पाठकीय:अंक-सन्दर्भ 9 दिसम्बर,2012
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पाठकीय:अंक-सन्दर्भ 9 दिसम्बर,2012

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Dec 29, 2012, 12:00 am IST
in Archive
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दिंनाक: 29 Dec 2012 15:28:55

अयोध्या आन्दोलन के 20वें वर्ष पर विशेष आयोजन करके पाञ्चजन्य ने अपनी राष्ट्रीय जिम्मेदारी को बखूबी निभाया है। अयोध्या आन्दोलन के ज्वार को बार-बार याद करने की जरूरत है। अयोध्या का स्मरण ही जनमानस को मन्दिर निर्माण के लिए प्रेरित करता रहेगा। अयोध्या में श्रीराम मन्दिर के निर्माण के लिए हमें सदैव तैयार रहना पड़ेगा। सेकुलर अपनी कुचालों से हिन्दू समाज को तोड़ न पाएं, यह ध्यान रखना होगा।

–विकास कुमार

शिवाजी नगर, बडा, जिला–थाणे (महाराष्ट्र)

द विश्व हिन्दू परिषद के संरक्षक श्री अशोक सिंहल के इस बयान से बड़ी आशा जगी कि 2014 में शुरू हो जाएगा राम मन्दिर का निर्माण। जिन भगवान श्रीराम के भक्त करोड़ों में हों वे वर्षों से तिरपाल से ढके एक अस्थायी मन्दिर में विराजमान हैं। हिन्दू समाज अपने आराध्य देव की यह दशा अब बर्दाश्त नहीं करेगा। श्रीराम का भव्य मन्दिर बनना ही चाहिए।

–अनूप कुमार शुक्ल

संस्कृति भवन, राजेन्द्र नगर,

लखनऊ-226004 (उ.प्र.)

द मन्दिर निर्माण के लिए संकल्प की लौ और तेज होनी चाहिए। अयोध्या भगवान राम की जन्मस्थली है। वहां मन्दिर नहीं बनेगा तो कहां बनेगा? हिन्दू समाज तन, मन, धन से देश में ऐसी परिस्थिति बनाए कि एक राष्ट्रवादी सरकार का गठन हो। ऐसी ही सरकार राम मन्दिर का रास्ता खोज सकती है। मन्दिर का रास्ता न्यायालय शायद ही खोज पाए।

–हरिहर सिंह चौहान

जंवरीबाग नसिया, इन्दौर-452001 (म.प्र.)

द हिन्दू समाज बड़ी आतुरता के साथ उस घड़ी की प्रतीक्षा कर रहा है जब श्रीराम मन्दिर के निर्माण का शुभारम्भ होगा। संत-महात्मा और हिन्दू समाज के अन्य नेता मन्दिर के लिए संघर्ष करते रहें, उनके पीछे करोड़ों लोग खड़े हैं। 'हिन्दू वोट बैंक' बनने से राम मन्दिर का मार्ग आसानी से खुल सकता है। हिन्दू एकजुट हो जाएंगे तो फिर कोई भी राजनीतिक दल राम मन्दिर के निर्माण में बाधा खड़ा नहीं कर सकेगा।

–प्रमोद प्रभाकर वालसंगकर

1-10-81, रोड नं.-8बी, द्वारकापुरम दिलसुखनगर, हैदराबाद-500060 (आं.प्र)

शिक्षा की दुकान

चर्चा सत्र में डा. प्रमोद पाठक का लेख 'उच्च शिक्षा की गुणवत्ता पर ध्यान दे सरकार' बहुत ही सुन्दर और आंख खोलने वाला है। यह बात बिल्कुल सही है कि उच्च शिक्षा में निजी भागीदारी के नाम पर शिक्षा की दुकानें खोली जा रही हैं। वर्तमान केन्द्र सरकार की नीतियां उच्च शिक्षा को आम आदमी से दूर कर रही हैं। आम आदमी के बच्चे सरकारी विद्यालयों में हिन्दी माध्यम से पढ़ते हैं। किन्तु सरकार की नीति अंग्रेजी माध्यम से पढ़े-लिखे बच्चों को आगे बढ़ाने वाली है। ग्रामीण क्षेत्रों में तो और भी बुरा हाल है। जब तक देश के हर वर्ग के बच्चों को समान शिक्षा नहीं मिलेगी तब तक देश का भला नहीं होगा।

–प्रो. दीपक कुमार सिंह

चंडी स्थान, पो.-दरिऔरा, जिला–नवादा (बिहार)

तुष्टीकरण का ताण्डव

श्री हृदयनारायण दीक्षित का आलेख 'उ.प्र. बना उपद्रवी तत्वों का 'मुलायम क्षेत्र' उ.प्र. में व्याप्त अराजकता, असुरक्षित हिन्दू समाज तथा शासन के व्यवहार को रेखांकित करता है। उ.प्र. में तुष्टीकरण की नीति का ताण्डव हो रहा है। जो लोग सेकुलरवाद के नाम पर पक्षपात और भेदभाव की राजनीति कर रहे हैं वे देश व समाज को खोखला कर रहे हैं। सत्ता को पाने और बचाए रखने की लालसा में देश, संस्कृति और सामाजिक समरसता को कम किया जा रहा है।

–मनोहर 'मंजुल'

पिपल्या–बुजुर्ग, प. निमाड़-451225 (म.प्र.)

अफजल पर कांग्रेसी 'कृपा'

श्री नरेन्द्र सहगल के लेख 'असंख्य कसाबों का खतरा' में देश की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिन्ता व्यक्त की गई है। राष्ट्रघातक राजनीति करने में कांग्रेस ने सभी दलों को काफी पीछे धकेल दिया है। कांग्रेस देश की सुरक्षा से ज्यादा महत्व अपनी सुरक्षा को देती है। यदि ऐसा नहीं होता तो अफजल को कब की फांसी हो जाती। अजमल कसाब ने मुम्बई पर जब हमला किया था उससे कई वर्ष पहले अफजल को फांसी की सजा हो गई थी। पर अफजल अभी भी तिहाड़ में बिरयानी उड़ा रहा है। उसी पर कांग्रेसी 'कृपा' है।

–देशबन्धु

आर जेड-127, प्रथम तल, सन्तोष पार्क

उत्तम नगर, नई दिल्ली-110059

देशद्रोही बयान

पिछले दिनों केन्द्रीय मंत्री फारुख अब्दुल्ला के छोटे भाई मुस्तफा कमाल ने कहा कि भारतीय सेना से जम्मू-कश्मीर को खतरा है। जो जवान अपनी जान पर खेलकर जम्मू-कश्मीर के निवासियों की रक्षा कर रहे हैं, उनके लिए ऐसी बात करना देशद्रोह से कम नहीं है। मुस्तफा के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए थी। पर अफसोस कि केन्द्र सरकार ने उनके इस बयान पर कुछ कहना भी ठीक नहीं समझा, उनके खिलाफ कार्रवाई तो दूर की बात। सरकार की इसी नीति की वजह से बहुत लोग भारत का अन्न खाकर भारत को ही गाली देते रहते हैं।

–प्रदीप सिंह राठौर

एम.आई.जी.-36, बी ब्लॉक

पनकी, कानपुर (उ.प्र.)

असम में देशद्रोही

पिछले दिनों डा. सतीश चन्द्र मित्तल का एक लेख 'देश को बचाना है तो असम बचाओ' पढ़ा। जो असम राज्य रामायण व महाभारत के विभिन्न प्रसंगों से जुड़ा हुआ है, गुरु वशिष्ठ व भगवान परशुराम की कर्मभूमि है, उस असम में कुछ मुस्लिम संगठन सक्रिय होकर खुलेआम भारत माता की सम्प्रभुता को तहस-नहस करने की साजिश का ताना-बाना बुन रहे हैं। ये मुस्लिम संगठन बंगलादेशी घुसपैठियों का सहारा बनकर भारत माता की अस्मिता पर प्रहार करके देशद्रोह जैसा कुकर्म कर रहे हैं। वोट बैंक की राजनीति के कारण देश की एकता व अखण्डता को घुन लगता जा रहा है।

–निमित जायसवाल

ग 39, ई. डब्ल्यू.एस., रामगंगा विहार फेस प्रथम, मुरादाबाद-244001 (उ.प्र.)

क्या इसलिए हम सेकुलर हैं?

थ् हम भारत के संविधान में निहित प्रावधानों का उल्लंघन करके अल्पसंख्यकों को आरक्षण देते हैं।

थ् हम बंगलादेश के घुसपैठियों का राशन कार्ड और मतदाता पहचान पत्र बनवाकर भारत की नागरिकता भी देते हैं।

थ् हम हिन्दू-तीर्थस्थलों की यात्रा के लिए एक पैसा भी नहीं देते, उल्टे टिकट और अन्य सुविधाओं के लिए 'सेवा कर' भी वसूलते हैं।

थ् हम सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को दरकिनार करके हज यात्रियों को हिन्दुओं पर 'जजिया कर' लगाकर भारी 'सब्सिडी' देते हैं।

थ् हम हिन्दुओं के लिए एक पत्नी रखने का कानून बनाते हैं और मुसलमानों के चार पत्नियां रखने के अधिकार को जायज ठहराते हैं।

थ् हम हिन्दू लड़कियों के घटते वस्त्र को नारी स्वातंत्र्य का जीवन्त उदाहरण मानते हैं और मुसलमानों की बुकर्ा प्रथा का समर्थन करते हैं।

थ् हम  भारत माता को सार्वजनिक रूप से डायन कहने वाले को कैबिनेट मंत्री के पद से सम्मानित करते हैं।

थ् हम वन्दे मातरम् को अपमानित करने वालों को राज्य और केन्द्र सरकार में ऊंचे ओहदे देते हैं।

थ् हम 15 अगस्त के दिन पाकिस्तानी झंडा फहराने वालों और तिरंगा जलाने वालों को दिल्ली बुलाकर बिरयानी खिलाकर वार्ता करते हैं।

थ् हम कश्मीर घाटी से हिन्दुओं को जबरन खदेड़े जाने पर चुप्पी साध लेते हैं और असम में बंगलादेशियों के विस्थापन को  राष्ट्रीय शर्म मानते हैं।

थ् हम देश के बंटवारे के लिए जिम्मेदार मुस्लिम लीग से केरल और केन्द्र में सत्ता की साझेदारी करते हैं और राष्ट्रवादी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर बार-बार प्रतिबंध लगाते हैं।

थ् हम मदरसों में आतंकवाद की शिक्षा देने वालों को सरकारी अनुदान देते हैं एवं सरस्वती शिशु मन्दिरों की नकेल कसते हैं।

थ् हम भारत के प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद, सरदार पटेल और कन्हैया लाल माणिक लाल मुन्शी के प्रयासों से सोमनाथ मन्दिर के पुनर्निर्माण को सेकुलर मानते हैं और राम मन्दिर निर्माण को घोर सांप्रदायिक।

थ् हम रामसेतु तोड़कर जलमार्ग बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं और बाबरी निर्माण के लिए भी कृतसंकल्प हैं।

थ् हम 1984 के सिखों के कत्लेआम को इन्दिरा गांधी की मृत्यु से उत्पन्न सामान्य प्रतिक्रिया मानते हैं और गुजरात की हिंसा को महानतम सांप्रदायिक घटना।

थ् हम देश की प्राकृतिक संपदा पर 'मूल निवासी' होने के कारण मुसलमानों का पहला हक मानते हैं और हिन्दुओं (आर्यों) को बाहर से आया हुआ बताते हैं।

थ् हम हिन्दुओं के शादी-ब्याह, जन्म-मृत्यु, उत्तराधिकार, जीवन शैली, पूजा-पाठ के लिए सैकड़ों कानून बना देते हैं लेकिन मुस्लिम पर्सनल ला की चर्चा करना भी अपराध मानते हैं।

थ् हम मुसलमानों को रास्ता रोककर नमाज पढ़ने की इजाजत देते हैं और मन्दिर प्रांगण में एकत्रित श्रद्धालुओं पर लाठी चार्ज करते हैं।

थ् हम 'वीर शिवाजी' पर आधारित टी.वी. धारावाहिक पर प्रतिबंध लगाते हैं और 'मुगले आजम' को राष्ट्रीय पुरस्कार देते हैं।

थ् हम मुसलमानों को अपना व्यवसाय खोलने के लिए आसान किश्तों पर 5 लाख रुपए का ऋण कभी न चुकाने के आश्वासन के साथ देते हैं और हिन्दू किसानों को ऋण न चुकाने के कारण आत्महत्या के लिए प्रेरित करते हैं।

थ् हम रमजान के महीने में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्य गण्यमान्य व्यक्तियों द्वारा सरकारी पैसों से रोजा इफ्तार का आयोजन करते हैं तथा होली-दीवाली पर एक पैसा भी खर्च नहीं करते।

थ् हम हजरत मोहम्मद पर डेनमार्क में बने कार्टून पर बलवा करने वालों पर लाठी के बदले फूल बरसाते हैं और राम-कृष्ण को गाली देने वालों को पद्म पुरस्कार देते हैं।

थ् हम पाकिस्तान से आए हिन्दुओं को जबरन भेड़ियों के हवाले कर देते हैं और बंगलादेशियों के लिए स्वागत द्वार बनाते हैं।

थ् हम जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में 'गोमांस उत्सव' का आयोजन करते हैं और बाबा रामदेव के शहद को प्रतिबंधित करते हैं।

थ् हम अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की शाखाएं देश के कोने-कोने में खोलने के लिए सरकारी पैकेज देते हैं और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय का अनुदान रोक देते हैं।

थ् हम आतंकवादियों के घर जाकर आंसू बहाते हैं और शहीद जवानों की विधवाओं और बच्चों को भगवान भरोसे छोड़ देते हैं।

थ् हम आतंकवादियों से मुठभेड़ को फर्जी मुठभेड़ कहते हैं और हिन्दू साधु-सन्तों को आतंकवादी।

थ् हम सलमान रुश्दी को भारत आने की अनुमति नहीं देते, तस्लीमा नसरीन को भारत में रहने की इजाजत नहीं देते, लेकिन बीना मलिक को अनिश्चित काल के लिए सरकारी मेहमान बनाते हैं।

–विपिन किशोर सिन्हा

लेन-8सी, प्लॉट नं.-78, महामनापुरी एक्सटेंशन

पो.-बी.एच.यू. वाराणसी-221005

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