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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डा. कृष्ण गोपाल ने कहा कि कोलकाता की छोटी-सी गली में जन्म लेने वाले स्वामी विवेकानंद इतिहास और दर्शनशास्त्र में निष्णात थे। 'हिन्दू धर्म-विचार-जीवन क्या है?' यह सभी विषय उन्होंने विश्व के समक्ष रखे। उनके भाषण से वैज्ञानिक, राजनीतिक, उद्योगपति- सभी प्रभावित हुए और धीरे-धीरे समूचा विश्व उनके भाषण के प्रभाव में आ गया। श्री कृष्ण गोपाल गत दिनों प्रयाग (उ.प्र.) में कुम्भ स्थल पर आयोजित स्वामी विवेकानंद की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि प्रभु श्रीराम ने गंगा पार की तो केवट से गले मिले, बाद में वशिष्ठ ऋषि और भरत भी केवट से गले मिले। स्वामी विवेकानन्द कहते थे 'किसी व्यक्ति से जाति के आधार पर भेद नहीं करना चाहिए क्योंकि हमारा देश हिन्दू राष्ट्र है और सबको हिन्दू भाव से रहना चाहिए'। स्वामी विवेकानन्द गरीब की बात सुनकर भावुक हो जाते थे। एक बार बंगाल में अकाल पड़ा, उस समय स्वामीजी अमरीका में थे, यह समाचार सुनते ही उनकी आंखों से आंसू बहने लगे। जब वे भारत लौटे तो देश से भूख मिटाने के लिए सम्पन्न भारत का नारा दिया। उन्होंने कहा कि भारत के सम्पन्न लोग दान करें जिससे देश में भुखमरी या अकाल दिखायी-सुनायी न दे। कार्यक्रम की अध्यक्षता पाटेश्वर सेवा संस्थान के संस्थापक और गोरक्षा समिति के सदस्य स्वामी रामबालक दास महात्यागी ने की। इस अवसर पर कुंभ स्नान करने आये श्रद्धालु भी बड़ी संख्या में उपस्थित थे। हिन्दुस्थान समाचार
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