पाकिस्तान में जारी है हिन्दू दमन!
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पाकिस्तान में जारी है
हिन्दू दमन!
बुल्डोजर मन्दिर ढहाता रहा
पाकिस्तानी पुलिस मूंछों पर ताव देती रही
शनिवार 1 दिसम्बर, 2012 की सुबह कराची के सोल्जर बाजार के डौली खत्ता इलाके में रहने वाले करीब 150 हिन्दू तब सकते में आ गए जब मुहल्ले में हथियारबंद पुलिस और रेंजर जवानों ने श्री राम पीर मन्दिर और उसके आस-पास के घरों को घेर लिया। उनके पीछे-पीछे धड़धड़ाता हुआ बुल्डोजर आया। हिन्दू पुरुष और महिलाएं कुछ समझ पाते उससे पहले ही फरमान गूंजा- 'अपने बर्तन-भांडे, बिस्तर और जरूरी सामान फौरन बाहर निकाल लो।' हायतौबा मच गई, बहुत दिन से उन हिन्दुओं को सताता आ रहा खौफ सच्चाई में बदलने जा रहा था। बेचारे हिन्दू महिला-पुरुष भाग-दौड़ कर, अपने बच्चों और जो हाथ आया उसे बाहर सड़क पर ले आए। बुल्डोजर गर्राहट करता हुआ पहले मन्दिर पर चढ़ा। हिन्दुओं को मामला समझते देर न लगी, वे मन्दिर में रखीं देव-प्रतिमाओं, चित्रों वगैरह को बाहर निकाल लाए। बंदूकधारी पुलिस के आगे एकाध ने हाथ जोड़कर विनती की तो बंदूक के बट खाने पड़े। देखते ही देखते सौ साल से ज्यादा पुराना श्री राम पीर मन्दिर ईंट के मलबे में तब्दील कर दिया गया। इतना ही नहीं, मन्दिर से सटे चार घरों पर भी बुल्डोजर चढ़ दौड़ा। माल-असबाब रौंद-रांदकर घंटे-डेढ़ में 'मन्दिर ढहाऊ दस्ता' निकल लिया। हिन्दू महिलाएं अपने बच्चों के साथ सड़क पर बिलख उठीं, पुरुष सदमे में थे। देव प्रतिमाएं, मन्दिर के बर्तन, पूजा की चीजें मलबे से झांक रही थीं।
यह सब उस बिल्डर ने किया था जिसने कुछ साल पहले वह जमीन खरीदकर वहां रहने वाले हिन्दुओं को 'एंक्रोचर्स' यानी 'जबरन कब्जा करने वाले' बताना शुरू कर दिया था। हिन्दुओं ने जबकि कब्जा नहीं किया था, वे तो वहां बंटवारे से पहले से रहते आए थे। और मन्दिर तो सौ साल से वहीं था, तो कब्जा कैसा? पर बिल्डर ने एक नहीं सुनी, स्थानीय छावनी अधिकारियों से साठगांठ करके उसने हिन्दुओं को जगह खाली करने को धमकाना शुरू कर दिया। लिहाजा अदालत की शरण लेनी पड़ी। श्री राम पीर मन्दिर के राम चंद व दो अन्य ने स्थगनादेश दिए जाने की गुहार करने वाली अपनी याचिका में लिखा कि 'जुलाई 2007 में एक प्राइवेट बिल्डर ने वहां रहने वाले हिन्दुओं को मन्दिर परिसर खाली करने के नोटिस थमा दिए। उन पर 'नाले' की जमीन कब्जाने का आरोप लगाया।' होते-होते मामला सिंध उच्च न्यायालय में पहुंचा। सुनवाई चलने लगी। इस साल 10 जुलाई को अदालत ने स्थगनादेश दिया। लेकिन पिछले महीने, 13 नवम्बर को बिल्डर के वकील ने अदालत को गुमराह करते हुए खुद को याचिकाकर्ताओं यानी हिन्दुओं के वकील के तौर पर पेश किया और स्थगनादेश खारिज करा लिया। जबकि सुनवाई करने वाली खंडपीठ के प्रमुख न्यायमूर्ति अकील अहमद अब्बासी ने कराची के सैन्य संपदा अधिकारी की टिप्पणी दाखिल करने की आखिरी तारीख 7 दिसम्बर तय की थी। यानी सुनवाई के बीच ही बिल्डर का बुल्डोजर मन्दिर तोड़ गया!
इलाके के हिन्दुओं में गुस्सा है, पर पाकिस्तान में हैं, सो दहशत भी है। पाकिस्तान हिन्दू काउंसिल ने इस मनमानी के खिलाफ 2 दिसम्बर की दोपहर कराची प्रेस क्लब के बाहर प्रदर्शन किया, प्रशासन की बेसुधी पर लानतें भेंजीं। उधर अपने टूटे आशियाने के बाहर सुबकती सविता ने कहा, 'अपनी बेटी के दहेज के लिए दिए जेवर जुटाए थे जो अब मलबे में कहीं दबे हैं। पति बाहर गांव गए हैं, तीन बच्चों को लेकर खुले आसमान के नीचे रात बितानी पड़ रही है।' बांह के जख्म दिखाते हुए लक्ष्मण ने बताया, 'मैंने उन्हें रोकने की कोशिश की तो बंदूक के बट मारे। मैंने कहा, मुझे मार दो, मन्दिर मत तोड़ो।' भंवरी उस समय नाश्ता बना रही थी जब बुल्डोजर घर रौंदने आया था। कुछ ही देर में उसका घर उसकी आंखों के सामने ईंट-पत्थर का ढेर बनकर रह गया। चप्पे-चप्पे पर पुलिसिए तैनात थे, चूं तक करने की इजाजत नहीं थी। वहां के हिन्दुओं का कहना है, पुलिस वाले मन्दिर के चित्र वगैरह तो छोड़ गए पर सोने के जेवर और मुकुट साथ लेते गए। बुजुर्ग काली दास ने कहा कि यहां बेचारे हिन्दू पहले ही तरेड़ें खाते मकानों में पर्दे डालकर रह रहे थे। अब तो सड़क पर ही आ गए हैं। पाकिस्तानी हुकूमत की बेपरवाही से गुस्साए हिन्दुओं ने जोर-जोर से चिल्लाना शुरू कर दिया- 'तुम नहीं चाहते कि हम यहां रहें तो हमें टिकट दो, हम भारत चले जाएंगे।'
19वीं सदी के राजस्थान (भारत) के मशूहर संत राम पीर के भक्तों के हाथों कराची में बनाया गया राम पीर मन्दिर अब बस ईंट-पत्थरों का ढेर रह गया है। भगवान के भक्त देव-प्रतिमाओं, चित्रों को अपने बचे-खुचे घरों में ले गए हैं। पर उन्हें नहीं मालूम उनके वे घर कब तक खड़े हैं!
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