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मुजफ्फर हुसैन
पिछले दिनों पाकिस्तान और अफगानिस्तान के आतंकवादियों ने एक नया खेल खेला है, जिसे सुनकर दुनिया हैरान है। पता चला है कि इन आतंकवादियों ने पोलियो, प्लेग आदि बीमारियों के कीटाणुओं के सहारे दुश्मन को तबाह करने का निर्णय लिया है। इस दिशा में पाकिस्तान के आतंकवादियों ने अपनी हरकत शुरू कर दी है। लेकिन आश्चर्यजनक बात यह रही कि उन्होंने इसका प्रयोग अपने दुश्मनों पर न करके मित्रों पर ही कर डाला है। पाकिस्तान और मिस्र-दोनों इस्लामी देश हैं। उनमें पक्की दोस्ती है। इन दिनों वहां कट्टरवादी पार्टी इख्वानुल मुस्लिमीन का राज है। यह वही पार्टी है जो प्रारम्भ से दुनिया के देशों में इस्लामी राज कायम करने का विचार रखती है।
लेकिन पिछले दिनों एक जानकारी ने न केवल मिस्र, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठन से लेकर सम्पूर्ण दुनिया को भारी परेशानी में डाल दिया है। पता लगा है कि पाकिस्तान से पोलियो कीटाणु की घुसपैठ मिस्र में करवा दी गई है। यानी पोलियो के जो कीटाणु हैं वे अब न केवल मिस्र बल्कि कुछ अन्य मुस्लिम देशों में भी बड़ी होशियारी से पहुंचा दिए गए हैं। पाठक भली प्रकार जानते हैं कि पोलियो की खुराक समय-समय पर 5 वर्ष तक के बच्चों को दी जाती है। इससे बच्चों की हड्डियां मजबूत बनती हैं। इतना ही नहीं उनके सभी अंग समान रूप से विकसित होते हैं। आगे चलकर वे लकवे जैसी घातक बीमारी से सुरक्षित हो जाते हैं। लेकिन दवा के स्थान पर आतंकवादियों ने उसके कीटाणुओं को ही अन्य देशों में पहुंचा दिया। नाम के लिए तो वह पोलियो को दूर करने वाली दवा थी, लेकिन उसका असली काम वहां पहुंचकर बच्चों को पोलियो पीड़ित बना देना था। पाकिस्तान सरकार, जो अब तक पोलियो की दवा पिलाने के मामले में बहुत सक्रिय नहीं थी, ने उक्त समाचार मिलते ही देश के हवाई अड्डों से लेकर अन्य सार्वजनिक स्थलों पर पोलियो की खुराक पिलाने के विशेष प्रबंध कर दिया। सरकार को यह भय सताने लगा कि आतंकवादी पाकिस्तान में भी कहीं इसी प्रकार का खेल तो नहीं खेल रहे हैं। बाहर से आने वाली पोलियो की सही दवा का परीक्षण करने के पश्चात् सरकार ने इस प्रकार का आन्दोलन शुरू कर दिया है। वहीं मिस्र से मिल रहे समाचार बताते हैं कि पोलियो खुराक का बहाना बनाकर आतंकवादी अपने विरोधी देशों में इस प्रकार की कारस्तानी कर रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक उच्च अधिकारी इलियास दरे ने बताया कि पिछले वर्ष दिसम्बर के मध्य में मिस्र की राजधानी काहिरा के दो भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में पानी के नमूनों में पोलियो के कीटाणु पाए गए हैं।
फूटा भांडा
पाकिस्तानी आतंकवादियों का भांडा उस समय फूटा जब जांच करने से पता चला कि इन कीटाणुओं का सम्बंध पाकिस्तानी क्षेत्र सक्खर में पाए जाने वाले कीटाणुओं से है। मिस्र में विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक बड़े अधिकारी का कहना है कि मिस्र में पोलियो के कीटाणु समाप्त हो गए थे। सरकार ने इस बीमारी के विरुद्ध आन्दोलन चलाकर अपने यहां से इस रोग को सदा-सर्वदा के लिए समाप्त कर दिया था। लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि फिर से मिस्र में इस प्रकार के कीटाणु कहां से आए? पहली सम्भावना तो यह है कि कोई व्यक्ति पाकिस्तान से मिस्र इन कीटाणुओं को लेकर गया या फिर इस बीमारी से ग्रस्त कोई व्यक्ति वहां पहुंचा।
इलियास दरे ने बताया कि पोलियो कीटाणु आज भी पाकिस्तान, अफगानिस्तान और नाइजरिया में पाए जाते हैं। वहां से यह रोग जड़-मूल से समाप्त नहीं हुआ है, बल्कि कुछ आतंकवादी संगठन इसे मजहब से जोड़कर अफवाहें फैलाते हैं जिससे लोग अपने बच्चों को पोलियो खुराक नहीं पिलाते हैं। इलियास दरे का कहना था कि हम इस नतीजे पर पहुंच चुके थे कि पोलियो अब समाप्त हो गया है लेकिन मिस्र में जो कुछ हुआ उससे तो लगता है इस कीटाणु से अब तक छुटकारा नहीं मिला है। इस बात पर भी अटकलें लगाई जा रही हैं कि कहीं इसके कीटाणु हथियार के रूप में तो उपयोग नहीं लाए जा रहे हैं? विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि 2011 में भी पाकिस्तान से पोलियो का कीटाणु चीन पहुंचाया गया था। इससे 20 लोग प्रभावित हुए थे। चीन सरकार ने पता लगते ही उसने सम्पूर्ण चीन में पोलियो के टीके लगवाने की व्यवस्था की थी। उन दिनों इस प्रकार के समाचार भी प्रकाशित हुए थे कि ओलम्पिक के समय कुछ तत्व इस प्रकार के कीटाणु लेकर वहां पहुंचे थे। सिंक्यिांग प्रान्त के लोग चीन सरकार के कट्टर विरोधी हैं। वे वहां समय-समय पर चीन सरकार को अपनी कारस्तानियों से परेशान करते रहते हैं। चीनी गुप्तचर उन पर कड़ी नजर रखते हैं। चीन सरकार मानती है कि सिंक्यिांग के आंतकवादी इस प्रकार के घातक आन्दोलन चलाते रहते हैं। इन आतंकवादी संगठनों का मानना है कि सरकार तो इससे दु:खी होती ही है वे अपनी इस शैतानी योजना से उन क्षेत्रों की जनसंख्या भी कम करने के प्रयास में सफल हो जाते हैं जहां चीन सरकार उनका विरोध करती है।
किसने फैलाई अफवाह?
पोलियो कीटाणु से चीनी सरकार को परेशान करना उनका मुख्य उद्देश्य था। पोलियो कीटाणु का उपयोग करके आतंकवादी क्या हासिल करना चाहते हैं, इसकी जांच-पड़ताल तो अभी अधूरी है। लेकिन एक बात तो दिन के उजाले की तरह स्पष्ट है कि न केवल पाकिस्तान में बल्कि भारत के भी कुछ विशेष मोहल्लों में, जहां मुस्लिम जनसंख्या अधिक है, वहां पोलियो की दवा पिलाने में डाक्टरों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को बड़ी कठिनाई होती है। वहां बड़ी-बूढ़ी महिलाएं छोटे बच्चों को छिपा लेती हैं। उन्हें किसी भी तरह से यह दवा पीने से बचाती हैं। उनका कहना है कि इससे बच्चे नपुसंक हो जाते हैं। सवाल यह है कि उक्त अफवाह किसने प्रारम्भ की है? कहां से आई है? केवल एक समाज ही इससे भयभीत है, ऐसा क्यों? कहीं आतंकवादी इन बस्तियों में पहुंचकर अपने इस उद्देश्य की पूर्ति तो नहीं करते? पाकिस्तान और अफगानिस्तान के आतंकवादियों ने इस दवा को अपना शस्त्र तो नहीं बनाया है? इस पर विचार करना अनिवार्य है। पाकिस्तान से पोलियो कीटाणु अन्य देशों में क्यों और कैसे पहुंचता है? इसकी जांच शीघ्र होनी चाहिए, ताकि निर्दोष बच्चे इन आतंकवादियों के शिकार न बन सकें। पोलियो की दवा को जिस प्रकार से शंका के घेरे में लाने के प्रयास किए गए हैं उसका निवारण शीघ्र ही होना चाहिए। पाठकों को यह याद दिला दें कि कुछ वर्ष पूर्व सूरत में प्लेग की महामारी ने अपना रंग दिखाया था। उस समय भी यह समाचार चर्चित हुआ था कि भारत पर प्लेग के कीटाणुओं से जैविक हमला किया गया है। मुस्लिम आतंकवादी मुस्लिम राष्ट्रों को ही नहीं छोड़ते, तो फिर उनसे दुनिया के अन्य देश क्या अपेक्षा कर सकते हैं?
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