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पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक नपराजित मुखोपाध्याय ने केन्द्रीय गृह मंत्रालय को एक गोपनीय रपट भेजकर सीमा सुरक्षा बल एवं बंगलादेशी घुसपैठियों के बीच मिलीभगत का आरोप लगाया है। उनके अनुसार सीमा पर तैनात सीमा सुरक्षा बलों के जवानों से मिलीभगत करके ही राज्य में घुसपैठ, पशु व्यापार एवं नशीले पदार्थों की तस्करी धड़ल्ले से जारी है। इस सनसनीखेज रपट के बाद राज्य सचिवालय ने भी सीमा सुरक्षा बल के राज्य प्रमुख से इस विषय पर चर्चा की। रपट में सीमा सुरक्षा बल के कुछ बड़े अधिकारियों का नाम लेकर घुसपैठ में मदद देने की बात कही गयी है। गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि यह आरोप बहुत गंभीर है। सी.सु. बल के वरिष्ठ अधिकारियों को जांच करने को कहा गया है। सूत्रों के अनुसार मुर्शिदाबाद के जिला पुलिस अधीक्षक हुमायूं कबीर ने गत दिसम्बर में राज्य के पुलिस महानिदेशक को एक रपट सौंपी। इसमें कहा गया है कि सीमा पर सी.सु.बल के जवान ही पशु व्यापार व घुसपैठ में अहम भूमिका निभा रहे हैं। इस काम में सी.सु.बल कुछ अधिकारियों का बंगलादेशी व्यापारियों के साथ सीधा सम्पर्क है। बंगलादेश के राजशाही जिले के कुख्यात अपराधी मुहम्मद सादुल इस्लाम के साथ भारत के मुर्शिदाबाद जिले की सीमा पर तैनात सीमा सुरक्षा बल के एक अधिकारी का सीधा सम्पर्क पाया गया है। साक्ष्य के तौर पर रपट में बताया गया, 'गत 18 नवम्बर, 2012 को जिले के रणीनगर थाना क्षेत्र में पुलिस ने कुछ बंगलादेशियों को पकड़ा। वे सी.सु.बल के 130 नं. बटालियन के कुछ इलाकों से होकर भारत आए थे। पूछताछ के दौरान उन बंगलादेशियों ने कहा कि सी.सु.बल के इंस्पेक्टर शिवाजीराव भोसले एवं मुर्शिदाबाद के डीआईजी (हैड क्वाटर) को उनके बारे में पहले से ही जानकारी थी।' रपट में कहा गया कि मुर्शिदाबाद जिले में स्थित भारत-बंगलादेश सीमा पर सी.सु.बल की 151वीं बटालियन पहरेदारी करती है। भगवान गोला, लालगोला, चर लवनगोला के 7 से 30 नम्बर प्वाइंट से होकर लगातार बंगलादेशियों तथा नशीले पदार्थों का आवागमन जारी है। आइरमारी क्षेत्र में घुसपैठ के लिए कंटीले तार की बाड़ को खुला छोड़ दिया गया है। यह सब कुछ जान-बूझकर किया गया है, क्योंकि सी.सु. बल का ही एक गुट इसमें शामिल है। 151 नं. प्वाइंट एवं 130 नं. प्वाइंट के इलाके का इस्तेमाल करके ही सर्वाधिक घुसपैठ हो रही है।
मुर्शिदाबाद जिला पुलिस अधीक्षक की रपट मिलते ही राज्य के पुलिस महानिदेशक ने उसे गृह मंत्रालय भेज दिया। उन्होंने गृह सचिव को लिखा, सी.सु. बल के खिलाफ गंभीर आरोप हैं। सी.सु. बल के पूर्वांचल के उप महानिदेशक बंशीधर शर्मा ने भी कहा कि राज्य सचिवालय द्वारा इस विषय पर जानकारी मांगी गयी है। एक महानिरीक्षक स्तर के अधिकारी को जांच करने के लिए नियुक्त कर दिया गया है। जांच में दोषी प्रमाणित होने पर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। पर 'आफ दि रिकार्ड' सी.सु. बल की ओर से कहा जा रहा है कि सीमा पर अत्यधिक सख्ती के कारण उस क्षेत्र के पुलिस अधिकारियों की 'आमदनी' बंद हो गई है। इसलिए वे सी.सु.बल के जवानों को बदनाम कर रहे हैं, ताकि वे उनके 'अवैध व्यापार' में बाधक न बनें। मुर्शिदाबाद के पुलिस अधीक्षक हुमायूं कबीर उसी षड्यंत्र के कारण सी.सु.बल को बदनाम कर रहे हैं। … सचाई जांच के बाद भी सामने आ पाएगी या नहीं, पता नहीं। पर यह सच सामने आ गया है कि सीमा पर तैनात लोगों में यदि राष्ट्रभक्ति और ईमानदारी कम हुई तो घुसपैठ रुक ही नहीं पाएगी।
जंगल में फिर माओवादी दंगल
गत जनवरी में झारखण्ड के माओवाद से प्रभावित लातेहार में गुरिल्लाओं ने सुरक्षा बलों पर हमला करके फिर से अपना प्रभाव जमाने का भरपूर प्रयास किया। अब पता चला है कि 24 नवम्बर, 2011 को पश्चिमी मेदिनीपुर के झाड़ग्राम-बुड़िसोल के जंगल में हुई मुठभेड़ में शीर्ष माओवादी नेता किशनजी के मारे जाने के बाद से जो बौखलाहट पैदा हुई थी, उसे दूर करने का प्रयास था लातेहार का वह हमला, और उसका सूत्रधार था अरविन्द। अरविन्द बिहार के डेहरी-आन-सोन का रहने वाला है। उसका असली नाम देवकुमार सिंह है। वह आजकल स्पेशल एरिया मिलिट्री कमीशन का चीफ कमाण्डर है। उसके क्षेत्र में बिहार, झारखण्ड और उत्तरी छत्तीसगढ़ आता है। पिछले एक साल में किशनजी का मारा जाना उनकी करीबी सुचित्रा महतो (कामरेड शशधर महतो की विधवा), शोभा माण्डी, जागरी वारुके द्वारा आत्मसमर्पण से माओवादियों का मनोबल धरती पर आ गया था। इस क्षेत्र में माकपा (माओवादी) को फिर से मजबूत करने का काम अरविन्द को सौंपा गया। अरविन्द ने कुछ दिन शान्त रहने के बाद लातेहार का षड्यंत्र रचा और सफल रहा। उसने चालाकी से सीआरपीएफ के जवानों को पहले जंगल के अन्दर बुलवाया, फिर हमला किया। हमले में शहीद जवान के पेट की सफाई कर फिर सर्जरी करके बम रखकर सिल दिया गया, ताकि पोस्टमार्टम के समय और लोग भी मारे जाएं।
पिछले एक साल में पश्चिम बंगाल में माओवादी हमले नहीं हुए, लेकिन जंगल महल में युवा माओवादियों की भर्ती हो रही है। ऐसे में बंगाल, बिहार, झारखण्ड के सीमावर्ती क्षेत्र में कब तक शान्ति बनी रहेगी, कह पाना मुश्किल है। लातेहार में हमले के सिलसिले में खुफिया विभाग ने माओवादियों के नेता प्रभात मोची को रांची से गिरफ्तार कर लिया है। उससे पूछताछ से पता चला है कि लातेहार, चतरा, पलामू जैसा क्षेत्रों में अरविन्द के नेतृत्व में माओवाद अपना पैर जमा रहा है। छोटे-छोटे गुट में बंटकर करीब 700 माओवादी सक्रिय हैं।
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