हिन्दू और भगवा
July 11, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

हिन्दू और भगवा

by
Feb 2, 2013, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

विश्वभर में भारतीयता की सशक्त अभिव्यक्तिहिन्दू और भगवा

दिंनाक: 02 Feb 2013 12:08:23

नरेन्द्र सहगल

विश्वभर में भारतीयता की सशक्त अभिव्यक्ति

देशभक्त हिन्दू संगठनों को बदनाम करने के पीछे

धर्मविरोधी कुंठित मानसिकता

हिन्दुत्व के विशाल मानवतावादी दृष्टिकोण से पूर्णतया अनभिज्ञ सत्ताधारी कांग्रेस के मंत्री/नेता अथवा हमारे सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के पारंपरिक शत्रु वामपंथी सोच वाले बुद्धिजीवी और भारत के मूल राष्ट्र जीवन को तिलांजलि दे चुके कट्टरवादी बहुत आराम से हिन्दू और भगवा को हिंसक आतंकवाद से जोड़ देते हैं। ऐसा सोचना और कहना उनकी राजनीतिक आवश्यकता तो है ही, परंतु यह उनके जेहन में जड़ जमा चुके उन कुंठित संस्कारों की अभिव्यक्ति भी है जो उन्होंने विदेशी शासकों (अंग्रेजों) लुटेरों (मुस्लिम आक्रांता) और लाल झंडाबरदारों (मार्क्स/माओ) से आंखें मूंदकर सीखे हैं। इन्हीं संस्कारों के संकीर्ण दायरे में कैद हो चुके कांग्रेसियों, जिहादियों और साम्यवादियों को न तो हिन्दुत्व अर्थात् भारत की राष्ट्रीय पहचान की समझ आती है और न ही उन्हें अंतरराष्ट्रीय जगत में हिन्दू और भगवा की सर्वसम्मत मान्यता का आभास होता है। यही वजह है कि संस्कृति और धार्मिक मर्यादा से कोसों दूर भागने वाले इन तथाकथित प्रगतिशील तत्वों को भारतीय तत्वज्ञान अर्थात् हिन्दू और भगवा में मानव प्रेम के दर्शन नहीं होते।

भौतिकवाद की चकाचौंध में अपनी दृष्टि गंवा चुके ऐसे प्रगतिशीलों को कभी भी यह दिखाई नहीं देगा कि भारतीयता की ठोस अभिव्यक्ति हिन्दुत्व और उसकी पहचान भगवा ने प्राचीन काल में विश्व गुरु भारत के रूप में समस्त मानव जगत को दिशा दी है। यही वैचारिक आधार और जीवन मूल्य आज भी परमाणु युद्ध के कगार पर खड़े विश्व को धर्म पर आधारित मर्यादापूर्ण जीवन रचना सिखाने की राह पर है। अनेक यूरोपीय समाजशास्त्री पश्चिम को भारत से इसकी प्रेरणा लेने पर जोर देते हैं। भगवा वस्त्रधारी साधु महात्माओं को अपने देश में 'हिन्दू आतंकवादी' कहने की कांग्रेसी धृृष्टता का कितना असर होगा यह तो भविष्य ही बताएगा, परंतु अन्य देशों में इन भगवा ध्वजवाहकों के अथक परिश्रम के कारण योग दर्शन आधारित भारतीय संस्कृति के प्रति आकर्षण बढ़ता जा रहा है। अत: 'हिन्दू आतंकवाद' के शोधकर्त्ताओं को इस भगवा जागरण के आगे झुककर एक दिन यह मानना ही पड़ेगा कि भारत और विश्व को भोगवादी पश्चिमी सभ्यता की लपटों से बचाने के लिए हिन्दू तत्वज्ञान का उभार होना जरूरी है। यह श्रेष्ठ कार्य वही लोग कर रहे हैं जिन्हें 'आतंकवादी' कहा जा रहा है, यही  विडम्बना है।

भारतीय संस्कारों से शून्य राजनेताओं के निशाने पर

सर्वकल्याणकारी हिन्दू संस्कृति

हिन्दू शब्द का आविष्कार किसने किया? अथवा किसने यह शब्द हम पर थोप दिया? इस व्यर्थ की चर्चा का अब कोई मूल्य नहीं रह गया। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह शब्द आज सभी भारतीयों की पहचान बन चुका है। भारत से विदेशों में जाने वाले सभी जैन, बौद्ध, सिख इत्यादि साधु संतों को हिन्दू संस्कृति का प्रचारक माना जाता है। यहां तक कि हज यात्रा पर जाने वाले भारतीय मुसलमानों को भी भारत के हिन्दू ही कहा जाता है। भारत के प्राचीन ग्रंथ रामायण, महाभारत, वेद, उपनिषद्, पुराण अथवा जैन, बौद्ध सिख पंथों के ग्रंथों को भारतीय संस्कृति के वाङमय के रूप में देखा जाता है। (विदेशों में कुरान/बाइबिल को कोई भारतीय संस्कृति के ग्रंथ नहीं कहता) यद्यपि इन आर्य ग्रंथों में कहीं भी हिन्दू शब्द नहीं आता तो भी वर्तमान में यह सारा साहित्य हिन्दुओं के ग्रंथ के रूप में मान्यता प्राप्त कर चुका है। देश-विदेश में भारतीय तत्वज्ञान पर शोध करने वाले विद्वान हिन्दू ग्रंथों का ही अध्ययन करते हैं। वास्तव में इस मानवीय साहित्य की रचना उस कालखंड में हुई थी जब मानव जीवन हिन्दू, ईसाइयों, मुसलमानों में विभाजित नहीं था।

इसीलिए हिन्दू संस्कृति को मानवीय संस्कृति कहा जाता है। इसीलिए यह जीवन दर्शन विश्व में व्याप्त परस्पर संघर्ष, विद्वेष और प्रतिद्वंद्विता को समाप्त कर विश्व कल्याण का एकमेव मार्ग है। अत: इस प्रकार के मानवीय साहित्य के संस्कारों में पलने वाला हिन्दू कभी आतंकवादी हो ही नहीं सकता। हिन्दू तो जन्मजात उदारवादी होता है और मृत्युपर्यंत मनुष्य के कल्याण की बात ही सोचता है। इस सिद्धांतानुसार जो आतंकी है वह हिन्दू नहीं हो सकता। हिन्दुत्व आधारित विचारधारा उदात्त और कल्याणकारी है। यह जीवन प्रणाली विभिन्न जाति पंथों के बीच घृणा अथवा हिंसा को मान्यता नहीं दे सकती। विचारणीय बात यह भी है कि सर्वे भवन्तु सुखिन: और वसुधैव कुटुम्बकम् जैसे सार्वभौम तत्व ज्ञान को मानने वाले हिन्दू समाज की तुलना जिहादी आतंकवादियों से वही लोग करेंगे जिन्हें इस महान तत्वज्ञान का तनिक भी ज्ञान नहीं है। इस तत्वज्ञान अथवा हिन्दुओं के लंबे सांस्कृतिक इतिहास में प्राणी को पीड़ा देने वाला एक भी पन्ना नहीं मिलता। विगत पांच हजार वर्षों में जहां अनेक देशों, जातियों ने मानव संहार के असंख्य भीषण उत्पात किए, वहीं हिन्दुओं का इतिहास सारे संसार की मंगल कामना और सौहार्द का अतुलनीय इतिहास है। हिंसा और आतंक से परहेज करने वाला यही चिंतन हिन्दुत्व/भारतीयता की पहचान है।

त्याग, शौर्य, बलिदान और राष्ट्रभक्ति का प्रकाश स्तंभ

परम पवित्र अमिट भगवा रंग

'हिन्दू आतंकवाद' के शोधकर्त्ताओं ने 'भगवा आतंकवाद' 'बहुसंख्यक आतंकवाद' और 'संघी आतंकवाद' जैसे अति घृणित राजनीतिक जुमले भी गढ़े हैं। दिग्विजय सिंह, पी.चिदम्बरम, शिंदे और राहुल गांधी जैसे कांग्रेसियों ने जहां विश्वकल्याणकारी भगवा और हिन्दू संस्कृति के उद्गम स्थल भारत को भी आतंकवाद का घर बताकर भारतवासियों का घोर अपमान किया है वहीं इन्होंने हिन्दुत्व, भगवा, बहुसंख्यक हिन्दू समाज और संघ को इस श्रेणी में डालकर यह स्वीकार भी कर लिया है कि वर्तमान भारत में संघ ही हिन्दू संस्कृति अर्थात् भारतीय तत्वज्ञान की ध्वजा थामे हुए है। अल्पसंख्यक मजहबी वोट बैंक को बटोरने के लिए बहुसंख्यक हिन्दू समाज को बदनाम करने वाले ये नेता भगवा अथवा केसरी रंग का राष्ट्रीय महत्व नहीं जानते। दुनिया के किसी भी कोने में भगवा वस्त्रधारी व्यक्ति को देखकर लोग तुरंत समझ जाते हैं कि यह भारतीय है। इन कांग्रेंसियों को शायद यह भी पता नहीं होगा कि 1931 में कांग्रेस द्वारा ही गठित एक सात सदस्यीय समिति ने राष्ट्रीय ध्वज के सम्बंध में बहुत ही महत्वपूर्ण सर्वसम्मत फैसला किया था 'यदि कोई ऐसा रंग है जो समग्र भारतीयों के लिए अधिक भव्य और आकर्षक है, जो इस प्राचीन देश की सुदीर्घ परंपरा से जुड़ा हुआ है, तो यह केसरिया रंग ही है।' इस तरह का राष्ट्रवादी विचार प्रकट करने वाली समिति के सदस्य थे सरदार पटेल, मौलाना आजाद, मास्टर तारा सिंह, पंडित नेहरू, डी.बी.कालेलकर, डा.एन एस हर्डिकर और पट्टाभि सीतारामैय्या।

परंतु कांग्रेस की जन्मजात हिन्दुत्व विरोधी मानसिकता किंवा सेकुलरवाद के कारण राष्ट्रीय अस्मिता का प्रतीक भगवा ध्वज देश का राष्ट्रीय ध्वज नहीं बन सका। कट्टरवादी और भारतीय राष्ट्रवाद के शत्रु मुस्लिम मानस के तुष्टीकरण के लिए कांग्रेस ने इस तरह भारत राष्ट्र और हिन्दू संस्कृति को तिलांजलि दे दी। राष्ट्रीय प्रेरणा के सनातन और शाश्वत प्रकाश स्तंभ, एक हजार वर्षों तक लड़े गए स्वाधीनता संग्राम में शौर्य और बलिदान की गाथा के प्रतीक और राष्ट्र की असंख्य ऐतिहासिक उपलब्धियों के स्मृति चिन्ह इस भगवा रंग में कांग्रेस को आज भी सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के स्थान पर आतंकवाद ही नजर आता है। कांग्रेस के नेता अपने जन्मदाता अंग्रेज आकाओं के उद्देश्य की पूर्ति तन्मयता के साथ कर रहे हैं। इतिहास साक्षी है कि हिन्दू संस्कृति एवं राष्ट्रीयता के आधार पर जारी स्वतंत्रता संग्राम की दिशा बदलकर इसे अंग्रेजों की योजनानुसार जातिगत टुकड़ों में बांट कर चलाने के लिए अंग्रेज ए.ओ.ह्यूम ने सन् 1885 में कांग्रेस की स्थापना की थी। भारत में मुस्लिम राष्ट्र की आधारशिला कांग्रेस की इसी मानसिकता का परिणाम थी और इसी पृष्ठभूमि की पैदाइश है 'हिन्दू आतंकवाद' का खतरनाक विचार।

वोट, कुर्सी और सत्ता के लिए सामने आ रहा है

कांग्रेस का दलगत चरित्र

हिन्दू, भगवा और संघ को 'आतंकवाद' से जोड़कर कांग्रेस के नेताओं ने अपना दलगत चरित्र ही दिखाया है। उनकी इस राजनीतिक बयानबाजी में से राष्ट्रधर्म अथवा समाजधर्म नदारद है। इस दलगत राजनीति की पृष्ठभूमि में वही मानसिकता है जो शिवाजी, राणाप्रताप और गुरु गोविंद सिंह जैसे राष्ट्रवादियों को 'आतंकवादी' मानती है। यह राष्ट्रघातक दृष्टिकोण उन्हीं विचारों का द्योतक है जो सुभाष, सावरकर और भगत सिंह जैसे निर्विवाद देशभक्तों को भ्रमित अथवा पथभ्रष्ट देशभक्त करार देते हैं। अल्पसंख्यक वोट बैंक को रिझाने के लिए कांग्रेसी नेता कल को धनुर्धारी श्रीराम, सुदर्शनचक्र धारी श्रीकृष्ण, त्रिशूलधारी शिव और खड्गधारी मां दुर्गा को भी आतंकवादी कह दें तो आश्चर्य नहीं होगा। संघ के शिक्षा वर्गों में तो इन्हीं अवतारों और हिन्दू संस्कृति के पुरोधाओं और रक्षकों की वीरगाथाओं की शिक्षा दी जाती है। संस्कृति और राष्ट्र तो संघ के आराध्य हैं। धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की परिधि में ज्ञान-कर्म-शील पर आधारित गायत्री और गीता प्रेरित हिन्दू संस्कृति में हिंसा, आतंक का कोई स्थान नहीं हो सकता। हिन्दुत्व की सर्वव्यापी ऊर्जा, सर्वकल्याणकारी तप और सह अस्तित्व के उदारवादी भाव को न समझने वालों के ही दिमाग से 'हिन्दू आतंकवाद' जैसे शब्दों की पैदावार हो सकती है।

हमारे महान देश भारतवर्ष की भू सांस्कृतिक पहचान हिन्दुत्व और इस राष्ट्रीय अवधारणा के प्रचार-प्रसार के माध्यम से अपने राष्ट्र के पुनरुत्थान में जुटे स्वयंसेवकों के उदार मन और सहिष्णु संस्कारों की वजह से ही गृहमंत्री द्वारा किए गए घोर राष्ट्रीय अपराध का विरोध शांतमय और मर्यादा में रहकर हो रहा है। यदि लाखों करोड़ों स्वयंसेवक और उस देश में रहने वाला 85 प्रतिशत हिन्दू समाज सचमुच आतंकवादी होता तो उस विरोध के स्वरूप की कल्पना की जा सकती है। वैसे अगर संघ और हिन्दू समाज आतंकवादी होता तो कांग्रेसी नेता उन्हें कभी भी 'आतंकवादी' कहने की हिम्मत नहीं करते। इन नेताओं ने आज तक इंडियन मुजाहिद्दीन, सिमी, हिज्बुल, लश्कर और अलकायदा को मुस्लिम आतंकवादी नहीं कहा जबकि ये सभी जिहादी संगठन इस्लाम के ही झंडाबरदार माने जाते हैं। ऐसा लगता नहीं है कि सामंजस्य और एकरसता के ध्वजवाहक हिन्दू समाज और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से ये कांग्रेसी नेता क्षमा मांगेंगे क्योंकि कुर्सी और वोट के लोभी इन राजनेताओं की फितरत में राष्ट्रहित और सामाजिक सौहार्द है ही नहीं।

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

Ajit Doval

अजीत डोभाल ने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता और पाकिस्तान के झूठे दावों की बताई सच्चाई

Pushkar Singh Dhami in BMS

कॉर्बेट पार्क में सीएम धामी की सफारी: जिप्सी फिटनेस मामले में ड्राइवर मोहम्मद उमर निलंबित

Uttarakhand Illegal Majars

हरिद्वार: टिहरी डैम प्रभावितों की सरकारी भूमि पर अवैध मजार, जांच शुरू

Pushkar Singh Dhami ped seva

सीएम धामी की ‘पेड़ सेवा’ मुहिम: वन्यजीवों के लिए फलदार पौधारोपण, सोशल मीडिया पर वायरल

Britain Schools ban Skirts

UK Skirt Ban: ब्रिटेन के स्कूलों में स्कर्ट पर प्रतिबंध, समावेशिता या इस्लामीकरण?

Aadhar card

आधार कार्ड खो जाने पर घबराएं नहीं, मुफ्त में ऐसे करें डाउनलोड

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

Ajit Doval

अजीत डोभाल ने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता और पाकिस्तान के झूठे दावों की बताई सच्चाई

Pushkar Singh Dhami in BMS

कॉर्बेट पार्क में सीएम धामी की सफारी: जिप्सी फिटनेस मामले में ड्राइवर मोहम्मद उमर निलंबित

Uttarakhand Illegal Majars

हरिद्वार: टिहरी डैम प्रभावितों की सरकारी भूमि पर अवैध मजार, जांच शुरू

Pushkar Singh Dhami ped seva

सीएम धामी की ‘पेड़ सेवा’ मुहिम: वन्यजीवों के लिए फलदार पौधारोपण, सोशल मीडिया पर वायरल

Britain Schools ban Skirts

UK Skirt Ban: ब्रिटेन के स्कूलों में स्कर्ट पर प्रतिबंध, समावेशिता या इस्लामीकरण?

Aadhar card

आधार कार्ड खो जाने पर घबराएं नहीं, मुफ्त में ऐसे करें डाउनलोड

जब केंद्र में कांग्रेस और UP में मायावती थी तब से कन्वर्जन करा रहा था ‘मौलाना छांगुर’

Maulana Chhangur Hazrat Nizamuddin conversion

Maulana Chhangur BREAKING: नाबालिग युवती का हजरत निजामुद्दीन दरगाह में कराया कन्वर्जन, फरीदाबाद में FIR

केंद्र सरकार की पहल से मणिपुर में बढ़ी शांति की संभावना, कुकी-मैतेई नेताओं की होगी वार्ता

एक दुर्लभ चित्र में डाॅ. हेडगेवार, श्री गुरुजी (मध्य में) व अन्य

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ @100 : उपेक्षा से समर्पण तक

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies