पाकिस्तान के तहरीके-तालिबान की खुली धमकी
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पाकिस्तान के तहरीके–तालिबान की खुली धमकी
'भारत में लाएंगे शरिया व्यवस्था'
पाकिस्तान की तहरीके-तालिबान ने अपने ताजा जारी वीडियो संदेश में दो बातें साफ कर दी हैं- एक, वह 'पाकिस्तान की सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर में प्रायोजित उस जिहाद की नाकामी' से बौखलाया हुआ है, जिसका अभी तक कोई 'मनचाहा नतीजा नहीं आया है', इसलिए, दो, वह 'जम्मू-कश्मीर में जिहादियों को भेजेगा' और बरास्ते कश्मीर 'पूरे भारत में शरिया व्यवस्था लागू' कराएगा। इस सनसनीखेज खुलासे वाला यह वीडियो संदेश देने वाला और कोई नहीं, खुद पाकिस्तानी तालिबानी नेता वली उर्रहमान बताया जाता है। वीडियो में उसके साथ तहरीक का मुखिया हकीमुल्लाह महसूद भी है। वली वही जिहादी है जिस पर अमरीका ने 50 लाख डालर का इनाम रखा हुआ है, क्योंकि वह 2009 में सी.आई.ए. के सात अधिकारियों की हत्या में शामिल बताया जाता है। तहरीक की प्रचार-प्रसार शाखा उमर मीडिया का बनाया 45 मिनट 52 सैकेण्ड का यह वीडियो संदेश साफ कहता है, 'जिस तरह हम पाकिस्तान में शरिया व्यवस्था लाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, उसी तरह हम इसे कश्मीर में जारी रखेंगे और फिर भारत में भी शरिया व्यवस्था लाएंगे।' यह दावा करते हुए कि कश्मीर में पाकिस्तान की सरकार द्वारा शुरू किए गए जिहाद के मनमाफिक नतीजे न निकलने की सूरत में घाटी में वह जिहादी फौजें भेजकर अपना जिहाद छेड़ेगी। 'पाकिस्तान की (कश्मीर के संदर्भ में) खराब नीति की जहां तक बात है तो उससे कश्मीरियों की बर्बादी ही हुई है.. हम इस नीति की भर्त्सना करते हैं।' यह वली का कहना है। 6 जनवरी को इंटरनेट पर जारी किए गए इस वीडियो संदेश की अमरीका के जिहाद-विशेषज्ञ बारीकी से पड़ताल कर रहे हैं। भारत के भी रक्षा विशेषज्ञ इस पर गंभीर नजर रखे हैं। यह पहली बार है कि तहरीक के इस वीडियो में तंजीम का प्रवक्ता अहसानुल्ला अहसान दिखाया गया है।
यह है अपनी माटी के लिए प्यार
राष्ट्रपति पुरयाग पहुंचे पुरखों के बजीतपुर
अपनी माटी, अपनी विरासत के प्रति राग की मिसाल देखनी हो तो हाल ही में भारत आए मॉरीशस के राष्ट्रपति राजेश्वर पुरयाग पर नजर डालनी चाहिए। भारत से मॉरीशस गए अपने पुरखों की भूमि की तलाश में वे 25 साल से लगे थे। आखिरकार उनकी वह साध पूरी हुई वंशावली विशेषज्ञों की मदद से। पुरयाग ने जिन विशेषज्ञों से बिहार में अपनी जड़ों, अपने पुरखों की खोज करने को कहा था उन्होंने पटना से 25 किमी दूर बजीतपुर गांव के सबसे बड़ी उम्र के बुजुर्ग से चर्चा निकाली। उसने बताया कि बहुत साल पहले गणेश नोनिया के परिवार का एक सदस्य लापता हो गया था। खोजबीन करने पर पता चला कि वह लापता व्यक्ति और कोई नहीं, लक्ष्मण महतो नोनिया थे, यानी पुरयाग के परदादा। और यह पता चलने के बाद भारत आते ही पुरयाग का मन बजीतपुर जाने को मचल उठा। 6 जनवरी को बजीतपुर की हवा को अपने रोम-रोम में समा लेने के बाद राष्ट्रपति पुरयाग बच्चों की तरह फफक-फफककर रो पड़े। जैसे लंबे समय से बिछुड़ा बालक अपनी मां की गोद में आते ही बिलख उठता है। बजीतपुर में रह रहे राष्ट्रपति पुरयाग ने भतीजे गणेश और महेश बेहद गरीबी में बसर कर रहे हैं, बी.पी.एल. कार्ड धारी हैं। वहां टूटी-फूटी हिन्दी में भाषण देते हुए पुरयाग ने अपने परदादा की जी-तोड़ मेहनत की दास्तान सुनाई, जिन्हें 150 साल पहले 'पत्थर हटाकर सोना कमाने' का लालच देकर मॉरीशस ले जाया गया था।
इतना ही नहीं, फरवरी, 2008 में मारीशस के प्रधानमंत्री नवीन चंद्र रामगुलाम भोजपुर (बिहार) में अपने पैतृक गांव हरिगांव आकर भावविभोर हो गए थे। जनवरी 2012 में त्रिनिदाद-टोबैगो की प्रधानमंत्री कमला प्रसाद बिसेसर बक्सर के भेलापुर गांव आई थीं जहां से उनके परदादा भवानी स्वरूप 1889 में त्रिनिदाद गए थे। बिसेसर ने गांव वालों के सामने कहा था, 'मेरे परदादा गांव से गीता और रामायण लेकर गए थे और देखिए, उन्होंने इस गांव को बदले में एक प्रधानमंत्री दी है।' l
चीन में सत्ता और मीडिया आमने–सामने
चीन में पिछले एक पखवाड़े से मीडिया में उठ रहे उबाल में चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के एक वादे से हालांकि कुछ कमी आई है, पर वहां मीडिया में सुधारवादी कदम उठाए जाने की मांग लगातार जोर पकड़ती जा रही है। दरअसल पिछले दिनों सरकार के नियंत्रण वाले चीनी प्रकाशन 'सदर्न वीकली' ने सरकारी सेंसरशिप के खिलाफ कलमबंद हड़ताल कर दी थी। चीनी साप्ताहिक के पत्रकारों ने आवाज बुलंद की कि कम्युनिस्ट पार्टी की जबरदस्त जकड़ में फंसे मीडिया में सुधार लाए जाएं। इस पर सर्वशक्तिमान कम्युनिस्ट पार्टी ने भी कड़ा रुख अपना लिया और मीडिया की मांग पर कान नहीं धरे। मामला तूल पकड़ता गया, पत्रकार सड़कों पर उतर आए। तब कम्युनिस्ट पार्टी के क्षेत्रीय प्रमुख हू चुन्हुवा ने 9 जनवरी को मध्यस्थता करते हुए सरकार और मीडिया के बीच फिलहाल संघर्षविराम का रास्ता साफ किया। हांगकांग से छपने वाला 'साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट' लिखता है कि हू ने सरकार के प्रचार तंत्र और पत्रकारों के बीच सुलह कराते हुए कम्युनिस्ट पार्टी के किसी तरह के दखल को दूर रखने की बात की है। मीडिया में इस बात को लेकर भी खूब चर्चा थी कि हड़ताली पत्रकारों को कम्युनिस्ट सत्ता अपने स्वभाव और परम्परावश बख्शेगी नहीं। लेकिन फिलहाल चीनी सत्ता ने हड़तालियों को कोई सजा नहीं देने का मन बनाया है। चीन में मीडिया की हड़ताल एक अजब घटना मानी जा रही है क्योंकि वहां कम्युनिस्ट सत्ता की इस पर इतनी गहरी पकड़ है कि उसके खिलाफ किसी के सड़क पर उतरने की कभी किसी की मजाल नहीं होती। अब आने वाले वक्त में पता चलेगा कि चीन में मीडिया में कितना सुधार आता है।
न्यूयार्क के भूमिगत स्टेशनों में
जिहाद से सावधान करते विज्ञापन
न्यूयार्क के भूमिगत रेल स्टेशनों में इन दिनों एक संस्था ने इस्लामी जिहादी मानसिकता से सावधान रहने का संदेश देने वाले विज्ञापन लगाए हैं। जगह का बाकायदा किराया देने के बाद संस्था अमेरिकन फ्रीडम डिफेंस इनिशिएटिव ने 39 स्टेशनों पर लगीं 228 बड़ी-बड़ी घड़ियों के बगल में एक महीने के लिए ये विज्ञापन लगाए हैं। विज्ञापनों में जलते हुए वर्ल्ड ट्रेड सेंटर की तस्वीर के बगल में कुरान की आयत लिखी हुई है कि 'जल्दी ही हम अनास्थावादियों के दिलों में आतंक बरपा देंगे।'
पिछले साल सितम्बर में भी इसी संस्था ने 10 स्टेशनों पर विज्ञापन लगाकर इस्रायल के दुश्मनों को 'जालिम' बताया था।
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