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21 फरवरी की शाम 7.01 बजे और फिर 7.06 बजे हैदराबाद के दिलसुखनगर में एक भीड़ भरे बस स्टैंड के पास दो शक्तिशाली बम धमाकों में 18 लोगों की मौत हो गई और करीब 150 घायल हुए। घटना के प्रत्यक्षदशिर्यों के अनुसार रिमोट संचालित बमों को कोणार्क और वेंकटाद्रि सिनेमाघरों के नजदीक सड़क किनारे बने ढाबे के बाहर दो साइकिलों में बांधकर रखा गया था। विस्फोट के वक्त मौके पर काफी लोगों के मौजूद होने के कारण अफरा-तफरी मच गई और लोग इधर-उधर भागने लगे।
दूसरा धमाका सात बजकर छह मिनट पर हुआ। मौके पर खाने-पीने की कई दुकानें थी। दूसरा धमाका इतना जबरदस्त था कि पास से गुजर रही बस के भीतर बैठे लोग भी घायल हो गए। कुछ मिनट बाद वहीं से एक जिंदा बम बरामद किया गया। चश्मदीदों की मानें तो धमाके की गूंज एक किलोमीटर दूर तक सुनाई दी।
दिलसुखनगर हैदराबाद का बाहरी इलाका है, जहां फल बाजार होने की वजह से काफी भीड़-भाड़ रहती है। सिनेमाघर होने की वजह से भी शाम के वक्त इलाके में भीड़ काफी बढ़ जाती है।
जाहिर है कि यह आतंकी हमला ही था। शुरुआती जानकारी के मुताबिक, बम धमाकों में मोटरसाइकिल और साइकिल का इस्तेमाल किया गया है। धमाकों को अंजाम देने के लिए टाइमर के इस्तेमाल की जानकारी भी सामने आ रही है तथा कीलें और लोहे की गोलियां भी बरामद हुई हैं।
केन्द्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने बताया कि आंध्र प्रदेश सरकार को घटना से दो दिन पहले ही खुफिया जानकारी के आधार पर सावधान रहने को कहा गया था। इससे पहले अगस्त 2007 में भी हैदराबाद आतंकी हमलों का शिकार हुआ था। उस समय शहर में तीन जगहों पर विस्फोट हुए थे और दिलसुख नगर में भी एक बम रखा गया था, जिसे फटने से पहले ही नाकाम कर दिया गया था।
इन पंक्तियों के लिखे जाने तक किसी भी संगठन ने हैदराबाद बम धमाकों की जिम्मेदारी तो नहीं ली है लेकिन शक की सुई इंडियन मुजाहिदीन और लश्कर-ए-तोयबा की ओर इशारा कर रही है। इस जिहादी कृत्य का सूत्रधार यासीन भटकल बताया जा रहा है। जो शुरुआती जानकारी मिली है कि इस बम को दिलसुख नगर के साईं बाबा मंदिर में ही लगाया जाना था लेकिन उस मंदिर में उस दिन हैदराबाद के पुलिस आयुक्त श्री अनुराग शर्मा दर्शन करने आने वाले थे, इसलिए वहां पुलिस की काफी ज्यादा मौजूदगी होने के कारण आतंकवादियों ने मंदिर की बजाय टिफिन सेंटर और सिनेमा घर पर निशाना लगाया।
पता चला है कि खुफिया एजेंसियों ने चार शहरों में धमाकों का खतरा जताया था। इन धमाकों के पीछे इंडियन मुजाहिदीन का नाम इसलिए भी सामने आ रहा है क्योंकि अगस्त 2012 के पुणे धमाकों को भी बिलकुल इसी तरीके से अंजाम दिया गया था। पुणे धमाकों में भी साइकिल का इस्तेमाल किया गया था और 6 धमाकों का वक्त भी शाम 7 बजे से शाम 7 बजकर 14 मिनट के बीच ही था। खुफिया एजेंसियों ने देश के बाहर से घुसपैठ की पहले ही खबर दे दी थी। लेकिन किरण कुमार रेड्डी सरकार कहती है, उन्हें जानकारी नहीं दी गई। पुलिस महानिदेशक श्री दिनेश रेड्डी ने केन्द्र सरकार के सबको सावधान करने के दावे को नकार दिया।
लेकिन खुफिया जानकारी मिलने के बाद भी अगर हैदराबाद में धमाका होता है तो इसकी जिम्मेदारी स्थानीय सरकार को लेनी चाहिए।
घटनास्थल का दौरा करने हैदराबाद आए गृहमंत्री शिंदे ने कहा कि केंद्र सरकार ने हमले की जांच के लिए जांच दल बना दिया है।
पिछले दिनों कसाब और अफजल को फांसी देने के बाद खुफिया सूत्रों ने आतंकवादी संगठनों की इस तरह की हिंसा होने की आशंका जताई थी।
हैदराबाद शहर करीब एक महीने पहले काफी चर्चा में था। तब मजलिसे इत्तेहादुल मुसलमीन के विधायक अकबरुद्दीन ओवैसी को भड़काऊ भाषण देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष श्री किशन रेड्डी ने कहा कि इन विस्फोटों के जरिए कसाब और अफजल की फांसी का बदला लेने की कोशिश की गई है। नरसंहार की निंदा और प्रशासन की आलोचना करते हुए भारतीय जनता पार्टी ने 22 फरवरी को प्रदेश में बंद का आयोजन किया।
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