|
राभा-होजोंग जनजातियों के स्वायत्तशासी क्षेत्र में उनका जनजीवन अभी भी अस्त-व्यस्त है। जबरन पंचायत चुनाव कराने की सरकारी कोशिश में मारे गए 24 निर्दोष लोग, 600 से ज्यादा घर जले, 17 से अधिक शिविरों में 10,000 से अधिक शरणार्थी सब कुछ लुटाकर बेवश और लाचार हैं। पर असम का तरुण गोगोई सरकार ने न्यायिक जांच कराने की बजाय सिर्फ राहत राशि की घोषणा कर दी, वह भी पीडि़तों तक नहीं पहुंची। अपने घर के साथ जमीन के कागज भी गंवा बैठे लोग अपनी ही जमीन पर अपना मालिकाना हक सिद्ध करने के लिए कामरूप और ग्वालपाड़ा जिलों के न्यायालयों और राजस्व विभाग की खाक छानते फिर रहे हैं। उन्हें डर यह है कि उनकी जमीन पर कहीं बंगलादेशी घुसपैठिये हक न जता दें। ऐसे में आल असम लायॅर्स एसोशिएसन ने पीड़ितों की नि:शुल्क सहायता की घोषणा की है। उधर भाजपा के सांसद एवं प्रवक्ता श्री प्रकाश जावडेकर के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमण्डल प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने गया। वहां उन्होंने पाया कि भूखे- नंगे-खाली हाथ लोग 'सहायता-सहायता' पुकार रहे हैं। वार्षिक परीक्षा से पूर्व ही कापी-किताबें स्वाहा हो जाने के बाद 10वीं-12वीं के बच्चे भविष्य को लेकर चिंतित हैं। पर सरकार को किसी की चिंता नहीं। वह पंचायत चुनावों की मतगणना कराने में व्यस्त हैं। लाशों की गिनती के बीच वोटों की गिनती तरुण गोगोई सरकार की संवेदनहीनता की परिचायक है। क्योंकि मतगणना का विरोध करने के दौरान हुए संघर्ष में भी 2 निर्दोष लोग पुलिस की गोली का शिकार हुए हैं।
टिप्पणियाँ