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तेलंगाना को पृथक राज्य बनाने की मांग को, लगता है कांग्रेसनीत केन्द्र सरकार फिर से टालने का मन बना चुकी है। केन्द्र सरकार में अगुआ सोनिया पार्टी का कहना है कि इस मसले पर अभी और चर्चा की जानी है जिसमें कुछ और समय लग सकता है। इस बीच तेलंगाना राज्य के गठन की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों ने अपना आंदोलन और तेज कर दिया। हालांकि केन्द्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने 28 दिसम्बर 2012 को एक सर्वदलीय बैठक में आश्वासन दिया था कि एक महीने में उचित निर्णय लिया जाएगा। गृहमंत्री शिंदे द्वारा दी गई एक महीने की समय सीमा के खत्म होने पर शिंदे और कांग्रेस ने इस मसले पर विचार-विमर्श के लिए और समय मांगा। शिंदे ने कहा कि इस मसले पर अंतिम फैसला लेने में वक्त लग सकता है, जबकि कांग्रेस महासचिव और आंध्र प्रदेश प्रभारी गुलाम नबी आजाद ने साफ कर दिया कि राज्य के अन्य नेताओं से अभी और बातचीत करने की आवश्यकता है। कहा गया है कि राज्य के मुख्यमंत्री और राज्य कांग्रेस अध्यक्ष को दिल्ली बुलाया जाएगा। उन्होंने कहा कि हालांकि कोई समय सीमा तय नहीं की गई है, पर उन्हें जल्दी ही बुलाया जाएगा।
सड़कों पर उतरे प्रदर्शनकारी
केन्द्र सरकार द्वारा पृथक तेलंगाना राज्य के गठन संबंधी निर्णय को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने के एक दिन बाद गत 27 जनवरी को इस क्षेत्र में फिर से उबाल आ गया। प्रदर्शनकारी पृथक राज्य के गठन की मांग को लेकर सड़कों पर उतर आए। दरअसल कांग्रेस के भीतर ही तेलंगाना के मुद्दे पर सहमति नहीं है क्योंकि तेलंगाना क्षेत्र से पार्टी के विधायक नए राज्य की मांग कर रहे हैं, जबकि अन्य दोनों इलाकों-सीमांत आंध्र और रायलसीमा के विधायक ऐसा नहीं चाहते। आंध्र प्रदेश की 294 सदस्यों वाली विधानसभा में 148 विधायक होने के चलते कांग्रेस को सिर्फ एक सीट से बहुमत मिला हुआ है। ऐसे में यदि उनके तेलंगाना क्षेत्र के विधायकों ने इस्तीफा दे दिया तो सरकार संकट में आ जाएगी। फिलहाल किरण कुमार रेड्डी की सरकार खतरे में नहीं है, क्योंकि तेलंगाना के विधायक कांग्रेस आलाकमान के इशारे पर नाच रहे हैं और तेलंगाना के प्रतिनिधि अभी मंत्रिपरिषद में शामिल हैं। इधर तेलंगाना राष्ट्र समिति के नेता चंद्रशेखर राव ने खुलेआम कांग्रेसी मंत्रियों का आह्वान किया कि वे तुरंत इस्तीफा देकर इस आंदोलन में शामिल हो जाएं।
गंभीर होते हालात
तेलंगाना मुद्दे और आंदोलन के केन्द्र उस्मानिया विश्वविद्यालय में तनाव बना हुआ है। पुलिस विद्यार्थियों को जुलूस निकालने की अनुमति नहीं दे रही है। 'जय तेलंगाना' का नारा लगाते हुए विद्यार्थियों ने राज्य विधानसभा के पास स्थित पार्क की ओर बढ़ने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उन्हें पीछे खदेड़ दिया और विश्वविद्यालय के सभी द्वार बंद कर दिए। जुलूस निकालने की कोशिश कर रहे विद्यार्थियों के साथ पुलिस की उस समय तीखी झड़प हुई जब पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की। कुछ प्रदर्शनकारियों ने अवरोधकों को हटा दिया, लेकिन पुलिस अधिकारियों ने किसी तरह उन्हें बढ़ने से रोके रखा। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को बढ़ने की अनुमति नहीं दी, क्योंकि रैली के लिए पूर्व अनुमति नहीं ली गई थी। इस सबके बीच हालात तब गंभीर हो गए जब तेलंगाना समर्थक कुछ विद्यार्थी बोतलों में पेट्रोल भरकर एक इमारत पर चढ़ गए और धमकी दी कि यदि पुलिस द्वारा गिरफ्तार अन्य विद्यार्थियों को रिहा नहीं किया गया तो वे आत्महत्या कर लेंगे। पृथक तेलंगाना पर राय व्यक्त करते हुए भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि कांग्रेस इस मामले को लटका रही है और वह इस मुद्दे के हल के पक्ष में नहीं है। आंध्र प्रदेश, विशेषकर राजधानी हैदराबाद में एक बार फिर तनाव व्याप्त हो गया है। थोड़े-थोड़े अंतराल में जनता के क्षोभ का इस प्रकार प्रकट होना यह संकेत देता है कि इस मसले को जितना टाला जाएगा, उतना ज्यादा यह उलझेगा और नयी परेशानियां खड़ी होंगी। आंध्र के 23 जिलों में से 10 जिले उस हिस्से में आते हैं, जिसे तेलंगाना कहा जाता है।
हैदराबाद में एक जनसभा में सम्बोधित करते हुए तेलंगाना राष्ट्र समिति के अध्यक्ष चंद्रशेखर राव ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू से लेकर सोनिया गांधी तक ने तेलंगाना के साथ अन्याय किया है। नेहरू ने तेलंगाना का आंध्र प्रदेश में विलय किया, तो 1969 में इंदिरा गांधी ने आंदोलन को कुचल दिया। आज सोनिया गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस विश्वासघात करने पर तुली है। छह दशक से ज्यादा पुरानी पृथक तेलंगाना राज्य की मांग पर कांग्रेसी विश्वासघात से पूरे तेलंगाना में प्रचंड आंदोलन भड़क गया है। क्या यह आंदोलन दिल्ली में शासन करने वालों को दिखाई नहीं देता? और चर्चा के नाम पर तेलंगाना के लोगों को धोखा दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि तेलंगाना पर आम सहमति बननी मुश्किल है क्योंकि कुछ सीमांत क्षेत्र के पूंजीवादी नेताओं के सामने कांग्रेस आलाकमान घुटने टेके हुए है। इसीलिए जब तेलंगाना की मांग पर दिल्ली में कुछ हलचल होती है तो सीमांत क्षेत्र के ये नेता दिल्ली पहुंचकर न जाने कैसे मामले को रफा-दफा करवा देते हैं। राव ने कुछ आधिकारिक आंकड़े बताते हुए कहा कि तेलंगाना क्षेत्र से सरकार को 39 हजार 900 करोड़ रुपये की आय हो रही है जबकि सीमांत क्षेत्र से केवल 13 हजार 178 करोड़ रुपये की। वहीं दूसरी तरफ तेलंगाना मुद्दे पर भारत सरकार पर वायदे से पलटने का आरोप लगाते हुए केन्द्रीय वित्तमंत्री पी.चिदम्बरम के खिलाफ रंगारेड्डी के दंडाधिकारी की अदालत में शिकायत दर्ज की गई है। इसमें कहा गया है कि चिदम्बरम ने केन्द्रीय गृहमंत्री रहते हुए 9 दिसम्बर, 2009 को अलग तेलंगाना राज्य बनाने का जो वायदा किया था उसे पूरा नहीं किया। तेलंगाना के लोगों के साथ धोखाधड़ी की गई है। फिलहाल अदालत ने इस मामले पर पुलिस को प्रथम सूचना रपट दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। चिंता का विषय है कि अब तक इस आंदोलन में 1000 से अधिक लोग शहीद हुए हैं। साल 2012 में लगातार 55 दिन चले आंदोलन में विद्यार्थियों, कर्मचारियों और कई नेताओं ने भाग लिया था फिर भी कोई अनुकूल समाधान नहीं आया।
कोई समझौता नहीं
इस बीच चंद्रशेखर राव के खिलाफ प्रधानमंत्री पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के लिए विभिन्न धाराओं के तहत आपराधिक मामला दर्ज हुआ है। राव के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 153, 504 और 506 के तहत मामला दर्ज किया गया है। कांग्रेस के स्थानीय नेता पार्टी के फैसले से बेहद आक्रोशित हैं। पता चला है कि कांग्रेस के तेलंगाना क्षेत्र के पांच सांसदों मांडा जगन्नाथम, पोन्नम प्रभाकर, एस. राजैय्या, विवेक रेड्डी और सुरिन्दर रेड्डी ने 30 जनवरी को पार्टी से इस्तीफा दे दिया। उनका संयुक्त त्यागपत्र कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को कूरियर से दिल्ली भेजा गया। उनका कहना है कि अब तेलंगाना मुद्दे पर कोई समझौता स्वीकार नहीं है। उधर भाजपा ने इस आंदोलन को अपना पूरा समर्थन देने का ऐलान किया है। यह भाजपा ही थी जिसने पहल करके राजग शासनकाल में उत्तराखंड, झारखंड व छत्तीसगढ़ राज्यों का गठन किया था। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद तो लगातार तेलंगाना गठन की मांग पर सड़कों पर उतरी है। अभी पिछले ही दिनों परिषद ने हैदराबाद में उस्मानिया विश्वविद्यालय से एक विशाल रैली निकालकर सरकार से तेलंगाना क्षेत्र के लोगों की भावनाओं से खिलवाड़ न करने और इस मुद्दे पर अविलम्ब ठोस प्रयास करने की मांग की।
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