|
अमृत–से मीठे वाणी से
चट्टानों–से दृढ़ हैं तन से।
फूलों जैसे कोमल उर से
चंदा जैसे उजले मन से।
पवन सरीखी शीतलता है
सागर जैसी है गहराई।
सम–दृष्टि सूरज की जैसी
भू–सी सहनशीलता पाई।
दया–भाव हरदम दिखलाते
सत्य, अहिंसा धर्म हमारा।
मानवता की करे भलाई
हर मजहब है हमको प्यारा।
गाते हम तो गीत सलौने
इज्जत, साहस के, ताकत के।
भोले–भाले, सीधे–सादे
हम बच्चे प्यारे भारत के।
टिप्पणियाँ