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उत्तर प्रदेश में सरकार बदली, मंत्री बदले, पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों में फेरबदल हुए। अगर कुछ नहीं बदला तो वह है अत्याचार, अन्याय, गुंडागर्दी, गैरकानूनी कृत्य और अराजकता। मायावती राज से उकताये लोगों ने मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी को पूर्ण बहुमत दिया, इस आशा के साथ कि कुछ तो बदलेगा। लेकिन सच तो यह है कि कुछ भी नहीं बदला। मायावती राज में मंत्री, विधायक और बसपा समर्थक अन्याय और अत्याचार के पर्याय बन गये थे तो मुलायम पुत्र अखिलेश यादव की सरकार में भी मंत्रियों, सपा विधायकों और समर्थकों ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है।
ताजा मामला प्रतापगढ़ की कुंडा सीट से विधायक और देश के खाद्य एवं रसद मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया से संबंधित है। उनकी विधानसभा के हथिगवां में भूतपूर्व प्रधान और वर्तमान प्रधान के बीच गुटीय हिंसा हुई। राजा भैया पर आरोप है कि यह सब उनकी जानकारी में हुआ। प्रधानी के चुनाव में हारे हुए उम्मीदवार के समर्थकों ने चुने गए प्रधान नन्हें यादव की गोली मारकर हत्या कर दी। आक्रोश में जब मृत प्रधान के समर्थकों ने हंगामा किया तो आपसी गोलीबारी में प्रधान के भाई की भी मौत हो गई। इस बीच जब पुलिस क्षेत्राधिकारी (सीओ) जिया उल हक दल-बल के साथ वहां पहुंचे तो भारी भीड़ ने उनको भी घेरकर पीटा, उनके साथ गए पुलिस के जवान भाग गए और गोलीबारी के बीच जिया उलहक और एक अन्य को भी गोली लगी और वे मारे गए। एक ही दिन में दो घंटे के भीतर एक ही स्थान पर हुई हिंसा में एक पुलिस अधिकारी समेत तीन लोगों की जान चली गई। राजा भैया पर आरोप है कि क्षेत्राधिकारी की हत्या उन्हीं के इशारे पर की गई।
हांलाकि इस मामले में राजा भैया ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया, उनके दो समर्थकों को हत्या के मामले में गिरफ्तार भी कर लिया गया और उन पर भी हत्या की साजिश रचने का मुकदमा दर्ज हो गया है। पर सवाल एक पुलिस क्षेत्राधिकारी की हत्या का नहीं है, सवाल है उ.प्र.में जनता के टूटते विश्वास का। केवल प्रतापगढ़ में ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में अराजकता का माहौल है। समाजवादी पार्टी के विधायक, मंत्री समर्थक लूट-खसोट, गुंडागर्दी पर उतर आए हैं। निजी मकानों पर कब्जे, सरकारी सम्पत्तियों पर कब्जे, कभी विरोधी रहे लोगों को निपटाने की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। कुछ बड़े मामलों पर नजर डालंे तो यह बात और साफ हो जाती है। भदोही से समाजवादी पार्टी के विधायक विजय मिश्रा पर हत्या समेत एक दर्जन से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं। जब राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी श्री प्रणव मुखर्जी सपा विधायकों से मिलने लखनऊ आने वाले थे तब उस बैठक में मिश्रा को भी आना था। नैनी जेल में बंद विजय मिश्रा को कड़ी सुरक्षा में लखनऊ लाने के लिए जब पुलिस क्षेत्राधिकारी ने प्रयास किया तो मिश्रा उनसे भिड़ गये, मारपीट होते-होते बची। लखनऊ आये तो वापस जाने की बजाय एक मंदिर में दर्शन करने पहुंच गये। अखबारों में खबर छपी तो उन्हें जबरन वापस ले जाया गया।
सपा ब्राह्मण सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के.सी.पाण्डेय गायों की तस्करी के मामले में फंसे और एक बड़े गो तस्कर को बचाने के लिए बलरामपुर के पुलिस अधीक्षक से सिफारिश तक कर डाली। आरोप है कि किसी के माध्यम से पुलिस अधीक्षक तक एक लाख रुपये भी भिजवाए। पुलिस अधीक्षक ने उनकी पूरी बातचीत टेप की और घूस लेकर आये व्यक्ति को गिरफ्तार करा लिया। लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सपा ने उनको राज्यमंत्री पद से नहीं हटाया। गोंडा जिले के पंडित सिंह ने मंत्री रहते हुए वहां के मुख्य चिकित्साधिकारी का अपहरण करवा लिया। कारण केवल इतना था कि राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन में भर्ती होने वाले डाक्टरों की सूची में उनके पसंदीदा डाक्टर का नाम नहीं था। चिकित्साधिकारी ने उनकी सिफारिश मानने से इनकार कर दिया था। विवाद बढ़ा तो अपहृत चिकित्साधिकारी को मुक्त कर दिया गया। सरकार ने चिकित्साधिकारी का तबादला कर दिया। इसी विवाद में पंडित सिंह को मंत्री पद से हटाया गया, लेकिन कुछ महीनों बाद हुए मंत्रिमंडल विस्तार में पंडित सिंह को फिर मंत्री बना दिया गया।
खादी ग्रामोद्योग के उपाध्यक्ष और सपा नेता नटवर गोयल बिजली चोरी और भूमि विवाद में फंसे। बिजली चोरी का फोटो सहित समाचार एक अखबार में छपा और दूसरे दिन पत्रकार उसके 'फालोअप' के लिए पहुंचे तो उन्होंने एक पत्रकार को पीट दिया। मीडिया के दबाव में नटवर गोयल के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ। मंत्री पद से हटना पड़ा, जेल भी गये। सपा विधायक
प्रमोद गुप्ता (बिधुना) के बेटे ने एमिटी यूनिवर्सिटी में एक महिला शिक्षक को सरेआम चांटा जड़ दिया। मीडिया में खबर आयी तो कई दिन बाद बेटे पर मुकदमा दर्ज हुआ। सपा के ही विधायक बिजमा यादव (इलाहाबाद) के बेटे ने इलाहाबाद में हंगामा किया, कई दिन पुलिस चुप रही, जब शोर मचा तो पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया। चारों तरफ यही माहौल है और जनता गुंडागर्दी से बेहाल हो रही है।लखनऊ से शशि सिंह
विश्वास खो चुकी है सपा सरकार–वाजपेयी
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी पूछते हैं कि आखिर मायावती सरकार और इस सरकार में क्या अंतर है? गुंडों और लुटेरों का एक गिरोह सत्ता से हटा तो दूसरा सत्ता में आ गया। जनता ने सरकार बदली थी तो इस आशा के साथ कि उसे कुछ राहत मिलेगी। लेकिन वर्तमान सरकार में तो उसका जीना दूभर हो गया है। महिलाएं असुरक्षित हो गयी हैं। आम आदमी परेशान हो गया है और यह सरकार केवल और केवल वोट बैंक की राजनीति कर रही है। इस सरकार पर से जनता का विश्वास खत्म हो गया और इसे सत्ता में रहने का अधिकार नहीं है।
पहले भी विवादित रहे हैं राजा भैया
कुंडा से विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया का विवादों से पुराना नाता रहा है। मायावती सरकार ने इन पर पोटा लगा दिया गया और काफी समय तक राजा भैया और इनके पिता जेल में रहे। 1993 से वह लगातार विधायक हैं और अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए एक अन्य विधानसभा से एक समर्थक को लगातार जितवाते हैं। पूर्वांचल में एक खास जाति के नेता के रूप में इनकी प्रसिद्धि है और इसी कारण मुलायम सिंह के चहेते रहे हैं। राजा भैया पर ऐसे आठ मुकदमें दर्ज हैं जिनका न्यायालय ने संज्ञान लिया है। वैसे उन पर दो दर्जन से अधिक मुकदमें हैं। हांलाकि पोटा न्यायालय ने इनको बरी कर दिया है।
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