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हरियाणा के सिरसा में गत 2 दिसंबर को हरियाणा जन कांग्रेस (हजकां), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) गठबंधन की रैली में लोगों का भारी उत्साह देखने को मिला। इससे साफ हो गया है कि हजकां-भाजपा गठबंधन पर जनता ने अपनी सहमति प्रकट कर दी है। उधर भाजपा ने भी उन सभी अटकलों पर विराम लगाकर हजकां प्रमुख कुलदीप बिश्नोई को गठबंधन का मुखिया घोषित कर दिया है। इससे प्रदेश में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं और यह गठबंधन प्रदेश की राजनीति में एक तीसरे मजबूत विकल्प के रूप में सामने आ गया है। सिरसा रैली जहां गठबंधन को एक मजबूत आधार देने में कामयाब रही वहीं मौजूदा हुड्डा सरकार के सामने एक चुनौती भी खड़ी कर गई। हर मोर्चे पर विफल, जातिवाद और भेदभाव के आरोप में पहले से ही उलझी कांग्रेस सरकार को सोचने पर मजबूर होना पडेगा कि जिस विकास और सुशासन की बात वह कर रही है, वास्तव में हालात उसके बिलकुल विपरीत हैं। जनता खुश नहीं हैं और कांग्रेस की नीतियों के खिलाफ उसने मोर्चा खोल दिया है।
यह रैली, जिसमें भाजपा-हजकां दोनो दलों के कार्यकर्ताओं ने मिलजुलकर एकता का परिचय दिया है, कम मायने नहीं रखती। रैली में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी, लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज, हरियाणा में भाजपा के प्रदेश प्रभारी डा. हर्षवर्धन, कैप्टन अभिमन्यु, भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष कृष्णपाल गुर्जर सहित अनेक नेताओं व हजकां प्रमुख कुलदीप बिश्नोई, चंद्रमोहन, धर्मपाल मलिक सहित अनेक नेताओं ने संबोधित किया।
प्रदेश की जनता पिछले करीब 8 वर्षो से हुड्डा सरकार की नीतियों से तंग आ चुकी है। जनता में इस बात को लेकर ज्यादा रोष पनप रहा है कि हुड्डा जातिवाद और क्षेत्रवाद को बढ़ावा दे रहे हैं और विकास के नाम पर जनता के साथ छलावा किया जा रहा है। वास्तव में जनता तो हुड्डा सरकार के पहले कार्यकाल में ही तंग आ चुकी थी, जिसके चलते लोगों ने दोबारा सरकार बनाने का जनमत नहीं दिया था। लेकिन राजनीतिक जोड़-तोड़ में माहिर कांग्रेस ने दूसरे दलों से जीतकर आए विधायकों को अपने साथ मिलाकर सरकार बना ली। हुड्डा सरकार दूसरे कार्यकाल में बैसाखियों पर टिकी है। उसमें भी जो विधायक सरकार चलाने में सहयोग कर रहे हैं उनमें से कई पर विभिन्न प्रकार के आरोप लगे हुए हैं। इसके कारण उन्हें सरकार बचाने की चिंता रहती है। लोग सब जान रहे हैं, लेकिन किसी मजबूत विकल्प की कमी के कारण वे भटक रहे थे।
हरियाणा में हमेशा जाट-गैरजाट के आधार पर राजनीति चलती रही है, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री (स्व.) भजन लाल गैरजाट नेता के रूप में जाने जाते रहे हैं। लेकिन पिछले कुछ समय से राजनीति का यह पहलू कमजोर होता चला गया और हर दल में एक ही वर्ग से मुखिया सामने आते रहे हैं। वैसे तो कोई भी राजनीतिक दल किसी एक जाति व समाज के नाम पर आगे नहीं बढ़ सकता। सभी वर्गों का बराबर का सहयोग आवश्यक होता है। लेकिन जबसे हुड्डा ने सरकार संभाली है, लोगों के दिलों में यह बात घर कर गई है कि हुड्डा सरकार जातिवाद को बढ़ावा दे रही है। इसी कारण प्रदेश की जनता ने भाजपा-हजकां गठबंधन को एक विकल्प के रूप में स्वीकार किया है।
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