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नेपाल-भारत सहयोग मंच के तत्वावधान में गत 14-15 दिसंबर को नई दिल्ली में भारत-नेपाल संबंधों पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें भारत-नेपाल संबंधों पर दोनों देशों के राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, प्रशासनिक, मीडिया आदि क्षेत्र के लोगों ने खुलकर चर्चा की। सभी ने इस बात पर बल दिया कि भारत-नेपाल के संबंध और मजबूत होने चाहिए। सम्मेलन में नेपाल से करीब 35 लोगों का आगमन हुआ, जोकि समाज जीवन के अलग-अलग क्षेत्रों में सक्रिय हैं।
दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन 14 दिसंबर की सुबह हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भारतीय जनता पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा संसद सदस्य श्री राजनाथ सिंह थे। मंच पर नेपाल के उद्योग मंत्री श्री अनिल झा, भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री भगत सिंह कोश्यारी, नेपाल के पूर्व कार्यवाहक प्रधानमंत्री डा. प्रकाश चंद्र लोहानी आदि भी आसीन थे। इस अवसर पर रा.स्व.संघ के सह-सरकार्यवाह श्री सुरेश सोनी भी विशेष रूप से उपस्थित थे।
श्री राजनाथ सिंह ने अपने उद्बोधन में भारत-नेपाल के वर्षों पुराने सांस्कृतिक और धार्मिक संबंधों का उल्लेख करते हुए कहा कि इतने वर्षों में किन्हीं कारणवश यदि भारत-नेपाल संबंधों में समस्याएं आई हैं तो उन्हें हमें फिर से ठीक कर लेना चाहिए। नेपाल को पंथनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित किए जाने के संबंध में बोलते हुए उन्होंने कहा कि नेपाल को षड्यंत्रपूर्वक पंथनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित किया गया, इसलिए नेपाल को संवैधानिक रूप से हिन्दू राष्ट्र घोषित किया जाना चाहिए।
डा. प्रकाश चंद्र लोहानी ने भारत-नेपाल के आर्थिक और व्यापारिक रिश्तों के नए रास्ते खोलने की आवश्यकता पर जोर दिया। श्री भगत सिंह कोश्यारी ने भारत और नेपाल के अहस्तांतरणीय सांस्कृतिक संबंधों पर बल दिया। श्री अनिल झा ने कहा कि भारत-नेपाल के जाने-पहचाने संबंध दो क्षेत्रों के अलग-अलग सांस्कृतिक संस्थाओं के रूप में कल्पना की अनुमति नहीं देते। उद्घाटन समारोह का संचालन सम्मेलन के संयोजक श्री दीपक कुमार अधिकारी ने किया।
सम्मेलन के पहले दिन नेपाल के बदलते राजनीतिक परिदृश्य, चुनौतियां, अवसर और स्थानांतरण मानदंड आदि विषयों पर भारत-नेपाल के विशेषज्ञों ने अपने मत व्यक्त किए। नेपाल सर्वोच्च न्यायालय में वरिष्ठ अधिवक्ता श्री भीमार्जुन आचार्य ने नेपाल की वैधानिकता पर सवाल उठाते हुए कहा कि संवैधानिक खामियां ही नेपाल के वर्तमान राजनीतिक संकट का कारण हैं। उन्होंने कहा कि इस समस्या का समाधान आम सहमति से ही हो सकता है।
वरिष्ठ पत्रकार तथा राज्यसभा सांसद श्री चंदन मित्रा ने कहा कि आतंकवाद, जाली मुद्रा और अवैध घुसपैठ भारत-नेपाल के लिए समान रूप से चिंता के विषय हैं। उन्होंने कहा कि आपसी विश्वास से ही इन समस्याओं का समाधान हो सकता है। पहले दिन के सत्रों में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के संगठन मंत्री श्री सुनील अंबेकर, प्रसिद्ध स्तंभकार और राजनीतिक विश्लेषक श्री श्रीकृष्ण अनिरुद्ध गौतम, प्रो. रमेश कुमार धुंगल, अंदमान-निकोबार द्वीप और पुडुचेरी के पूर्व राज्यपाल श्री एन.एन. झा, नेपाल के राजनीतिक दल तराई मधेश लोकतांत्रिक पार्टी के नेता श्री जितेन्द्र सोनल आदि ने भी संबोधित किया।
सम्मेलन के दूसरे दिन 'भारत-नेपाल आर्थिक संबंध' विषय पर वक्ताओं ने विचार व्यक्त किए। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में प्राध्यापक प्रो. आनंद कुमार ने कहा कि राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक इन सब क्षेत्रों को अलग-अलग परिप्रेक्ष्य में देखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि महिला आंदोलन, मानव अधिकार आंदोलन और पर्यावरण पर दोनों देशों को मिलकर काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भारत-नेपाल संबंध के लिए 'नागरिक' एजेंडा अच्छा साबित हो सकता है। डा. कुमार ने कहा कि कृषि, उद्योग, पर्यावरण, शिक्षा, स्वास्थ्य सहित करीब 8-9 पहलुओं पर विचार किए जाने की आवश्यकता है। बिहार विधान परिषद के सदस्य श्री हरेन्द्र कुमार पांडे ने कहा कि नेपाल की जनता के दिल से भय निकालकर उन्हें स्वावलंबी बनाने की आवश्यकता है।
सम्मेलन में विशेष रूप से उपस्थित भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री नितिन गडकरी ने कहा कि एक राज्य के विकास के लिए दृढ़ राजनीतिक इच्छा शक्ति की जरूरत होती है। उन्होंने कहा कि नेपाल को अपने आर्थिक विकास के लिए जल संसाधन, ऊर्जा, यातायात और संचार का विकास करना चाहिए। पनबिजली के विकास पर उन्होंने अधिक जोर दिया। श्री गडकरी ने कहा कि कृषि, पर्यटन और अन्य उपजाऊ क्षेत्र का विकास करने की भी जरूरत है। उन्होंने कहा कि नेपाल को विकास के लिए 'विजन 2025' की तरह मॉडल तैयार करना चाहिए।
सम्मेलन का अंतिम सत्र 'भारत-नेपाल संबंधों को मजबूत बनाने में मीडिया की भूमिका' पर था। संसद सदस्य श्री हुकुम देव नारायण यादव ने मीडिया को भारत-चीन के संबंध में सही रिपोर्टिंग करने की आवश्यकता पर जोर दिया। साथ ही उन्होंने नेपाल को पंथनिरपेक्ष राष्ट्र घोषित करने पर असंतोष भी व्यक्त किया। इस अवसर पर नेपाल सरकार में मंत्री रहे श्री सुरेश मल्ला सहित बड़ी संख्या में दिल्ली के प्रबुद्ध नागरिक उपस्थित थे।
पी. मुरली मनोहर अभाविप के राष्ट्रीय अध्यक्ष निर्वाचित
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे हैदराबाद (आंध्र प्रदेश) के श्री पी. मुरली मनोहर इस वर्ष के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष निर्वाचित हुए हैं। इनके साथ एक बार फिर श्री उमेश दत्त को राष्ट्रीय महामंत्री के रूप में चुना गया है। दोनों की घोषणा गत दिनों परिषद के मुम्बई कार्यालय से चुनाव अधिकारी श्री एम. जयकुमार ने की। दोनों पदाधिकारी आगामी 26 दिसंबर को पटना (बिहार) में होने वाले परिषद के 58वंे राष्ट्रीय अधिवेशन में अपना पदभार ग्रहण करेंगे।
श्री पी. मुरली मनोहर आंध्र प्रदेश के शासकीय डिग्री कालेज में अंग्रेजी के व्याख्याता हैं तथा 1979 से अभाविप में सक्रिय हैं। उन्हें 2007 में आंध्र प्रदेश सरकार ने उत्कृष्ट शिक्षक के पुरस्कार से सम्मानित किया था। श्री मुरली मनोहर ने विद्यार्थी परिषद में नगर, विभाग एवं प्रांत स्तर के अनेक दायित्वों का सफलतापूर्वक निर्वहन किया है। उन्होंने 1987 में आंध्र प्रदेश के पालामूर में जनचेतना के लिए हुई 'भूख यात्रा' का नेतृत्व किया। इसके अलावा और भी अनेक आंदोलनों का श्री मुरली मनोहर ने नेतृत्व किया है। श्री उमेश दत्त मूल रूप से हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले से हैं तथा 1995 से अभाविप के कार्यकर्ता हैं। श्री उमेश दत्त तीसरी बार परिषद के महामंत्री बने हैं। प्रतिनिधि
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