रायपुर में 5 दिवसीय विराट हिन्दू संगम में सामने आया वनवासियों का उत्साह
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मतांतरण को परास्त कर स्वधर्म का गौरवगान करें
–मोहनराव भागवत सरसंघचालक, रा.स्व.संघ
'हम सब संपूर्ण दुनिया को ज्ञान देने वाले हिन्दू समाज और पराक्रमी पूर्वजों की संतान हैं। खान-पान, जाति-बिरादरी भिन्न होने के बावजूद भी हम सब एक-दूसरे के भाई हैं। आज देश में अनेक समस्याएं हैं, लेकिन हमें स्वयं पर विश्वास रखकर एवं संगठित होकर समस्याओं का सामना करना है और इसके लिये डटकर खड़े होना है'। उक्त उद्गार रा.स्व.संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने गत 10 फरवरी को रायपुर (छ.ग.) में अयोजित 5 दिवसीय विराट हिन्दू संगम के समापन समारोह को संबोधित करते हुए व्यक्त किये। समारोह में एक लाख से अधिक वनवासी बंधु उपस्थित रहे। इस हिन्दू संगम का आयोजन स्वामी विवेकानंद की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में किया गया था।
श्री भागवत ने कहा कि भगवान श्रीराम ने भी सत्य पर विजय प्राप्त करने के लिये वनवासियों का सहयोग लिया था। इसलिये सभी समस्याओं से लड़ने के लिये हम सबको संगठित होना है। उन्होंने कहा कि हिन्दू हमेशा अपना बचाव करता है, दूसरों पर आक्रमण नहीं करता। इसलिए हिन्दू कभी आतंकवादी नहीं हो सकता। मतांतरण के संबंध में उन्होंने कहा कि भारत में सेवा के लिये किसी को बाहर से आने की जरूरत नहीं है, इसके लिये देशवासी सक्षम हैं। उपस्थित वनवासी बंधुओं का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि हमें अपने भाइयों का मतांतरण नहीं होने देना है, और जो मतान्तरित हो गये हैं उन्हें वापस लाने का प्रयास करना है। सब संगठित होकर चलें तो भारत को विश्वगुरु बनने से कोई नहीं रोक सकता।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने कहा कि हिन्दू समाज सनातन है, यह किसी से प्रारम्भ नहीं हुआ। जिसे हिंसा से दु:ख होता है उसका नाम हिन्दू है। मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित राज्य के मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने कहा कि विराट हिन्दू संगम का यह स्थान हिन्दू समाज के लिये प्रेरणा का स्रोत बनेगा।
इस अवसर पर श्री भागवत ने पर्यावरण रक्षण के विशिष्ट कार्य हेतु श्री अवधराम को सम्मानित किया। साथ ही 19 संत-महात्माओं एवं 52 जाति-बिरादरी के प्रमुखों का भी कार्यक्रम में सम्मान ½Öþ+É*
विराट हिन्दू संगम का शुभारम्भ भव्य शोभा यात्रा से हुआ। रंग-बिरंगे परिधान में नगर के विभिन्न मार्गों से होते हुए देशभक्तिपूर्ण और धार्मिक उद्घोष लगाती हुई 3000 महिलायें सिर पर कलश लिये संगम स्थल पर पहुंचीं। यहां राष्ट्रभाव जागरण श्री रामयज्ञ संपन्न हुआ। सभी महिलाओं ने यज्ञ के बाद यज्ञ स्थल के आसपास वृक्षारोपण किया।
2 लाख निमंत्रण पत्र बंटे
हिन्दू संगम को सफल बनाने के लिये छत्तीसगढ़ के खैरागढ़, छुईखदान, मुंगेली, लोरमी, लोहाटा, कवर्धा, पंडरिया, बोडला, डिंडौरी तथा मध्य प्रदेश के बिरसा, बैहर, लांजी, बिहिया, मवई, बालाघाट आदि के गांवों में 2 लाख से अधिक निमंत्रण पत्र वितरित किये गये। साथ ही श्री हनुमान, भगवान शंकर एवं भगवान श्रीराम के चित्रों के लाकेट भी घर-घर बांटे गये। संगम को सफल बनाने के लिये हजारों कार्यकर्ता सक्रिय रहे।
'भारतमाता ताल' में स्नान
10 फरवरी को मौनी अमावस्या होने एवं इस दिन पवित्र स्नान की परम्परा को ध्यान में रखते हुए आयोजकों ने संगम स्थल के पास स्थित तालाब की सफाई कराकर उसमें पवित्र तीर्थों एवं नदियों का जल डालकर विधि-विधान से पूजन कर उसे 'भारतमाता ताल' का नाम दिया गया। इस ताल में हजारों श्रद्धालुओं ने स्नान किया। यहां स्वामी विवेकानंद के जीवन पर आधारित एवं राज्य के महत्वपूर्ण स्थलों की चित्र प्रदर्शनी भी लगायी गई। संगम में हर दिन भिन्न-भिन्न लोकनृत्य, लोकगीत एवं नाटकों की रंगारंग प्रस्तुतियां भी हु
अनूठी अन्नदान योजना
विराट हिन्दू संगम में अपना सहभाग अन्नदान के रूप में देने के लिये प्रत्येक घर से लोगों ने एक मुट्ठी अन्नदान किया। इसके अलावा सब्जियां, मसाले एवं अन्य सामान भी लोगों ने दान स्वरूप दिये। अन्नदान से इतना अन्न एकत्रित हो गया था कि 5 दिनों तक दान स्वरूप आये अन्न से ही भोजन तैयार हुआ। 10 फरवरी को यहां एक लाख से अधिक लोगों ने भोजन किया। कुल मिलाकर 5 दिनों में करीब 2 लाख लोगों ने अन्नदान के अन्न से भोजन किया।
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