पहले अपने भारत को तो मानो
May 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम Archive

पहले अपने भारत को तो मानो

by
Dec 15, 2012, 12:00 am IST
in Archive
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

पहले अपने भारत को तो मानो

दिंनाक: 15 Dec 2012 15:23:20

एक दिन अपनी 10वीं में पढ़ रही भतीजी के साथ सब्जी लेने गया तो दुकानदार ने सब जोड़कर बताए-अड़सठ रुपए। अकबकाई भतीजी ने मेरी ओर देखकर पूछा, 'कितने', मैंने साफ किया 'साठ और आठ'। वह झल्लाकर बोली 'चाचा हिन्दी में बताओ।' अब चौंकने की बारी मेरी थी। उसे अड़सठ संस्कृत का शब्द लगा था। 'सिक्सटी एट' दिलाकर जब घर लौटे तो देवनागरी के अंकों में लिखी संख्या भी उसकी समझ से परे लगी। और जिज्ञासा हुई तो अपने देश-संस्कृति के बारे में कुछ जानना चाहा, वहां भी सन्नाटा ही मिला। समझ गया कि भारत का सामना 'इंडिया' से हो रहा है। कमोबेश यही स्थिति अधिकांश घरों-परिवारों में दिख रही है। नई सीढ़ी को दोष क्यों दें कि वे भारत के बारे में कुछ नहीं जानते, हम भी तो उनको सिखाना नहीं चाहते। कान्वेंटी स्कूल और 'मिस', 'मैडम', 'सर', 'डैड', 'माम' के सम्बोधन सुनकर खुश होने वाले भारतीयों ने जाना ही नहीं कि शिक्षा क्षेत्र की यह घुसपैठ हमारी संतति को हमसे, हमारी संस्कृति से, हमारे समाज से और हमारे देश से कितनी दूर ले जा रही है। इस अज्ञानता और बढ़ती दूरी को पाटने के लिए अनेक धीर-गंभीर पुस्तकें लिखी गईं, पर समस्या ज्यों की त्यों। तब डा. हरिश्चन्द्र बर्थ्वाल ने सोचा होगा कि विस्तार से न जानें, पर बच्चों को प्रारंभिक जानकारी तो हो, इसलिए प्रश्नोत्तर के रूप में उन्होंने भारत और उसकी विशेषताओं को पूछने-बताने का प्रयत्न किया। स्कूलों-कालेजों और अब टी.वी. कार्यक्रमों में होने वाले 'क्विज' (प्रश्न मंच) में भारत और भारतीयता के प्रश्नों के अभाव को पाटने के इस प्रयास में डा. बर्थ्वाल ने ऐसे-ऐसे प्रश्न पूछे हैं कि खुद को पूर्ण भारतीय कहने वालों को भी उत्तर देने समय लगे। और तरीका इतना सरल कि 'इण्डिया' वाले भी भारत के बारे में तपाक से बोल सकें। 14 अध्यायों में विभक्त कुल 415 प्रश्नों और उनके उत्तर को जान लिया तो समझो अपने भारत, उसके पुण्यस्थल, प्राचीन वाङ्मय, राष्ट्रवाद, इतिहास, धर्म, कालगणना, दर्शन, संस्कृति और जीवन मूल्य, व्याकरण और भारतीय शिक्षा और संस्कृति के वैश्विक विस्तार का ज्ञान अर्जित कर लिया। इसीलिए 1999 के बाद से इसका तीसरा और संशोधित, परवर्धित संस्करण नई साज-सज्जा के साथ हाल ही में प्रस्तुत किया गया है। इस पुस्तक को अवश्य पढ़िए, अपनी नई पीढ़ी को पढ़ाइये, और हो सके तो हमेशा अपने साथ रखिए, ताकि लोगों से प्रश्न पूछकर उनमें अपने देश के बारे में जानने की जिज्ञासा पैदा कर सकें।

पुस्तक का नाम –  भारत परिचय-प्रश्न मंच

संकलन–सम्पादन –  डा. हरिश्चन्द्र बर्थ्वाल

प्रकाशक          –  सुरुचि प्रकाशन

                     केशव कुञ्ज, झण्डेवाला

                     नई दिल्ली-110055

मूल्य – 100 रुपए  पृष्ठ – 132

दूरभाष-(011)-23514672

बेबसाइट – www. surchiprakashan.com

ई मेल -surchiprakashan@gmail.comú®ú

सार्वकालिक चिंतन स्पष्ट विचार

प्रखर राष्ट्रभक्त, राष्ट्रवादी चिंतक और समाज हित के लिए राजनीतिक क्षेत्र में काम करने वाले पं. दीनदयाल उपाध्याय का असाधारण व्यक्तित्व जितना प्रेरक था, उतना ही प्रेरणादायी था उनका चिंतन और विचार। उनके द्वारा अभिप्रेरित 'एकात्म मानव दर्शन' का सिद्धान्त पूंजीवाद, समाजवाद, साम्यवाद और सभी प्रकार के अन्य सामाजिक चिंतनों से सर्वथा भिन्न और सर्व-समाज को स्पर्श करने वाला है। ऐसे तत्व चिंतक समाजसेवी की 11 फरवरी, 1968 को जब रहस्यमय परिस्थितियों में मृत्यु हुई तो उनके व्यक्तित्व का खालीपन उनके विचारों से भरने का प्रयत्न किया गया। दीनदयाल जी अपने अत्यन्त व्यस्त राजनीतिक जीवन के बाद भी अंग्रेजी साप्ताहिक आर्गेनाइजर के नियमित स्तम्भ लेखक थे और 'पोलिटिकल डायरी' के अन्तर्गत वे तत्कालीन राजनीतिक-आर्थिक घटनाक्रम का गंभीर विवेचनात्मक विश्लेषण करते थे। उनके निधन के पश्चात गठित हुई 'पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मारक समिति' ने उस स्तंभ में व्यक्त विचारों का संकलन कर उसी नाम से प्रकाशित किया, फिर उसका अनुवाद भी बहुत लोकप्रिय हुआ। पिछले काफी समय से 'पोलटिकल डायरी' (हिन्दी व अंग्रेजी) उपलब्ध नहीं थी, जिसकी पूर्ति हाल ही में सुरुचि प्रकाशन ने की है।

निश्चित रूप से किसी विषय विशेष पर की गई टिप्पणी सम-सामयिक होती है, पर बहुधा दीर्घकालिक महत्व की भी होती है। इस दृष्टि से देखें तो वर्तमान राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में दलों के बीच जो स्थायी शत्रुता का भाव दिखाई देता है, उस पर पुस्तक की प्रस्तावना में 1968 में ही डा. सम्पूर्णानंद ने लिखा था- 'मैं अपने सम्पूर्ण राजनीतिक जीवन में कांग्रेस का सदस्य रहा हूं। ऐसे में कुछ लोगों को आश्चर्य हो सकता है कि यह अनुरोध (प्रस्तावना हेतु) कैसे किया गया, और कैसे स्वीकार लिया गया। परन्तु बात ऐसी है कि यदि अपने देश में जनतंत्र की जड़ें मजबूत करनी हैं तो यह सहिष्णुता के उस महान गुण की मात्र सामान्य अभिव्यक्ति है जिस पर आचरण करना हम सबको सीखना चाहिए।'  पं. दीनदयाल जी की दूरगामी सोच व चिंतन का उदाहरण देखना हो तो सन् 1959 से 1964 के बीच लिखे पुस्तक में संग्रहीत उनके लेखों को पढ़ जाइये, वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में वैसा ही कुछ घटता हुआ प्रतीत होगा। खुदरा बाजार में प्रत्यक्ष पूंजी निवेश पर संसद में जो हुआ, उस पर 10 जुलाई, 1961 को दीनदयाल जी द्वारा की गई टिप्पणी बहुत सटीक बैठती है-'यह स्मरण रखना चाहिए कि संसदीय पद्धति में बहुमत-दल केवल सरकार का गठन करता है। देश का शासन सरकार के माध्यम से संसद द्वारा किया जाता है। इस प्रकार विरोधी दल भी संसद द्वारा उत्तरदायित्वों के सफल निर्वाह में योगदान करता है, अन्यथा राष्ट्रद्रोह और विरोधी दल के बीच कोई अंतर नहीं रह जाएगा।'

जनतंत्र में सत्ता के प्रति उच्च स्तर की निरासक्ति आवश्यक है। आज की कांग्रेस और उससे निकले दलों की स्थिति भी जस की तस है, यह 4 सितम्बर, 1961 की इस टिप्पणी से समझा जा सकता है-'दुर्भाग्यवश, गत कुछ वर्षों से कांग्रेसियों का राजनीतिक आचरण कुछ श्लाघ्य नहीं रहा है। कांग्रेस का परित्याग करने वालों के जो दल गठित हुए हैं, वे भी उसी रोग से ग्रस्त हैं, विशेषकर इसलिए कि जो लोग कांग्रेस का परित्याग करते हैं वे शायद ही कभी सैद्धान्तिक आधार पर वैसा करते हैं।' सपा और बसपा सहित अन्य छोटे व क्षेत्रीय दल जैसा आचरण करते हैं, उसके बारे में दीनदयाल जी ने बहुत पहले लिखा था- 'जहां तक भारत के राजनीतिक दलों का संबंध है, उनमें बहुत-सी त्रुटियां हैं। इसमें सबसे दोषी सत्तारूढ़ दल है, परन्तु अन्य अनेक दलों का आचरण भी कुछ अच्छा नहीं है। आज राजनीतिक दल सैद्धान्तिक आधार पर नहीं, वरन् व्यक्तिगत या गुट के आधार पर गठित होते हैं।… यदि जनतंत्र केवल यहीं तक अपनी गतिविधियां सीमित रखता है कि निर्वाचित प्रतिनिधि केवल सत्ता की होड़ में लगे रहें और पद के पीछे दौड़ते रहें, तथा राज्य के कार्यों को इस प्रकार छोड़ दें कि वह अस्त-व्यस्त हो जाए, तो वह जनतंत्र नाम के लिए भी अच्छा नहीं।' यानी कुछ नहीं बदला है तबसे अब तक। वही परिस्थितियां, वही वातावरण। ऐसे में कुछ विशेष प्रसंगों पर दीनदयाल जी द्वारा सुझाए गए उपाय निश्चित रूप से वर्तमान राजनेताओं और राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं के लिए उपयोगी सिद्ध होंगे, इस दृष्टि से यह पुस्तक पठनीय व संग्रहणीय है।

पुस्तक का नाम  –पोलिटिकल डायरी    

लेखक   –  दीनदयाल उपाध्याय

प्रकाशक    –  सुरुचि प्रकाशन

                केशव कुञ्ज, झण्डेवाला, नई दिल्ली-110002

पृष्ठ     –  251

मूल्य    –  120 रुपए

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

ड्रोन हमले

पाकिस्तान ने किया सेना के आयुध भण्डार पर हमले का प्रयास, सेना ने किया नाकाम

रोहिंग्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद अब कुछ शेष नहीं: भारत इन्‍हें जल्‍द बाहर निकाले

Pahalgam terror attack

सांबा में पाकिस्तानी घुसपैठ की कोशिश नाकाम, बीएसएफ ने 7 आतंकियों को मार गिराया

S-400 Sudarshan Chakra

S-400: दुश्मनों से निपटने के लिए भारत का सुदर्शन चक्र ही काफी! एक बार में छोड़ता है 72 मिसाइल, पाक हुआ दंग

भारत में सिर्फ भारतीयों को रहने का अधिकार, रोहिंग्या मुसलमान वापस जाएं- सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

शहबाज शरीफ

भारत से तनाव के बीच बुरी तरह फंसा पाकिस्तान, दो दिन में ही दुनिया के सामने फैलाया भीख का कटोरा

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

ड्रोन हमले

पाकिस्तान ने किया सेना के आयुध भण्डार पर हमले का प्रयास, सेना ने किया नाकाम

रोहिंग्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद अब कुछ शेष नहीं: भारत इन्‍हें जल्‍द बाहर निकाले

Pahalgam terror attack

सांबा में पाकिस्तानी घुसपैठ की कोशिश नाकाम, बीएसएफ ने 7 आतंकियों को मार गिराया

S-400 Sudarshan Chakra

S-400: दुश्मनों से निपटने के लिए भारत का सुदर्शन चक्र ही काफी! एक बार में छोड़ता है 72 मिसाइल, पाक हुआ दंग

भारत में सिर्फ भारतीयों को रहने का अधिकार, रोहिंग्या मुसलमान वापस जाएं- सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

शहबाज शरीफ

भारत से तनाव के बीच बुरी तरह फंसा पाकिस्तान, दो दिन में ही दुनिया के सामने फैलाया भीख का कटोरा

जनरल मुनीर को कथित तौर पर किसी अज्ञात स्थान पर रखा गया है

जिन्ना के देश का फौजी कमांडर ‘लापता’, उसे हिरासत में लेने की खबर ने मचाई अफरातफरी

बलूचिस्तान ने कर दिया स्वतंत्र होने का दावा, पाकिस्तान के उड़ गए तोते, अंतरिम सरकार की घोषणा जल्द

IIT खड़गपुर: छात्र की संदिग्ध हालात में मौत मामले में दर्ज होगी एफआईआर

प्रतीकात्मक तस्वीर

नैनीताल प्रशासन अतिक्रमणकारियों को फिर जारी करेगा नोटिस, दुष्कर्म मामले के चलते रोकी गई थी कार्रवाई

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies