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23 जनवरी का अपना एक ऐतिहासिक महत्व है, क्योंकि इस दिन ब्रिटिश भारत के पहले भारतीय सैन्य प्रमुख, आजाद हिन्द फौज के सेनानायक सुभाष चन्द्र बोस का जन्म हुआ था। वे स्वतंत्रता आंदोलन के एकमात्र ऐसे क्रांतिकारी थे जिन्हें जन-मन अपना सच्चा 'नेताजी' मानता था, उसी नाम से सम्बोधित करता था। इस वर्ष उनकी जन्मतिथि पर देश की राजनीति में तीन महत्वपूर्ण बदलाव हुए। जयपुर के चिंतन शिविर में 'राहुल को लाओ-राहुल को लाओ' के शोर के बाद वंशवादी राजनीति की प्रतीक बन चुकी सोनिया कांग्रेस ने राहुल को पार्टी का उपाध्यक्ष घोषित कर दिया और उन्होंने 23 जनवरी को दिल्ली के 24 अकबर रोड स्थित कार्यालय में आधिकारिक तौर पर कार्यभार संभाल लिया। उधर मुम्बई में, प्रखर हिन्दुत्वनिष्ठ राजनीति के प्रतीक बन चुके बाला साहब ठाकरे के निधन से रिक्त हुए शिवसेना अध्यक्ष पद पर उनके पुत्र उद्धव ठाकरे निर्वाचित हुए जो अब तक पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष थे।
उधर, भारतीय जनता पार्टी ने नए अध्यक्ष के रूप में पार्टी के पूर्व अध्यक्ष व वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह को चुना, जिनके नेतृत्व में अब पार्टी ने आगामी लोकसभा चुनाव में उतरने और विजय प्राप्त करने का संकल्प जताया। राजनाथ सिंह ने इस दायित्व के लिए पार्टी का आभार व्यक्त करते हुए उस कसौटी पर खरा उतरने का विश्वास जताते हुए कार्यकर्त्ताओं से आगामी लोकसभा चुनाव के लिए कमर कसने का आह्वान किया।
प्रमुख विपक्षी दल, जिसके अगले लोकसभा चुनाव के बाद केन्द्र में सत्तारूढ़ होने की प्रबल संभावना जतायी जा रही है, के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर श्री राजनाथ सिंह निर्विरोध निर्वाचित हुए, जो न किसी वंश परम्परा के वाहक हैं और न ही जोड़-तोड़ और दबाव की राजनीति के अंग। 10 जुलाई, 1951 को चंदौली (उ.प्र.) के भाभौरा गांव में एक किसान परिवार में जन्मे श्री राजनाथ सिंह मूलत: एक शिक्षक हैं। 1971 में गोरखपुर विश्वविद्यालय से भौतिक विज्ञान में स्नातकोत्तर होने के पश्चात वे मिर्जापुर के के.बी.डिग्री कालेज में प्राध्यापक नियुक्त हुए थे। बाल्यकाल से ही संघ की शाखा जाकर राष्ट्रभक्ति के रंग में रंगे श्री राजनाथ को 1975 के आपातकाल में उनकी राष्ट्रभक्ति के कारण ही जेल की सलाखों के पीछे डाल दिया गया। जेल से बाहर आए तो उनकी लोकप्रियता के चलते मिर्जापुर की जनता ने उन्हें अपना प्रतिनिधि चुना और वे उ.प्र. की विधानसभा में पहुंच गए। वहां से शुरू हुई उनकी राजनीतिक यात्रा 2013 में भाजपा के दूसरी बार राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने तक पहुंच चुकी है। इस बीच 1991 में वे उत्तर प्रदेश के शिक्षा मंत्री रहे, जिस दौरान 'नकल विरोधी अध्यादेश' लाने के कारण उन्हें बहुत प्रशंसा मिली। 1997 में श्री राजनाथ सिंह उ.प्र.भाजपा के अध्यक्ष चुने गए। अक्तूबर, 2000 से 2002 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे, फिर राज्यसभा सदस्य भी रहे और वर्तमान में गाजियाबाद (उ.प्र.) से लोकसभा सदस्य चुने गए हैं। इससे पूर्व 31 दिसम्बर, 2005 से 2009 तक भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाते अपने पहले कार्यकाल में श्री राजनाथ की छवि एक उदार, सर्वसमावेशी, बेदाग और बेबाक राजनेता की बनी। उस दौरान वे भाजपा के रथी श्री लालकृष्ण आडवाणी के साथ ही देशव्यापी आतंकवाद विरोध यात्रा पर जगन्नाथ पुरी से चले थे, लेकिन वह यात्रा श्री प्रमोद महाजन के आकस्मिक निधन के कारण अधूरी रह गई थी। उनके नेतृत्व में ही 2009 का लोकसभा चुनाव लड़ा गया था, पर राजग के सत्ता में पहुंचने का वह लक्ष्य तब अधूरा रह गया था। इस लक्ष्य को इस बार प्राप्त करने के संकल्प के साथ श्री राजनाथ सिंह ने राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाते तेजी से कार्य शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा है कि उनके लिए यह पद नहीं, इसकी जिम्मेदारी महत्वपूर्ण है, इसलिए मैं सबको साथ लेकर, सबका साथ लेकर अपनी जिम्मेदारी पूर्ण करूंगा। जितेन्द्र तिवारी
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