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विहिप के केन्द्रीय मार्गदर्शक मंडल द्वारा श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य मन्दिर निर्माण के प्रस्ताव पर कांचि कामकोटि पीठ के पूज्य शंकराचार्य स्वामी जयेन्द्र सरस्वती जी, ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत की गरिमामयी उपस्थिति में धर्म संसद ने अपनी सहमति जता दी।
7 फरवरी को ज्योतिष्पीठाधीश्वर स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी के शिविर में देश के कोने-कोने से आये हजारों साधु-संतों, धर्माचार्यों की उपस्थिति में सम्पन्न हुयी धर्म संसद में श्रीराम जन्मभूमि पर मन्दिर निर्माण की गूंज रही। इस अवसर पर पूज्य सरसंघचालक ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज देश में गोहत्या, मतान्तरण और श्रीराम मन्दिर निर्माण के लिए आन्दोलन करना पड़ रहा है। हिन्दुओं को उनके विधिक अधिकारों से वंचित किया जा रहा है, उनके संबंध में तमाम प्रकार के अनर्गल प्रलाप किये जा रहे हैं, यह उचित नहीं है। आज हिन्दू समाज अपने छोटे-छाटे कार्यों के लिए दूसरों पर निर्भर होता है, अब हमें इसका त्याग करना होगा। हिन्दू समाज को अब जाग्रत होना होगा, संगठित होना होगा, अपनी शक्ति एकत्र करनी होगी, तभी वह सब कुछ प्राप्त कर सकेगा।
श्री भागवत ने कहा कि समाज को जाग्रत करने के लिए संतों ने जिस विजय मंत्र के जाप का निर्णय लिया है, उसको अपेक्षा से अधिक सफल होना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश अब जाग्रत हो रहा है। लोग गर्व से कहते हैं कि हम हिन्दू हैं। उन्होंने कहा कि हिन्दू समाज की ऐसी शक्ति उभरकर आये, ऐसा जनजागरण हो कि जो लोग कुर्सी पर बैठें हैं वे श्रीराम मन्दिर बनायें अथवा जो आने वाले समय में बैठें वे मन्दिर बनायें। उन्होंने संतों को आश्वस्त किया कि रा.स्व.संघ प्रस्ताव का सम्पूर्ण सहयोग करेगा।
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