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रा.स्व.संघ के अ.भा. सह सेवा प्रमुख श्री सुरेन्द्र सिंह चौहान का गत 1 फरवरी को निधन हो गया। वे 75 वर्ष के थे। 2 फरवरी को नरसिंहपुर (म.प्र.) जिले के आदर्श ग्राम मोहद में उनका अंतिम संस्कार हुआ, जिसमें जबलपुर विभाग के सभी पदाधिकारी, कार्यकर्ता और बड़ी संख्या में ग्रामवासी उपस्थित थे। देशभर में श्री सुरेन्द्र सिंह चौहान की पहचान आदर्श ग्राम के कल्पनाकार के रूप में है।
7 अगस्त, 1933 को मोहद ग्राम में जन्मे स्व. सुरेन्द्र सिंह चौहान, जिन्हें लोग 'भइयाजी' के संबोधन से पुकारते थे, की शिक्षा-दीक्षा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से हुई और उन्होंने स्वर्ण पदक के साथ स्नातकोत्तर (अंग्रेजी) की उपाधि प्राप्त की। कुछ समय वे डिग्री कालेज में प्राध्यापक रहे, फिर रा.स्व.संघ से जुड़ने के बाद त्यागपत्र देकर अपने गांव आ गये और खेती-किसानी के साथ अपने गांव को आदर्श गांव और प्रत्येक घर को आदर्श गृह बनाने के लिये प्रयासरत हो गये। उनकी परिकल्पना और समर्पण को देखकर चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के संस्थापक नानाजी देशमुख ने उन्हें उप-कुलपति का गुरुत्तर दायित्व सौंपा, जिस पर भइयाजी 4 वर्ष तक रहे। इसके बाद उन्होंने अपना पूरा समय आदर्श ग्राम योजना को समर्पित कर दिया। आदर्श ग्राम, स्वावलम्बी ग्राम और आदर्श हिन्दू घर के उन्होंने अपने गांव में अनेक प्रयोग किए। देशभर में प्रवास कर उन्होंने आदर्श ग्राम योजना को फलीभूत करने के लिए अनवरत प्रयास किया। प्रतिनिधि
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