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जे.एन.यू. में रा.स्व.संघ एवं अभाविप के पूर्व कार्यकर्ताओं का सम्मेलन
राष्ट्रवादी विचार स्थापित करने की जरूरत
–दत्तात्रेय होसबले, सह सरकार्यवाह, रा.स्व.संघ
नई दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में गत 23 फरवरी को रा.स्व.संघ एवं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पूर्व कार्यकर्ताओं का सम्मेलन हुआ। 'जे.एन.यू. कल्चरल नेशनलिस्ट फोरम' के तत्वावधान में सम्पन्न हुए सम्मेलन में देशभर से सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।
सम्मेलन का मुख्य विषय 'ग्लोरियस ट्रेडिशन ऑफ नेशनलिस्ट मूवमेंट इन जे.एन.यू.' था। सम्मेलन को संबोधित करते हुए रा.स्व.संघ के सह सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबले ने कहा कि हमें राष्ट्रवादी विचार को विभिन्न क्षेत्रों में स्थापित करने के लिए कार्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि राष्ट्रवादी आंदोलन को स्थापित करना आसान काम नहीं है। इसके लिए जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में अनेक कार्यकर्ताओं ने संघर्ष किया। केरल में अनेक कार्यकर्ता शहीद हुए। आंध्र प्रदेश में इसके लिए अनेक संघर्ष हुए। राष्ट्रवादी विचारधारा के साथ काम करने के चलते विरोधी विचारधारा के लोगों ने हमारे कार्यकर्ताओं की हत्या तक कर दी।
श्री होसबले ने कहा कि आज हमारे सामने तीन प्रकार के संकट हैं। चरित्र, नेतृत्व और आम राय। इसके चलते हमारा सम्पूर्ण विकास प्रभावित होता है। हमें इन संकटों का निदान करना होगा। इसके लिए गंभीरता से प्रयास करने की जरूरत है।
जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से अपने प्रचारक जीवन की शुरुआत करने वाले रा.स्व.संघ के पश्चिम क्षेत्र के सह क्षेत्र सम्पर्क प्रमुख श्री सुरेश जैन ने अनेक खट्टे-मीठे अनुभवों का स्मरण करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय में संगठन संघर्ष से खड़ा हुआ है। मंच पर वर्तमान में अरुणाचल प्रदेश में रा.स्व.संघ के प्रचारक डा. सुनील मोहंती, अभाविप के राष्ट्रीय महामंत्री श्री उमेश दत्त, विश्वविद्यालय के प्राध्यापक प्रो. अश्विनी महापात्रा एवं श्री उमेश उपाध्याय आसीन थे। सम्मेलन के अन्य सत्रों में अनेक पूर्व कार्यकर्ताओं ने अपने अनुभव साझा किए। साथ ही विश्वविद्यालय के वर्तमान कार्यकर्ताओं द्वारा अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए गए। इस अवसर पर रा.स्व.संघ, उत्तर क्षेत्र के क्षेत्र संघचालक डा. बजरंग लाल गुप्त, दिल्ली के प्रांत प्रचारक श्री अनिल कांत विशेष रूप से उपस्थित थे। सम्मेलन के संयोजक विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष रहे श्री संदीप महापात्रा थे। दप्रतिनिधि
'विचारधारा, मूल्य एवं सुशासन' पर परिचर्चा
उदार बने विचारधारा
'विचारधारा, मूल्य एवं सुशासन' विषय पर गत 23 फरवरी को नई दिल्ली में परिचर्चा का आयोजन हुआ। भारत नीति प्रतिष्ठान के तत्वावधान में आयोजित परिचर्चा की अध्यक्षता दिल्ली विश्वविद्यालय में प्राध्यापक प्रो. रेखा सक्सेना ने की, जबकि मुख्य अतिथि थे वरिष्ठ पत्रकार श्री आशुतोष। मुख्य वक्ता के रूप में पूर्व प्रशासनिक अधिकारी एवं सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता श्री के.जे. अल्फोंस थे।
श्री अल्फांेस ने विचारधारा को कार्य और व्यवहार से जोड़ते हुए कहा कि मेरी नजर में ईमानदारी विचारधारा है। कार्य के प्रति प्रतिबद्धता भी विचारधारा है। मैंने अपने कार्यकाल में सभी काम बिना किसी दबाव और प्रतिबद्धता के साथ किए। सबको खाना मिले, सब बच्चे स्कूल जाएं, बेरोजगारों को रोजगार मिले, यह भी विचारधारा है।
श्री आशुतोष ने कहा कि विचारधारा सपनों को पाने का औजार है। लेकिन जब सपना छोटा हो जाए और विचारधारा बड़ी हो जाए तो दिक्कत आती है। इसलिए विचाराधारा को समय के साथ बदलाव करना होगा, वरना यह समाप्त हो जाएगी। भारत नीति प्रतिष्ठान के मानद निदेशक प्रो. राकेश सिन्हा ने कहा कि भारत की विचारधारा सभ्यतामूलक है। कुंठामुक्त होकर ही विचारधारा का विकास किया जा सकता है। इस अवसर पर बड़ी संख्या में राजधानी दिल्ली के प्रबुद्ध नागरिक उपस्थित थे। धन्यवाद ज्ञापन प्रो. कपिल कपूर ने किया। द प्रतिनिधि
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