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अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम का तीन दिवसीय षष्ठीपूर्ति कार्यकर्ता सम्मेलन गत 26 दिसंबर को उज्जैन (म.प्र.) में सम्पन्न हो गया। सम्मेलन में वनवासी कल्याण आश्रम के देशभर के कार्यकर्ताओं ने बड़ी संख्या में भाग लिया। यहां कल्याण आश्रम के कार्य पर विस्तृत चिंतन हुआ।
सम्मेलन के समापन समारोह के मुख्य अतिथि महामण्डलेश्वर स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरि महाराज एवं रा.स्व.संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत थे। अध्यक्षता मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने की, विशिष्ट अतिथि थे उद्योगपति एवं समाजसेवी श्री जीवराज सिंघी। मंच पर वनवासी कल्याण आश्रम के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जगदेवराम उरांव, राष्ट्रीय महांमत्री श्री गुणवन्त सिंह कोठरी, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री जलेश्वर ब्रह्म एवं श्री कृपा प्रसाद सिंह तथा बौद्ध धर्मगुरु श्री तुलकु रिम्पौछे आसीन थे।
कार्यक्रम का शुुभारम्भ मंचस्थ अतिथियों द्वारा भारतमाता के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। तत्पश्चात मंचस्थ अतिथियों का उद्बोधन हुआ। श्री मोहनराव भागवत ने अपने उद्बोधन में कहा कि वनवासी कल्याण आश्रम ने 60 वर्ष में देश के 50 हजार वनवासी ग्राम तक सम्पर्क किया है। इस कार्य को और तेजी से आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। श्री जगदेवराम उरांव ने तीन दिवसीय सम्मेलन में सम्पन्न हुए कार्यक्रमों के बारे में बताया तथा आगामी योजना की जानकारी दी।
श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि वनवासी समाज की भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका है। अंग्रेजांे को वनक्षेत्रों में शासन करने के लिए कठोर संघर्ष करना पड़ा उसके बाद भी कई क्षेत्रों तक अंग्रेज पहुंच नहीं पाये। देश की आजादी में महारानी दुर्गावती, महाराणा प्रताप, बिरसा भगवान, भीमा नायक जैसे अनके महापुरुषों ने अपना योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि असत्य पर सत्य की जीत के लिए भगवान श्रीराम ने भी वनवासियों की सहायता से लंका पर विजय पाई थी। समापन कार्यक्रम में वनवासी कल्याण आश्रम के कार्यकर्ताओं के अलावा बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिकों ने भी भाग लिया।
सम्मेलन के अंतिम दिन उज्जैन में जनजाति समाज की शोभायात्रा का आयोजन हुआ। शोभायात्रा स्थानीय महाकाल मंदिर मैदान से आरंभ होकर पटनी बाजार, गोपाल मंदिर, कंठाल चौराहा, नई सड़क, दौलतगंज चौराहा, मालीपुरा, देवास गेट, चामुण्डा माता चौराहा होते हुए सामाजिक न्याय परिसर पर सम्पन्न हुई। शोभायात्रा में तमिलनाडु, झारखण्ड, असम, त्रिपुरा, मणिपुर प्रान्त के साथ-साथ स्थानीय मालवा, निमाड़ के लगभग 8000 से अधिक वनवासी बंधु सम्मिलित हुए। शोभायात्रा का जगह-जगह उज्जैन के विभिन्न सामाजिक-धार्मिक संगठनों द्वारा पुष्पवर्षा कर भव्य स्वागत किया गया। शोभायात्रा में वनवासी बंधु अपनी पारम्परिक वेशभूषा में विभिन्न लोकनृत्यों की प्रस्तुति देते हुए चल रहे थे। प्रतिनिधि
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