला। तैयब शेख ने 75.5 प्रतिशत अंक हासिल किए जबकि यास्मीन बानो ने 68.5 प्रतिशत।
टिप्पणियाँ