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कांग्रेस और उसके नेतृत्व वाली संप्रग सरकार इस देश की राष्ट्रीय और सांस्कृतिक छवि को कितना आघात पहुंचा रही है, साथ ही हिन्दुत्व के प्रतिमानों को किस तरह ध्वस्त करने में लगी है, यह तो रामसेतु के मामले में ही सामने आ गया था जब सर्वोच्च न्यायालय में उस संबंध में दिए हलफनामे में सरकार की ओर से भगवान श्रीराम के अस्तित्व पर ही प्रश्न खड़ा कर दिया गया था। यह सरकार वोट राजनीति के लिए मुस्लिम तुष्टीकरण करते हुए हिन्दू विरोध की किसी भी सीमा तक जा सकती है। ऐसे अनेक अवसर आए हैं जब देश का संविधान, राष्ट्रीय स्वाभिमान, यहां तक कि भारत की एकता–अखंडता और संप्रभुता तथा राष्ट्रीय सुरक्षा तक को सत्ता स्वार्थों के लिए ताक पर रख दिया गया। अब जब प्रयाग में कुंभ के पावन अवसर पर देश का संत समाज और उनके स्वर में स्वर मिला रहा जनमानस अयोध्या में श्रीराम मंदिर के भव्य निर्माण के लिए संकल्पबद्ध हो रहा है तो इस सरकार के इशारों पर नाचने वाली सीबीआई (केन्द्रीय जांच ब्यूरो) की, बाबरी ढांचा ध्वंस मामले में आए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में अपील पर सुनवाई के दौरान ब्यूरो की ओर से बाबरी ध्वंस को 'राष्ट्रीय अपराध' कहा जा रहा है। हालांकि मामले की सुनवाई कर रही सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने इस शब्द प्रयोग को लेकर सीबीआई को कड़ी फटकार लगाई है, लेकिन इससे स्पष्ट होता है कि कांग्रेस, उसकी सरकार और सीबीआई की मंशा क्या है और ये कैसे हिन्दुत्व विरोधी कुत्सित मानसिकता से संचालित हैं?
करीब 500 साल पहले एक दुर्दांत विदेशी आक्रमणकारी बाबर के सिपहसालार मीरबाकी द्वारा बर्बर हमला कर करोड़ों हिन्दुओं के आस्था केन्द्र अयोध्या स्थित श्रीरामजन्मभूमि पर बने भगवान श्रीराम के मंदिर का ध्वंस करा दिया और उसी के अवशेषों से वहां बाबरी नाम से एक आधा अधूरा ढांचा खड़ा करा दिया गया। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने तो इन साक्ष्यों के आधार पर उस स्थल को श्रीराम जन्मभूमि मानकर फैसला भी दिया है। 'हिन्दुस्थान के डीएनए' का दंभ भरने वाली कांग्रेस व उसकी सरकार हिन्दू अस्मिता के साथ हुए इस जघन्य अपराध पर कभी आक्रोशित नहीं होती! श्रीराम तो हिन्दुस्थान की आत्मा हैं, वे हिन्दुस्थान के राष्ट्रपुरुष हैं, उनसे इतर हिन्दुस्थान की अस्मिता की कल्पना भी नहीं की जा सकती, फिर कांग्रेस का 'हिन्दुस्थानी डीएनए' इस मामले में जोर क्यों नहीं मारता? कहीं ऐसा तो नहीं कि देश की जनता को भ्रमित करने के लिए कांग्रेस के 'युवराज' पार्टी का डीएनए हिन्दुस्थान को बताते हैं, जबकि असल में कांग्रेस की शिराओं में 'बाबर का डीएनए' जोर मार रहा हो? हालांकि ए.ओ. ह्यूम के रूप में कांग्रेस का विदेशी डीएनए तो स्वयंसिद्ध है ही, लेकिन बाबरी ढांचे से प्यार और उसके नाम पर मुस्लिम मतदाता को लुभाने का उपक्रम कांग्रेस का डीएनए बाबर से जोड़ता है। श्रीरामजन्मभूमि की मुक्ति के लिए 76 युद्धों में बलिदान हुए लाखों रामभक्तों और उस ढांचे की कैद से श्रीरामलला को मुक्त कराने वाले कारसेवकों के लहू की पुकार कांग्रेस को नहीं सुनाई देती। इसीलिए कांग्रेस सरकार अदालती आदेश और संविधान को ताक पर रखकर शाहबानो मामले में मुल्ला-मौलवियों को खुश करने के लिए मुस्लिम महिलाओं के उत्पीड़न का नया कानून तो बना सकती है, लेकिन अयोध्या में भव्य राममंदिर के निर्माण की बाधाएं दूर हों, इसके लिए वह अदालती फैसले की दुहाई देती है। यह दोहरापन ही उसकी सत्ता राजनीति का कलुषित चरित्र है। इसलिए कुंभ में हुई धर्म संसद और विश्व हिन्दू परिषद के केन्द्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक में श्रीराममंदिर के भव्य निर्माण का संकल्प व्यक्त कर पूरे हिन्दू समाज को उसके लिए कटिबद्ध होने का जो आह्वान किया गया है, वही समय की मांग है और निश्चय ही यह संकल्प हिन्दू समाज की जाग्रत शक्ति के प्रयत्नों से पूर्ण होगा।
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