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कड़ाई से कुचलो उन्मादियों को
पाठकीय
अंक–सन्दर्भ04 नवम्बर,2012
सम्पादकीय 'फिर मजहबी उन्माद' में एक गंभीर मसले को उठाया गया है। अखिलेश सरकार के 7 माह के शासनकाल में 8 स्थानों पर मजहबी उन्मादियों ने सिर उठाने का प्रयास किया है, जो चिन्ताजनक है। उत्तर प्रदेश में जब से सपा की सरकार आई है हिन्दू और पुलिस दोनों परेशान हैं। विवाद उन्मादी खड़ा करते हैं और कार्रवाई हिन्दुओं के खिलाफ होती है। उन्मादियों को न उनके मजहबी नेता रोकते हैं और न ही पुलिस। पीड़ित हिन्दू जब अपनी रक्षा के लिए मुकाबला करते हैं तो हिन्दुओं को सेकुलर नेता साम्प्रदायिक सद्भाव का पाठ पढ़ाने लगते हैं।
–वीरेन्द्र सिंह जरयाल
28-ए, शिवपुरी विस्तार, कृष्ण नगर
दिल्ली-110051
बरेली, गाजियाबाद, प्रतापगढ़, कोसी कलां, फैजाबाद आदि शहरों में मजहबी कट्टरवादियों ने अपनी ताकत का प्रदर्शन किया है। अगर कट्टरवादियों को राज्य सरकार की शह मिलती रही तो इस सूची में और भी शहर शामिल हो सकते हैं। अखिलेश सरकार मुस्लिमों के लिए सरकारी खजाना खोल चुकी है। जो भी काम हो रहा है उसके केन्द्र में मुस्लिमों को ही रखा जा रहा है। शायद इस वजह से भी राज्य के लोगों में आक्रोश पनप रहा है।
–गणेश कुमार
पटना (बिहार)
दंगे उन्हीं राज्यों में सबसे अधिक क्यों होते हैं, जहां गैर-भाजपाई सरकारें हैं। मायावती के राज में महीनों तक बरेली सुलगती रही। अखिलेश राज में जो हो रहा है वह सामने है। राजस्थान में कांग्रेसी-राज में गोपालगढ़ में दंगे हुए। प. बंगाल में ममता बनर्जी का राज है। जब से उनकी सरकार आई है तब से बंगाल में अनेक जगहों पर साम्प्रदायिक तनाव बढ़ा है। वहीं भाजपा-शासित म.प्र., छत्तीसगढ़, गुजरात में ऐसी कोई घटना नहीं होती है। फिर भी सेकुलर नेता भाजपा को साम्प्रदायिक पार्टी कहते हैं।
–विकास कुमार
शिवाजी नगर, वडा, थाणे (महाराष्ट्र)
मजहबी उन्मादियों को कड़ाई से कुचला जाए। ये लोग देश को अस्थिर करना चाहते हैं। ऐसे ही तत्वों ने पाकिस्तान का बुरा हाल कर रखा है। इसलिए पूरी दुनिया में उसकी पहचान एक कट्टरवादी देश के रूप में है।
–राममोहन चंद्रवंशी
अभिलाषा निवास, विट्ठल नगर, टिमरनी
जिला–हरदा (म.प्र.)
नैतिकता बढ़े
नागपुर के विजयादशमी उत्सव में सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने अपने उद्बोधन में चरित्र निर्माण पर जोर दिया है। देश में नैतिकता-सम्पन्न लोगों की संख्या तेजी से बढ़नी चाहिए। नैतिक गिरावट के कारण अनेक समस्याएं पैदा हो रही हैं। नैतिकता के अभाव में अनैतिकता बढ़ रही है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ लोगों में नैतिकता बढ़ाने का ही काम कर रहा है।
–हरिहर सिंह चौहान
जंवरीबाग नसिया, इन्दौर-452001 (म.प्र.)
सरसंघचालक जी ने अपने पूरे भाषण में राष्ट्रहित की ही बात कही है। यदि देश के हर नागरिक में राष्ट्रीयता की भावना पैदा हो जाए तो भारत दुनिया का एक बड़ा शक्तिशाली देश हो सकता है। किन्तु सेकुलर नेता अपने स्वार्थ के लिए हम भारतीयों को आपस में बांटते रहते हैं। लोगों को इतना तो सजग होना ही पड़ेगा कि जो कोई भी राष्ट्र के साथ छल करेगा उसे छोड़ा नहीं जाएगा।
–सुहासिनी प्रमोद वालसंगकर
द्वारकापुरम, दिलसुखनगर
हैदराबाद-60 (आं.प्र.)
समयोचित प्रश्न
श्री देवेन्द्र स्वरूप ने समयोचित प्रश्न उठाया है कि 'क्या राष्ट्रीय शक्तियां एकजुट होंगी?' यदि राष्ट्रवादी विचार वाले संगठन एकजुट नहीं होंगे तो राष्ट्र और देशवासियों का क्या हाल होगा? जो परिस्थितियां पिछले 65 साल से खराब हो रही हैं अधिक बिगड़ सकती हैं। एकता में बल है। यदि समविचारी संगठन एक साथ नहीं आएंगे तो उनके कार्यों का वह असर नहीं होगा जो होना चाहिए। सब मिलकर कार्य करेंगे तो विजय निश्चित है।
–लक्ष्मी चन्द
गांव–बांध, डाक–भावगढ़ी
तहसील–कसौली, जिला–सोलन (हि.प्र.)
चिन्तनीय दशा
श्री मुजफ्फर हुसैन ने विश्व के विभिन्न देशों में बढ़ते इस्लामी कट्टरवाद पर प्रकाश डालकर आंखें खोली हैं। फिलीपींस का बंटना तय है। ईसाइयों, यहूदियों, मूर्तिपूजकों आदि गैर-मुसलमानों को इस्लाम काफिर मानता है। उनके साथ भाईचारे की भावना के साथ रहने की अनुमति नहीं देता। जैसे भी हो पूरी दुनिया को इस्लामी झण्डे के अन्दर लाना ही प्रमुख लक्ष्य है। तुकर्ी से खुलेपन की विदाई दुनियाभर के लिए खतरे की घंटी है। भारत की दशा चिन्तनीय है। वोट गिद्धों ने सत्तालोलुपता में अपनी भावी सन्तानों को ही दांव पर लगा दिया है।
–क्षत्रिय देवलाल
उज्जैन कुटीर, अड्डी बंगला, झुमरी तलैया
कोडरमा-825409 (झारखण्ड)
साधुवाद का पात्र
पाञ्चजन्य इस बात के लिए साधुवाद का पात्र है कि वह जिहादी मानसिकता का सही ढंग से विवेचन करता है। सेकुलर मीडिया तो जिहादी मानसिकता पर चुप्पी साध लेता है या फिर तथ्यों को सही रूप में प्रस्तुत नहीं करता है। जबकि जिहादी मानसिकता पूरे विश्व के लिए खतरा बन चुकी है। श्री नरेन्द्र सहगल ने अपने लेख में कश्मीरी अलगाववादियों की करतूतों की बड़ी मूल्यवान जानकारी दी है। इसी तरह मंथन में केरल में मुस्लिम लीग और बंगाल में रज्जाक मोल्ला जैसों की पोल खोली गई है।
–पवन कुमार जैन
गली सं.-5, किशनबाग कालोनी, संगरूर (पंजाब)
तब क्यों नहीं मलाल?
पिछले दिनों पाकिस्तान में एक मजहबी कट्टरवादी ने मलाला नामक एक लड़की को गोली मारकर घायल कर दिया। उसकी हालत अधिक बिगड़ गई तो उसे इंग्लैण्ड ले जाया गया। उस एक मलाला के लिए हमारे हृदय में इतना मलाल हुआ, जबकि उसको इस हालत में पहुंचाने वाला उसका हम मजहबी था। मैं यह जानना चाहता हूं कि दुनिया के लोगों में उन पाकिस्तानी हिन्दू लड़कियों के प्रति हमदर्दी क्यों नहीं पैदा होती है, जिनका अपहरण कर किसी मुस्लिम युवक से निकाह कर दिया जाता है, जिनका मां-बाप के सामने ही बलात्कार किया जाता है, जिनकी बड़ी बेरहमी से हत्या कर दी जाती है? पाकिस्तान में प्रतिमाह औसतन 25 हिन्दू लड़कियों का अपहरण और बलात्कार होता है।
–डा. कैलाश प्रसाद सिंह
पटना (बिहार)
सराहनीय प्रयास
पिछले दिनों रेखाचित्रों के माध्यम से भीष्म पितामह के चरित्र एवं उनके उत्कृष्ट विचारों को पाठकों तक पहुंचाने का सराहनीय प्रयास किया गया। भीष्म से जुड़े अनेक प्रसंगों को कई जगह गलत ढंग से प्रस्तुत किया जा रहा है। भीष्म द्वारा अम्बा से विवाह न करने के कारण भीष्म का भगवान परशुराम से हुए युद्ध को अभी तक गलत ढंग से प्रस्तुत कर यह बताया जा रहा है कि परशुराम अपने शिष्य से पराजित हुए इस कारण अम्बा का विवाह भीष्म के साथ नहीं हो सका। जबकि तथ्य यह है कि दोनों ब्रह्मास्त्र चलाने में सक्षम थे। यदि ऐसा होता तो सृष्टि नष्ट हो जाती। इसलिए देवताओं ने दोनों को समझाया और वे मान गए। इसमें हार-जीत की बात ही नहीं है।
–उदय कमल मिश्र
गांधी विद्यालय के समीप
सीधी-486661 (म.प्र.)
समस्या नहीं बीमारी
जम्मू–कश्मीर की समस्या एक बीमारी का रूप ले चुकी है। जब किसी बीमारी का इलाज नहीं होता है तो वह बढ़ती रहती है। जम्मू-कश्मीर रूपी बीमारी का सही इलाज नहीं होने पर पूरा देश चिन्तित है। परन्तु सेकुलर भारत सरकार इस बीमारी को जानबूझकर बढ़ने दे रही है। सेकुलर नेताओं को क्या यह पता नहीं है कि यदि इस बीमारी का शीघ्र इलाज नहीं हुआ तो यह शेष भारत को भी बीमार कर देगी?
–जयनारायण दत्त भट्ट
हल्दी घाटी (राजस्थान)
पं. नेहरू और कांग्रेस की अदूरदर्शी नीति की देन है कश्मीर समस्या। पाकिस्तान द्वारा थोपे गए हर युद्ध में भारत विजयी रहा है। फिर भी हम पाकिस्तान को अपनी शर्तों में बांध नहीं पाए। हमारे वीर सपूत दुश्मन को धूल चटाते हुए शहीद होते हैं, विजय प्राप्त करते हैं और देश का नेतृत्व वार्ता की मेज पर उस विजय को हार में बदल देता है। यही वजह है कि कश्मीर समस्या सुलझने के बजाय और विकराल हो रही है।
–हरेन्द्र प्रसाद साहा
नया टोला, कटिहार-854105 (बिहार)
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