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पाठकीय:अंक–सन्दर्भ 23 दिसम्बर,2012
इस्लामिक बैंक को ना कहो
आवरण कथा में श्री अरुण कुमार सिंह की रपट 'वोट जमा करने के लिए इस्लामिक बैंक' बताती है कि सोनिया-मनमोहन सरकार सत्ता के कारण देश को ही दांव पर लगा रही है। यह देश का दुर्भाग्य ही है कि यह सरकार वोट बैंक से इस्लामिक बैंक तक की यात्रा मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए कर रही है। मुस्लिम तुष्टीकरण करना कांग्रेस के खून में है। आजादी से पूर्व भी कांग्रेस मुस्लिमों का तुष्टीकरण करती थी। आज भी वह उसी मार्ग पर चल रही है। तुष्टीकरण की नीतियों से ही देश विभाजन की मांगों को बल मिला और अन्तत: भारत के दो टुकड़े हो गए। कांग्रेस देश को फिर एक बार उसी ओर ले जा रही है।
–पवन कुमार जैन
किशनबाग कालोनी, गली सं.-5 के पीछे
संगरूर (पंजाब)
द इस्लामिक बैंक के बारे में जो जानकारी मिली वह बेहद चिन्ताजनक है। जब देश में देशी-विदेशी बैंकों की हजारों शाखाएं कार्यरत हैं तो फिर शरिया आधारित इस्लामिक बैंक की जरूरत क्या है? बिल्कुल सही लिखा गया है कि भारत में इस्लामिक बैंक के शुरू होने से मतान्तरण को बढ़ावा मिलेगा। समझ नहीं आता कि यह सरकार भारत को मजबूत करना चाहती है या कमजोर? इस सरकार का हर कार्य समाज को
बांटने वाला ही क्यों होता है?
–गोपाल
विवेकानन्द मिशन, गांधी ग्राम
जिला–गोड्डा (झारखण्ड)
द सेकुलर केन्द्र सरकार और राज्य सरकारें सरकारी खजाने को मुस्लिमों पर लुटा रही हैं। कोई सरकार मस्जिद के लिए पैसा खर्च कर रही है, तो कोई मुस्लिम छात्रों को विशेष सुविधाएं दे रही है। केन्द्र सरकार ने तो 'मुस्लिम तुष्टीकरण मंत्रालय' ही बना रखा है। इसी मंत्रालय की वजह से पूरे देश में अनुचित मांगें उठ रही हैं। इस्लामिक बैंक भी उन्हीं अनुचित मांगों का एक हिस्सा है।
–ब्रजेश कुमार
गली सं.-5, आर्य समाज रोड, मोतीहारी
जिला–पूर्वी चम्पारण (बिहार)
सत्प्रयास का अभिनन्दन
'स्वयंसेवकों ने की सत् साहित्य की बिक्री' समाचार पढ़ा। आज के युग में युवाओं को गुमराह कर पथभ्रष्ट करने वाला निकृष्ट साहित्य सर्वत्र उपलब्ध है लेकिन सत्साहित्य का पर्याप्त प्रचार नहीं हो पा रहा है। अत: आज सरल, सत्य, सस्ते व प्रेरक साहित्य का प्रकाशन कर घर-घर पहुंचाने की आवश्यकता है। इस कार्य में लगे सभी बंधुओं को कोटिश: धन्यवाद।
–मनोज कुमार
'हिन्दू हृदय' सुखदेव मोटर्स के सामने
रामगंज मण्डी, जि.-कोटा-326519 (राज.)
सबको उन्हीं की चिंता
डा. सतीशचन्द्र मित्तल का लेख 'भारत मुसलमानों के लिए स्वर्ग, हिन्दुओं के लिए चुनौती' पढ़ा। वास्तव में भारत में हिन्दू बहुत ही भयावह परिस्थितियों में जी रहे हैं। हिन्दू लुट रहे हैं, पिट रहे हैं, मर रहे हैं और मतान्तरित हो रहे हैं। लेकिन सेकुलरों को, विशेषकर कांग्रेस को हिन्दुओं के दु:ख-दर्द पर आंसू बहाने की फुर्सत नहीं है, सबको मुसलमानों और ईसाइयों की चिन्ता है। हिन्दुओं की इस अन्यायपूर्ण स्थिति के लिए भ्रष्ट राजनेता और उससे भी अधिक सेकुलर मीडिया जिम्मेदार है। सेकुलर मीडिया वास्तविक समस्याओं से ध्यान हटाकर युवा पीढ़ी को कामुकता और स्वार्थ की ओर धकेल रहा है। सेकुलर मीडिया के पाखण्ड को बेनकाब करें।
–अरुण कुमार जैन
नलखेड़ा, जि. शाजापुर-465448 (म.प्र.)
पक्के मुसलमान का फर्ज
श्री मुजफ्फर हुसैन ने अपने लेख में बताया है कि प्रसिद्ध इस्लामी विद्वान मौलाना वहीदुद्दीन खान के विचारों में बाबरी आन्दोलन अप्रासंगिक हो गया है। भले ही खान के ऐसे विचार हों। पर चूंकि भारत इस्लाम की नजर में दारुल-हरब देश है। अत: जैसे भी हो उसे दारुल इस्लाम बना देना प्रत्येक पक्के मुसलमान का फर्ज है। तब्लीगी आन्दोलन के द्वारा यह काम किया भी जा रहा है और उस आन्दोलन का समर्थन और सहयोग हर मुसलमान कर रहा है। स्वदेश चिन्तन में श्री नरेन्द्र सहगल का कहना युक्ति-संगत है कि दुनिया के बड़े राष्ट्र एक होकर जिहादी आग का सामना करें।
–क्षत्रिय देवलाल
उज्जैन कुटीर, अड्डी बंगला, झुमरी तलैया, कोडरमा-825409 (झारखण्ड)
कोहरे का कोहराम
पिछले दिनों कोहरे के कारण उत्तर भारत में जन-जीवन ठप रहा। रेलगाड़ियां 30-40 घंटे तक देर चलीं। बहुत सारी गाड़ियों को रद्द करना पड़ा। इससे यात्रियों को कितनी परेशानी हुई, यह एक भुक्तभोगी ही बता सकता है। हवाई जहाज भी रद्द हुए। यहां तक कि सैनिकों को श्रीनगर और लेह ले जाने वाली उड़ानें भी रद्द हुईं। कई जहाज तो श्रीनगर और लेह जाकर वापस आ गए। कोहरे के कारण वे जहाज वहां उतर नहीं पाए। क्या स्वतंत्र भारत में ऐसी तकनीक नहीं आई है जिससे कि आवागमन पर कोहरे का प्रभाव न पड़े! यदि ऐसी तकनीक नहीं आई है तो फिर हम किस दम पर चीन का मुकाबला करेंगे? चीन में कोहरे का असर नहीं पड़ता है, वह कृत्रिम बारिश भी करा सकता है।
–दयाशंकर मिश्र
लोनी, गाजियाबाद (उ.प्र.)
आशा का संचार
दीपावली विशेषांक देर से मिला। इस अंक में जिस प्रकार के लेख प्रकाशित हुए हैं उन पर प्रतिक्रिया व्यक्त न करना मेरे लिए किसी अपराध से कम नहीं होता। सभी लेख पाठकों को नई राह दिखाने वाले हैं। यह अंक पाठकों में आशा का संचार करता है। आज देश का जैसा माहौल है उसमें ये सारे लेख दीपक के समान हैं। इन दीपकों की रोशनी में कोई भी व्यक्ति यह देख सकता है कि देश के साथ किस प्रकार का छल किया जा रहा है और देश को छलियों से बचाने के लिए आम आदमी को क्या करना चाहिए।
–कालीमोहन सिंह
गायत्री मन्दिर, मंगलबाग, आरा, भोजपुर (बिहार)
पुरस्कृत पत्र
विखण्डनकारी और सेकुलर
भारत विश्व की दस प्रमुख आर्थिक शक्तियों में से एक, विश्व की सर्वाधिक जनसंख्या वाले राष्ट्र में दूसरा, क्षेत्रफल की दृष्टि से सातवां स्थान तथा सबसे अधिक गुणवत्ता वाली कृषि योग्य उपजाऊ भूमि में प्रथम स्थान रखता है। आज भारत के पास विश्व की सर्वाधिक युवा शक्ति है, जिसमें सर्वाधिक शिक्षित युवा भी भारतीय हैं। भारत की सैन्य शक्ति भी विश्व में चौथे स्थान पर है। भारत विश्व में सर्वाधिक ऋतुओं व सब प्रकार की जलवायु और सर्वाधिक प्राकृतिक संसाधनों से सम्पन्न अनूठा देश है। लेकिन इन सब सकारात्मक खूबियों के बावजूद भारतीय नेतृत्व की भ्रष्ट व स्वार्थपूर्ण नीतियों के कारण आज भारत विश्व के दस प्रमुख सर्वाधिक गरीब व भ्रष्ट देशों में से एक स्थान रखता है और विदेशी ऋण से ग्रस्त देशों में भी भारत प्रमुख स्थान पर है। इसके साथ ही, भारत विश्व इतिहास का एकमात्र ऐसा देश भी है जो सर्वाधिक काल लगभग साढ़े नौ सौ वर्षों तक परतंत्र रहा है और विदेशी शासकों या उनके वंशजों का निरन्तर राज्य भारत पर रहा है। नेतृत्व दिशाहीन व सामाजिक चेतना के सुप्त हो जाने के कारण लम्बे कालखण्ड तक पराधीन रहे भारत का वर्तमान नेतृत्व भी दिशाहीनता का शिकार है।
आज गरीबी, बेरोजगारी, असमानता, जातिवाद, विदेशों में भारतीय काला धन, भ्रष्टाचार आदि स्वतंत्र भारत की प्रमुख समस्याएं हैं। लेकिन इन सभी समस्याओं से ऊपर समुदाय विशेष की तीव्र गति से जनसंख्या वृद्धि, इससे उत्पन्न होता जनसांख्यिक असंतुलन, समुदाय विशेष में बढ़ती मजहबी कट्टरता व साम्प्रदायिकता और तेजी से पनपती अलगाववादी प्रवृत्ति व आतंकवाद, भारत की प्रमुख सिरदर्दी बन गई हैं। इस कारण वर्तमान भारत का अस्तित्व ही खतरे में पड़ा दिखाई देता है। जिस देश पर पिछले तेरह सौ वर्षों से कट्टर मानसिकता के साथ अपनी विचारधारा को जबरन थोपने के लिए वर्ग विशेष द्वारा संगठित हमले हो रहे हों और समुदाय विशेष की इसी मानसिकता के कारण प्राचीन सांस्कृतिक भारत के अनेक विभाजन हो चुके हों और 1947 के विभाजन के बाद भी शेष स्वतंत्र भारत में आज भी वे विखण्डनकारी तत्व और कारण पूर्व से भी विकराल रूप में मौजूद हों, उस देश का कल्याण एकमात्र भ्रष्टाचार निवारण से कैसे संभव हो सकता है?
स्वतंत्र भारत की अधिकांश सरकारों व राजनीतिक नेतृत्व ने तुष्टीकरण की नीति से आज भारत को पुन: विभाजनकारी परिस्थिति की ओर धकेल दिया है। तुष्टीकरण नीति का ही परिणाम है कि आज भारत में अनेक स्थानों पर छोटे-छोटे विवादों पर साम्प्रदायिक संघर्ष की स्थिति बन जाती है। आज समुदाय विशेष के स्थानीय लोगों द्वारा बंगलादेशी घुसपैठियों को स्थान-स्थान पर केवल हममजहबी होने के नाते समर्थन जताया जा रहा है। खुलेआम पाकिस्तान के झण्डे लहराये जा रहे हैं और पाकिस्तान के समर्थन में नारे लगाये जाते हैं। इसी तुष्टीकरण के परिणामस्वरूप आज विदेशी भाषा अरबी व फारसी और भारत से लुप्त होती हुई पाकिस्तान की राष्ट्र भाषा उर्दू के विश्वविद्यालय भारत के विभिन्न स्थानों पर खोले जाने की मांग समुदाय विशेष द्वारा बार-बार की जा रही है। जवाब में केन्द्र सरकार व कुछ राज्य सरकारों द्वारा सरकारी सहायता से ऐसे विश्वविद्यालय खोले जाने की घोषणाएं की भी जा रही हैं। इसके साथ ही 'गंगा-जमुनी तहजीब' के नाम पर उन व्यक्तियों का महिमा-मण्डन किया जा रहा है, जिन लोगों ने पूर्व में हिन्दुओं को मतान्तरण के लिए मजबूर किया था। इतिहास के नाम पर हिन्दुओं को अपमानित करने वाली घटनाएं पढ़ाई जा रही हैं। आज तुष्टीकरण की नीति भारत के लिए कैंसर रोग की भांति है, पंथनिरपेक्षता का प्रचलित स्वरूप भारत के लिए अभिशाप है। यह पंथनिरपेक्षता भारत को कमजोर कर रही है, भारत की सदियों पुरानी संस्कृति को नष्ट कर रही है और वर्ग विशेष में अलगाववादी प्रवृत्ति बढ़ा रही है। किन्तु दुर्भाग्यवश आम आदमी इस पंथनिरपेक्षता के अवगुणों को देख नहीं पा रहा है।
–आनन्द मेहता
13/740, सरर्ाफा बाजार, सहारनपुर (उ.प्र.)
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